नव किरणें …
मनोरमा जोशी
इंदौर म.प्र.
********************
नव किरणें दोड़ी आती हैं
चीर रात की स्याही।
अंधकार मै मत भटको,
जीवन पथ के राही।
लेकर हाथों मे सुधा कलश,
अब नया सबेरा आया हैं।
जगती के जलते आंगन मे
नूतन बसंत मुस्काया हैं।
फूलों के बंदरवार सजे,
हर गली गली हर द्धारे।
जन मन के मन में छलक
रहा आदर्शों के प्रति पुण्य
प्यार।
तुम भी बनों आज नवयुग
के सिरजन हार सिपाही।
अंधकार में मत भटको
जीवन पथ के राही।
गाओं जागृति के नये गान
मुस्कान बिखेरों द्धार द्धार,
कंटक न रहे कोई पथ पर
दो मानवता का पथ बुहार
करके वह करणी दिखलाओ,
जो नवयुग ने चाही।
अंधकार में अब मत भटको
जीवन पथ के राही।
.
लेखिका का परिचय :- श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है।
शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है।
कार्यक्षेत्र - साम...