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कविता

नव वर्ष
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नव वर्ष

कुमार जितेन्द्र बाड़मेर (राजस्थान) ******************** विश्वास चारों ओर अंधेरा छाया, अंधविश्वास का है पहरा। रखे विश्वास की बागडोर, होगी रोशनी नई किरणों से। मिट रहा है घनघोर अंधेरा, आज है नया साल हमारा।। संघर्ष तप रे कोमल कोमल हृदय, इंसान की स्वार्थ ज्वाला में। तप रे मृदु-मृदु तन, सूर्य की तीक्ष्ण ज्वाला में। बीत रहा है संघर्ष का अंधेरा, आज है नया साल हमारा।। उल्लास प्रातः काल नई किरणों से, पंछियों की प्यारी सी गूँज से। फूलों की महकती खुशबू से, रंगीन सवेरा बोल रहा है। नए साल के उल्लास में, मिलकर करे अभिनन्दन।। . परिचय :- नाम :- कुमार जितेन्द्र (कवि, लेखक, विश्लेषक, वरिष्ठ अध्यापक - गणित) माता :- पुष्पा देवी पिता :- माला राम जन्म दिनांक :- ०५. ०५.१९८९ शिक्षा :-  स्नाकोतर राजनीति विज्ञान, बी. एससी. (गणित) , बी.एड (यूके सिंह देवल मेमोरियल कॉलेज भीनमाल - एम. डी. एस. यू. अजमेर) निवास...
नया साल नया ज़माना
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नया साल नया ज़माना

सुभाष बालकृष्ण सप्रे भोपाल म.प्र. ******************** नये साल का आ गया नया ज़माना, विगत साल पर, आँसू, नहीँ बहाना, अनुभव अनेक मिले होंगे, तुम्हेँ, जीवन मेँ उन्हेँ कभी न भूल, ज़ाना, दिन तो आते रहते, हैँ, झन्झावातोँ के, दिल मज़बूत कर, कभी न घबराना, जिंदगी मेँ ज़ब आयेँ, खुशियोँ के दिन, दोस्तोँ के संग, मस्ती मेँ खिलखिलाना, मुफलिसी के दौर, गुजर रहे, लोगोँ संग, कुछ अमुल्य क्षण भी, ज़रूर बिताना, साल तो क्या आयेंगेँ और चले जायेंगेँ, सभी लोगोँ के संग, सरलता से पेश आना . परिचय :-  नाम :- सुभाष बालकृष्ण सप्रे शिक्षा :- एम॰कॉम, सी.ए.आई.आई.बी, पार्ट वन प्रकाशित कृतियां :- लघु कथायें, कहानियां, मुक्तक, कविता, व्यंग लेख, आदि हिन्दी एवं, मराठी दोनों भाषा की पत्रीकाओं में, तथा, फेस बूक के अन्य हिन्दी ग्रूप्स में प्रकाशित, दोहे, मुक्तक लोक की, तन दोहा, मन मुक्तिका (दोहा-मुक्तक संकलन) में प्रका...
नव वर्ष अभिनंदन
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नव वर्ष अभिनंदन

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** अभिनन्दन मन मंगल मय हर क्षण हो उत्सव। विप्लव आप्लावित हो, आर्त बने स्यंम कलरव। वर्षित नेह पूर्ण तम, कर दे सचराचर को। दिवा स्वपन को सत, रूपक दे सतत वर्ष नव। पर दुःख से है कंपित, सुख में भी हर्षित हों। चहुँ दिसी समता व्यापत, द्बेष का ना हो उदभव। भाव प्रबल पुष्टित हो, भ्रम हो स्वतः पलायन। उठे त्याग की अभिलाषा, परि पूरित हो भव। . . परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान और सुशीला देवी सम्...
कैलेण्डर बदल गया
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कैलेण्डर बदल गया

रेशमा त्रिपाठी  प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश ******************** कैलेंण्डर बदल गया और कुछ नहीं हुआ। समय आगे बढ़ गया बच्चों की उम्र बढ़ गई और कुछ नहीं हुआ। माॅ॑–बाप के जीने की उम्र थोड़ी कम हो गई और कुछ नहीं हुआ। रिटायर मेंट की उम्र थोड़ी कम हो गई और कुछ नहीं हुआ। पोते/पोतियों की शादी की उम्र हो गई और कुछ नहीं हुआ। बचपन की मस्ती जवानी की यारी कैलेंण्डर जब जब बदला थोड़ा याद आया और कुछ नहीं हुआ। मौसम भी वहीं हैं लोग भी वहीं हैं बस कुछ नए चेहरे आ गए और कुछ नहीं हुआ। परम्परा भी वहीं हैं संस्कृति भी वहीं हैं बस थोड़ा सा जीवन जीने का तरीका बदल गया हैं और कुछ नहीं हुआ। सोच भी वहीं हैं जज़्बात भी वहीं हैं बस लोगों में संवेदना थोड़ी कम हो गई हैं और कुछ नहीं हुआ। दोस्त भी वहीं हैं दुश्मन भी वहीं हैं सपने भी वहीं हैं मंजिल भी वहीं हैं बस इक्सवीं सदी का बीसवां वर्ष लग गया हैं। और कुछ नहीं हुआ।। . ...
नया वर्ष
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नया वर्ष

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** नया वर्ष, नया उत्कर्ष, लेकर आया है। अपने लिए, संकल्प पर दृढ़ रहूं। यह पैगाम लेकर, २०२० आया है। नया वर्ष, नया उत्कर्ष, लेकर आया है। रह गया जो, वो बात बीती। उन कमीयों को, पूरा करने, २०२० आया है। नया वर्ष, नया उत्कर्ष, लेकर आया है। कड़वाहट को, दूर करने, अविश्वास में, विश्वास भरने। नाकारात्मकता को, दूर करने। मन में, संकल्प भर लाया है। नया साल, नयी बातें, नया- पन लाया है। परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक क...
अभिनंदन
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अभिनंदन

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. ******************** नए वर्ष का करें अभिनंदन, आओ मिलकर खुशी मनाएं, शुरू करें फिर से नवजीवन, बीते कल को भूल जाएं। हर रंग के फूल यहां पर, यह धरती एक बगीचा है, एक विधा की परछाई हम, ना कोई ऊंचा नीचा है, स्वर्णिम किरणें आसमान से, रोली लेकर आई हैं, प्रकृति ने अपने हाथों से, इस धरती को सींचा है। विश्वास के कदमों से, पूरा आकाश झुकाएं। शुरू करें फिर से नव जीवन, बीते कल को भूल जाएं। कर्म हमारा हो भलाई, धर्म हमारा प्यार हो, कथनी करनी में ना अंतर नैतिकता हथियार हो, दुख-सुख तो धूप-छांव हैं, लेकिन समव्यवहार हो, ऊंचाई पर पहुंचे लेकिन, धरती ही आधार हो, तो कर्म भक्ति का हो अनु गुंजन गीत खुशी के गाएं, शुरू करें फिर से नव जीवन, बीते कल को भूल जाएं। नए वर्ष की नूतन बेला में, संकल्पों की बात करें, बेटियों की अस्मिता तार-तार ना हो, इस पर हम विचार करें, निर्भया और दिशा की क...
शहिदो की प्रिया
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शहिदो की प्रिया

ओमप्रकाश सिंह चंपारण (बिहार) ******************** आँचल में स्नेह आँखों में विशवास। धैर्य रखो प्राण प्रिय न करो मन उदास मैं सरहदों से जरूर वापस आऊंगा मेरे बढ़ते कदमो को न रोको मेरे हम दम मुझेको मातृभूमि ने पुकारा है तुम कृपा कर मुझे विदा करो। दीर्घ समय न लगेगा मुझ रण बाँकुरे को सरहदो पर दुश्मनों को मार भगाने में गौरव से अपनी हृदय दृढ कर। अपनी कोमल हथेलीयो को उठाकर जरा मुझे अलविदा कहो। धृत दीपक पुष्प रोली चंदन से थाल सजा कर नई दुल्हन सी श्रृंगार किए धीरे। मुस्कुराकर दरवाजे पर मिल जाना निश्चय ही युद्ध स्थल से विजय वरण कर आऊंगा नीचे निज प्रेम भरी सांसो से तुझे पिघलाउगा मैं सरहदों से जरूर वापस आऊंगा तोपचीओ के फटते गोलों के धुए से केवल तुम्हारी स्नेह मुझे राह दिखाएगा दुश्मनों की असंख्य गोलियां मेरी ओर चलेगी विश्वास तेरी हृदय का मेरे काम आएगा मेरी भी असंग की गोलियां अचूक बन जाएगी रण में तेर...
नया साल नई उमंगे
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नया साल नई उमंगे

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** नया साल आया, नई उमंगे लाया, नई रोशनी और नया प्रकाश लाया, नई खुशियों से भरपूर नई दुनिया लाया, नये युग मे, नई विचार छायां, नया साल मे, नई उमंगे लाया, नई खेत मे, नया फसल उगाया, नई जिंदगी मे, नया जोश भर लाया, नई गीत मे, नया संगीत मिलाया, नया साल मे, नई उमंगे लाया, नये रिस्ते और नये नाते जोड़ा, नई सुबह मे, नया शाम लाया, नई ज्ञान का, नया भंडार लाया, नया साल मे, नई उमंगे लाया, नई आरजू और नई गुस्त्जू लाया, नई दिल मे, नया प्यार बसाया, नई रास्ते और नया मंच लाया, नया साल मे, नई उमंगे लाया .... . परिचय :-  नाम - रूपेश कुमार छात्र एव युवा साहित्यकार शिक्षा - स्नाकोतर भौतिकी, इसाई धर्म (डीपलोमा), ए.डी.सी.ए (कम्युटर), बी.एड (महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिटी बरेली यूपी) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी ! निवास - चैनपुर, स...
पेड़
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पेड़

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** पेड़ धरा की खूबसूरती पेड़ दया की जैसे मुर्ति पथिक को देते है राहत करते हृदय से हिफाजत पेड़ों से मिलता फल फूल फर्नीचर शाखा जड़ मूल पेड़ों को काट काट कर धरती का ना अन्त करो पेड़ों को दे कर सम्मान जीवन अपना बसंत करो पेड़ काट रहे है मानव आक्सीजन पी रहें है दानव अब जंगल सुना दिखता है हवा यहाँ पैसे से मिलता है अच्छे दिन के बाट से कितने दिन चल पाओगे हवा खरीदोगे भले हाट से साँस कहाँ से लाओगे . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, ...
नववर्ष दिनचर्या
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नववर्ष दिनचर्या

दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** नववर्ष में करें स्थापित नित नए आयाम। सर्वप्रथम सूर्योदय को हम करते है प्रणाम। द्वितीय कार्य मे उठकर देखे अपने हाथों की रेखा। हो जायेगा सब संभव जो अबतक कभी ना देखा।। कर स्नान सुबह घर मे तुम करना पूजन ध्यान। नववर्ष में करें स्थापित नित नए आयाम। तृतीय कार्य में करो वंदना तुम अपने माँ बाप की। बात मानली उनकी तो पूरी दुनिया है आपकी। होते रहेंगे अनायास ही सकल आपके काम। नववर्ष में करें स्थापित नित नए आयाम। चतुर्थ कार्य में करना है फलों का स्वल्पाहार। शुद्ध कीजिये अपने मन के सारे बुरे विचार। स्वस्थ शरीर के लिए कीजिये योग और व्यायाम। नववर्ष में करें स्थापित नित नए आयाम। पंचम कार्य मे कर्मभूमि के लिए करे प्रस्थान। छोटों को स्नेह दें और बड़ो को सम्मान। दिए गए निर्धारित समय मे पूरा करिये काम। नववर्ष में करें स्थापित नित नए आयाम। ...
ट्यूशन
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ट्यूशन

भारत भूषण पाठक धौनी (झारखंड) ******************** ट्यूशन अर्थात होता विशेष शिक्षण। पर पड़ी आवश्यकता क्यों विद्वतजन।। दे रहे दोष आज इसे जो भी सज्जन। उत्तर सूझाएँ हम सब मिलकर इसका। है आखिर दोष होता इसमें किसका।। ट्यूशन आधुनिक शिक्षा की मार है। उलझना इस पर बिल्कुल बेकार है।। लिख रहे हम इस विषय पर बड़े-बड़े ये व्याख्यान। पर जान रहे हम इसके कारण से नहीं अन्जान।। प्राचीनतम काल से ही हो चुका जब इसका प्रबन्धन। गुरू द्रोण राजकुमारों को इसलिए तो देते थे शिक्षण।। ज्ञान विशेष को दे रहे सब ये ट्यूशन। क्या किया जाय चल चुका है यह प्रचलन।। है इसके लिए उदाहरण बस मेरी इतनी। सरकारी दवा फायदा न करती है उतनी। फायदा करती है कीमती दवा है जितनी।। . परिचय :-  नाम - भारत भूषण पाठक लेखनी नाम - तुच्छ कवि 'भारत ' निवासी - ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका(झारखंड) कार्यक्षेत्र - आई.एस.डी...
नया साल
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नया साल

मुनव्वर अली ताज ******************** कुछ इस अदा से आए नया साल दोस्तो हो जाए वर्तमान ही ख़ुशहाल दोस्तो जब तक रहेगी वासना खुशहाल दोस्तो तब तक रहेगी साधना बदहाल दोस्तो ऐसा करो कि संयमी हो जाए हर पुरुष मिट जाए दिल से रेप का ख़याल दोस्तो जो साल इक ग़रीब की झोली न भर सके वो साल हर सदी में है कंगाल दोस्तो हम अपने रहनुमा से यही आरज़ू करें मिल जाए सादा रोटियों को दाल दोस्तो हर आदमी का काम लगातार चल सके अब हो न देश में कोई हड़ताल दोस्तो ऐ ताज, आओ सबके लिए ये दुआ करें आए न अब कभी कहींं भूचाल दोस्तो . परिचय :- मुनव्वर अली ताज उज्जैन आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com ...
वक्त का अजब तकाजा
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वक्त का अजब तकाजा

विनोद सिंह गुर्जर महू (इंदौर) ******************** वक्त का अजब तकाजा देखो। बंदर के हाथ में माजा देखो।। जिसके मूंह पर वफा नुमाईश हैै, वेहयायी का तमाशा देखो।।... वक्त का अजब तकाजा देखो।।... जिसने की है मुहब्बत यहॉ कभी, उनके इश्क का जनाजा देखो।।... वक्त का अजब तकाजा देखो।।... चंद सिक्कों के लिये नीलाम हुआ, आज बन बैठा वही राजा देखो।।. वक्त का अजब तकाजा देखो।।... भूल गये लोग रिश्तों के मतलब, भाई था कल आज बंधन ताजा देखो।।... वक्त का अजब तकाजा देखो।।... जिन्हें गुमां था अपनी शौहरत पर, हाथ में ढोल और बाजा देखो ।।.. वक्त का अजब तकाजा देखो।।... . परिचय :-   विनोद सिंह गुर्जर आर्मी महू में सेवारत होकर साहित्य सेवा में भी क्रिया शील हैं। आप अभा साहित्य परिषद मालवा प्रांत कार्यकारिणी सदस्य हैं एवं पत्र-पत्रिकाओं के अलावा इंदौर आकाशवाणी केन्द्र से कई बार प्रसारण, कवि सम्मे...
सर्वश्रेष्ठ देश
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सर्वश्रेष्ठ देश

सौरभ कुमार ठाकुर मुजफ्फरपुर, बिहार ************************ यह देश बल्लभ, गाँधी का है, आजाद जैसे फौलादी का। लक्ष्मीबाई जन्मी यहीं पर, उड़ा था होश फिरंगियों का। धर्म-निरपेक्ष है देश हमारा, भारत है हमको जानो से प्यारा। लोकतांत्रिक है देश हमारा, देश हमारा है सबसे न्यारा। भारत को सर्वश्रेष्ठ बनाना है, सभी अपराधों से मुक्ति पाना है। भारत को शांतिप्रिय बनाना है, सभी देशद्रोहियों को मिटाना है। शहीद हुए वीर भगत सिंह, भारत को स्वतंत्र कराने को। याद रखें हम जज्बा उनका, दुश्मनों के छक्के छुड़ाने को। देश से प्रेम करना सीखें, देश पर जां फिदा करना सीखें, देश का आदर करना सीखें, भारत को सर्वश्रेष्ठ बनाना सीखें। . परिचय :- नाम- सौरभ कुमार ठाकुर पिता - राम विनोद ठाकुर माता - कामिनी देवी पता - रतनपुरा, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार) पेशा - १० वीं का छात्र और बाल कवि एवं लेखक जन्मदिन ...
काल की बहती हवा मे
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काल की बहती हवा मे

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** काल की बहती हवा मे, एक सच्चा बेटा जा रहा है, भारत माता की वो सन्तान, जिसके लिए दुनिया रो रही है! काल की बहती हवा मे, अमर गीत गा रहा है, जिस मातृभूमि ने, पैदा कि वो रो रही है! काल की बहती हवा म , तारे तिलमिला रहे है, जिसकी रोशनी से अटल, अजर अमर हो गये है, काल की बहती हवा मे, पेङ पौधे सूख रहे है, जिसकी छाँव मे अटल, कविता की रचना कर रहे थे, . परिचय :-  नाम - रूपेश कुमार छात्र एव युवा साहित्यकार शिक्षा - स्नाकोतर भौतिकी, इसाई धर्म (डीपलोमा), ए.डी.सी.ए (कम्युटर), बी.एड (महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिटी बरेली यूपी) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी ! निवास - चैनपुर, सीवान बिहार सचिव - राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान प्रकाशित पुस्तक - मेरी कलम रो रही है कुछ सहित्यिक संस्थान से सम्मान प्राप्त ! आप भी अपनी कविता...
पहलवान
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पहलवान

डाॅ. हीरा इन्दौरी इंदौर म.प्र. ******************** मूंछो पे दे रहे हो बहोत ताव पहलवान। कुछ दम है तो अखाड़े में आ जाव पहलवान।। हरेक से अकड़ते हो ताकत के जोम में। कुछ अपनी हड्डियों पे तरस खाव पहलवान। मुझसे मुकाबला कोई आसान काम है। पिस्ते बदाम और अभी खाव पहलवान।। जनता हो काँग्रेस हो या कोई पार्टी। जिसमें जगह हो घुसने की घुस जाव पहलवान।। धन्धे की नौकरी की तुम फिक्र ना करो। जबतक मिले हराम की तुम खाव पहलवान।। बजरंग के हो चेले तो एक काम तुम करो। जाओ कोई पहाड़ उठा लाव पहलवान।। स्टूडियो के फोटोग्राफर ने ये कहा। फोटो तो सीना तान के खिंचवाव पहलवान।। पत्नी तुम्हारी करती है किस तरह तुमसे बात। "हीरा" का देखो मुँह नहीं खुलवाव पहलवान।। . परिचय :-  डाॅ. "हीरा" इन्दौरी  प्रचलित नाम, डाॅ. राधेश्याम गोयल जन्म दिनांक : २९ - ८ - १९४८ शिक्षा : आयुर्वेद स्नातक साहित्य लेखन : सन १९७० से गीत, हास्य, व्यंग्य, गजल,...
मैं और उसका मैं
कविता

मैं और उसका मैं

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** मैं पंखुरियों सा बिछता रहा वो शूल सा चुभता रहा खिले थे एक ही शाख पर न वो पास था, न दूर मैं। मैं, मैं को कुचलता रहा वो, मैं को पालता रहा छोटे से जीवनपथ पर न वो झुका, न तना मैं। मैं समय धारा में बहता रहा वो, मैं की अग्नि में जलता रहा हो कैसे अग्नि पानी-पानी न वो चिंता तुर, न चिंतामुक्त मैं मैं दूध पिलाता रहा वो जहर उगलता रहा लिए अपना अपना स्वभाव न वो थका, न मैं। . परिचय :- नाम : धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां...
न्याय
कविता

न्याय

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** हमारे देश का ये एक अभिशाप है प्रत्यक्षदर्शी भी अन्धे बन जाते है फिर ऐसा लगता है मेरे देश का ये कैसा इन्साफ है? ये कैसा इन्साफ है? न्याय न्याय वो करते जाते जिनके सर पर ना छत है ना आस है न्याय फिर मिल जाता है उनको सत्ता, पैसा और महल जिनके पास है ये कैसा इन्साफ है? ये कैसा इन्साफ है? प्रशासन भी साथ उन्ही का देती जिनसे उनकी पैसों की बुझती प्यास है न्याय कहाँ मिलता है उसको जिन्हे रोटी, कपड़ो की हमेशा तलाश है ये कैसा इन्साफ है? ये कैसा इन्साफ है? देख देख कर ये दुर्गति होता दुख मुझे अपार है भ्रष्टाचार अगर कम नही हुआ तो एक दिन भारत का विनाश है ये कैसा इन्साफ है? ये कैसा इन्साफ है? पर कुछ तो अच्छा हुआ देश मे अब दिख रहा कुछ साल में मोदी जी अगर रहे सलामत हो रहा उनका बेहतर प्रयास है अब होता इन्साफ है। अब होता इन्साफ है। . परिचय :- ...
हसीं मौसम
कविता

हसीं मौसम

वीणा वैष्णव कांकरोली ******************** हसीं मौसम का आनंद, आप अपनों संग लिजिए। गैरों संग मजे कर, अपनों को दर्द कभी ना दीजिए।। मौसम कोई भी हो, उसे हसीं मौसम बना लीजिए। ठंड बहुत ज्यादा हो, अलाव जला आनंद लीजिए।। इसी बहाने कुछ पल, अपनों से आप बातें कीजिए। बड़े बुजुर्गों के अनुभव को, साझा आप कीजिए।। जिंदगी में कभी भी, उदास आप ना रहा कीजिए। है बहुत छोटी, हर पल आनंद से जिया कीजिए।। कुछ यादें, जाने से पहले आप अमिट छोड़ दीजिए। जग याद करें, ऐसा कुछ तो आप काम कीजिए।। सुबह शाम चक्कर में, जिंदगी तमाम ना कीजिए। मिला है अनमोल जीवन, इसे सार्थक कीजिए।। . परिचय : कांकरोली निवासी वीणा वैष्णव वर्तमान में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय फरारा में अध्यापिका के पद पर कार्यरत हैं। कवितायें लिखने में आपकी गहन रूचि है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ ...
जोरू का गुलाम
कविता

जोरू का गुलाम

अमित राजपूत उत्तर प्रदेश ******************** मात पिता की सेवा ना कर जोरू की बाहों में सो गया ! बेकार है तेरा जीवन तू तो जोरू का गुलाम हो गया ! जोरू कहे तो हां में हां मां बाप कहे तो ना करते हो ! मां बाप से अपने डरते नहीं पर जोरू से तुम डरते हो ! डूब मरो चुल्लू भर पानी में तेरा जीवन शर्मसार हो गया ! भूल गया है मात पिता को तू जोरू का गुलाम हो गया ! भूल गया जन्म देने वाली उस मां को ओर जोरू पे मरते हो ! छोड़ दिया मात बाप को बुढ़ापे में जोरू की जी हजूरी करते हो ! नर्क बना कर जीवन मां बाप का जोरू के सपनों में खो गया ! अब शर्म नहीं आती तुझे क्योंकि तू जोरू का गुलाम हो गया! . परिचय :- अमित राजपूत उत्तर प्रदेश गाजियाबाद आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी क...
लुप्त हुआ अब सदाचरण
कविता

लुप्त हुआ अब सदाचरण

संतोष नेमा "संतोष" आलोक नगर जबलपुर ********************** लुप्त हुआ अब सदाचरण है बढ़ता हर क्षण कदाचरण है आशाओं की लुटिया डूबी स्वार्थ सिद्धि में नर हर क्षण है निशदिन बढ़ते पाप करम अब कलियुग का ये प्रथम चरण है अपनों की पहचान कठिन है चेहरों पर भी आवरण हैं झूठ हुआ है हावी सब पर सच का करता कौन वरण है कब तक लाज बचायें बेटी गली गली में चीर हरण है देख देख कर दुनियादारी "संतोष" दुखी अंतःकरण है . परिचय :-  संतोष नेमा "संतोष" निवासी : आलोक नगर जबलपुर आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर ...
नया साल
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नया साल

परमानंद निषाद छत्तीसगढ, जिला बलौदा बाज़ार ******************** उगते हुए सूरज का निकलना नया साल है। उदय होते सूरज का ढल जाना नया साल है। किसी भूखे को खाना खिलाना नया साल है। किसी प्यासे को पानी पिलाना नया साल है। सपनों को सच कर दिखाना नया साल है। भ्रष्टाचार को मिटाना नया साल है। रोगी की सेवा करना नया साल है। अनपढ़ को शिक्षा देना नया साल है। बेरोजगार को रोजगार देना नया साल है। पर्यावरण को स्वच्छ बनाना नया साल है। शादी मे दहेज ना लेना नया साल है। कन्या हत्या ना करना नया साल है। बेटा-बेटी मे भेद ना करना नया साल है। किसी बेसहारा को सहारा देना नया साल है। गिरते हुए को थामना नया साल है। फूल का डाली से मुरझा कर गिर जाना नया साल है। बीते हुए बुरे पलों को भूलाकर आगे बढ़ना नया साल है। कामयाबी की शिखर पर पहुंचकर नई ऊंचाईयों को छुना नया साल है। बुढ़े मां-बाप का सहारा बनकर उन्हे गले लगाना नया साल ...
एक शहीद की पत्नी का दर्द
कविता

एक शहीद की पत्नी का दर्द

दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** ये चूड़ी ये कंगन अब भाते है नही मुझको, जब से इस देश के लिए खोया है तुझको। ना चैन है ना सुकून है ना नींद आती है, अब बस तुम्हारी याद में सारी रात जाती है। वो सजने संवरने के ख़ाब सताते नही मुझको...। जब से इस देश के लिए खोया है तुझको। ये चूड़ी ये कंगन... बैवा हूँ, अबला हूँ, अकेली हूँ शहर में। आती रहती हूँ अक्सर लोगों की नज़र में। सोचती हूँ बच्चों को लेकर गांव चली जाऊं मैं। मगर वहां भी कोई नही फिर कहाँ जाऊं में। अब बच्चों के खिलौने दिलायेगा कौन? मैं रूठ जाऊंगी तो अब मनाएगा कौन? अब खुदको समझाने के तरीके आते नही मुझको...। जबसे इस देश के लिए खोया है तुझको। ये चूड़ी ये कंगन... वो मेरे जन्मदिन पर बाहर खाने पर जाना, वो दिवाली पर बेग भरकर पटाखे, मिठाई लाना। वो करवाचौथ पर तुम्हारा घर जल्दी आ जाना, खुदके बारे में न सोच बस हमे सबकुछ दिलाना।...
अँग्रेजी की आग
कविता

अँग्रेजी की आग

भारत भूषण पाठक धौनी (झारखंड) ******************** एक आग कल भी लगी थी। एक आग आज भी लगी है।। कल आग अंग्रेजों ने लगाया। आज अँग्रेज़ी ने लगा रखी है।। अँग्रेज़ी का खेल तो देखिये हुजूर। जीवित पिता को डेड बना डाला। भला इसमें उस पिता का क्या कसूर।। कल तक जो बेटा चरणों तक झूकता था। आज घुटनों पर ही रुक जाया करता है।। कल पिता की चलती थी जो अंगुली पकड़ कर। आज उंगली छुड़ाती बरबस ही दिख जाती है।। कल लोगों में प्रेम भरपूर दिख जाता था। आज प्रेम का व्यवसाय सा दिखता है।। एक आग कल लगाई थी भारत को बनाने को। एक आग आज लगाई जाती है भारत को मिटाने को।। कल लोग गुलाम थे पर मन में आजादी थी। आज जब आजादी है मन में सिर्फ बरबादी है।। . परिचय :-  नाम - भारत भूषण पाठक लेखनी नाम - तुच्छ कवि 'भारत ' निवासी - ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका(झारखंड) कार्यक्षेत्र - आई.एस.डी., सरैयाहाट में कार्य...
इस संसार में
कविता

इस संसार में

ओमप्रकाश सिंह चंपारण (बिहार) ******************** यह सोचा मैंने इस संसार में अकेला हूं मैं यूं कहने को यहां। मेरे साथ प्रकृति की सन्नाटा चिरपरिचित झींगुर की आवाज। काली स्याह रात कभी धवल धूसर चांदनी जिसकी दूधिया प्रकाश। फिर भी इस सब के बीच अपने आप को अकेला और तन्हा पाता हूं अपने आप को। सोचता हूं यहां कोई अपना होता बोध करा पाता उसे अपने अंतस की गहराइयों को सृजनशील मानव अपनी राह खुद बनाते हैं। उस पथ पर बढते चले जाते हैं। उद्धत अविराम कर्म पथ पर सृजनशीलता की परिचय देते हैं। अपने एहसास के अनगढ पत्थरों को अपनी कल्पनाओ की पैनी छैनी तथा कर्मठता की हाथौड़ो से प्रहार कर नई जीवंत मूर्ति तराश लेते सृजनशीलता तो प्रकृति की अटूट नियम है। प्रकृति की शक्ति को नियंत्रित करने की व्यर्थ कोशिश की गई है। उनकी भाव भंगिमा ओं के साथ छेड़छाड़. करके मानव महा विनाश की ओर निर्बाध अपनी गति को बढ़ाई। . परिचय :-...