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कविता

रिमझिम-रिमझिम
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रिमझिम-रिमझिम

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** रिमझिम-रिमझिम आओ फूहारों, मीठे गीत सुनाओं फुहारों। प्यारी-प्यासी इस धरती पे। प्रेम का जल बरसाओं फूहारों।। रिमझिम-रिमझिम आओं फूहारों। धान के खेत की आस पूजादों। पपीहे-चातक की प्यास बुझादों। प्रेमी-मन भीगे संग-संग। पुलकित सपनों को, आस बंधा दो। रिमझिम-रिमझिम आओं फूहारों।। मिलन के राग, सुनाओं फूहारों। सा-रे-गा-मा को सुरों में भरके। मचले मन में, तरंग उठाओं। बचपन भी, भूलकर सारे बंधन। कहों .......आ के कागज़ की नाव चलाओं। सबकी आंखों में, उल्लास बन छा जाओं। सूखी धरा हरी-भरी कर जाओं। रिमझिम-रिमझिम सावन आओं।। परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आद...
मन के घर मे ठहरो
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मन के घर मे ठहरो

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** मन के घर में आकर ठहरों, देखो जग फिर क्या करता हैं। तूफानों से घिरा समुन्दर, कब तक नाँव किनारे बाँधे, पार पहुँचना इसके पहले जब तक सूरज सीमा फाँदे। तुम किश्ती में बैठो भर ही देखो तूफा क्या करता है। चुभते शूलों का है आंगन कैसे कोई रास रचायें, घणी घटा तम का हैं शासन, बोले कैसे खुशी मनायें, तुम मेरी बाहें बँध जाओ, देखो तम फिर क्या करता है। मन के घर में आकर ठहरों, देखों जग फिर क्या करता हैं। बुझी नहीं है प्यासी आशा फिर भी कल पर सांसे रोके, जीवन के घटियां पिंजरे से, पंछी उड़ जाने से रोके, तुम मुझकों अपनों मे घोलो, देखो यम फिर क्या करता हैं। मन के घर में आकर ठहरों, देखें जग फिर क्या करता हैं। . . परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान...
लक्ष्य
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लक्ष्य

मनीषा व्यास इंदौर म.प्र. ******************** धनुष से छूटा बाण कब पथ पर रुकता है, तुम तो लक्ष्यपथ के बाण हो, लक्ष्य तक पहुंचे बिना फिर तुम्हें नहीं ठहरना उठो और प्रयत्न करो रुको नहीं जब तक मंजिल पर न पहुंचो। मन की सकारात्मक्ता नई राह दिखाती है। आशाएं भी जगाती हैं तुरंत राह पर चलो। कार्य जो किए निर्धारित अंजाम देना है फ़ौरन। सीखने की प्रक्रिया को तुम रुकने न देना। तरक्की तुम्हारे क़दमों में होगी पथ पर विश्राम ना करना। कड़ी मेहनत का विकल्प नहीं कोई। कामयाबी छिपी है इसमें, तुम्हें उसी आवरण को खोजना।   परिचय :-  नाम :- मनीषा व्यास (लेखिका संघ) शिक्षा :- एम. फ़िल. (हिन्दी), एम. ए. (हिंदी), विशारद (कंठ संगीत) रुचि :- कविता, लेख, लघुकथा लेखन, पंजाबी पत्रिका सृजन का अनुवाद, रस-रहस्य, बिम्ब (शोध पत्र), मालवा के लघु कथाकारो पर शोध कार्य, कविता, ऐंकर, लेख, लघुकथा, लेखन आदि का पत्र-पत्रिकाओं...
बिरहनी
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बिरहनी

ओमप्रकाश सिंह चंपारण (बिहार) ******************** बिरहनी इस चांदनी में ज्योति पुंज से तू खड़ी हो। इस धरा पर विपुल स्वर्ग सा मलयानिल फिर मंद गति से। रुक रुक कर बहती है। विरहनी इस धवल चांदनी में ज्योति पुंज सी तू स्थिर हो। बोलो सदियों की चुप्पी तोड़ो कब से मौन व्रत में तुम? चंचलता को रोक खड़ी हो। सृष्टि तो अविराम गति से सदियों से गतिमान बनी है। तुम प्रेरक हो जीवन सुधा की चांदनी फिर सकुचाई देखो। देखो चंपा जूही बेला रजनीगंधा ने ली अंगड़ाई। तेरी बंदन में मग्न रजनी है। नीले अंबर के तारक गण भी बिखरे हैं नभ में अति सुंदर। सुदूर क्षितिज में उज्जवल तारे तुझे देखकर विहंस रहे हैं। नीले अंबर के नीचे" विरहनी" नील मणी सी तू अति सुन्दर हर पल नूतन दिखती हो। . परिचय :-  ओमप्रकाश सिंह (शिक्षक मध्य विद्यालय रूपहारा) ग्राम - गंगापीपर जिला -पूर्वी चंपारण (बिहार) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, ले...
लाख बचालो मुझसे खुदको
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लाख बचालो मुझसे खुदको

दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** लाख बचालो मुझसे खुदको, फिर भी तुम पर मेरी नज़र। संग गैरो के प्रीत लगाकर, मुझपे क्यों ढा रहे हो कहर।। छोड़के तुम क्यों चले गए हो, क्या बुरा लगा था मेरा शहर। अब ढूंढता रहता गली गली, अब देखती रस्ता मेरी नज़र।। कोई कहता पागल आवारा, कोई नदी दिखाता कोई नहर। कोई भेजे मंदिर कोई गुरद्वारा, कोई मुझे रोकता एक पहर।। तुम गैर नही थे मेरे लिए, तुमतो थे मेरी जान ए जिगर। जो हाथ दिया था प्रेम रस, वो निकला मीठा एक ज़हर।। गर था नही संग रहना मेरे , क्यों दिल मे चलाई मेरे लहर। देकर तो देखते मौका मुझे, कुछ मुझपर भी कर देते महर।। . परिचय :- ३१ वर्षीय दामोदर विरमाल पचोर जिला राजगढ़ के निवासी होकर इंदौर में निवास करते है। मध्यप्रदेश में ख्याति प्राप्त हिंदी साहित्य के कवि स्वर्गीय डॉ. श्री बद्रीप्रसाद जी विरमाल इनके नानाजी थे। आपके द्वारा अभी त...
शिद्दत
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शिद्दत

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** जब भी तुझे देखा, तुझे चाहा पूरी शिद्दत से। जब भी तुझे चाहा, तुझे पाया पूरी शिद्दत से। जब भी तुझे पाया, तुझे अपना बनाया है पूरी शिद्दत से। जब भी अपना बनाया, तेरी हुई मैं पूरी शिद्दत से। जब भी तेरी हुई, तुझ में समाई पूरी शिद्दत से। जब भी तुझ में समाई, तुझमें रब नजर आया पूरी शिद्दत से। जब भी रब नजर आया, तुझ पर खुदा का नूर बरसा पूरी शिद्दत से। जब भी तुझे देखा, तुझे चाहा पूरी शिद्दत से।। . परिचय :-  सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा जन्मतिथि : ३१ अगस्त जन्म स्थान : मथुरा निवासी : बेगम बाग मेरठ साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास प्रकाशित साहित्य : जिनमें कहानी और रचनाएं प्रकाशित हुई है :- पर्यावरण प्रहरी मेरठ, हिमालिनी नेपाल, हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) इंदौर, कवि कुंभ देहरादून, सौरभ मेरठ, काव्य तरं...
हिंदी भाषा
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हिंदी भाषा

संजय जैन मुंबई ******************** हिंदी ने बदल दी प्यार की परिभाषा। सब कहने लगे मुझे प्यार हो गया। कहना भूल गए आई लव यू। अब कहते है मुझ से करोगी..। कितना कुछ बदल दिया हिंदी की शब्दावली ने। और कितना बदलोगे अपने आप को तुम। हिंदी से शोहरत मिली मिला इसी से ज्ञान। तभी बन पाया एक लेखक महान। अब कैसे छोड़ दू इस प्यारी भाषा को। ह्रदय स्पर्श कर लेती जब कहते है आप शब्द। हर शब्द अगल अलग अर्थ निकलता है। तभी तो साहित्यकारों को ये भाषा बहुत भाती है। हर तरह के गीत छंद और लेख लिखे जाते है। जो लोगो के दिलको छूकर हृदय में बस जाते है। और हिंदी गीतों को मन ही मन गुन गुनाते है।। . परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं हिंदी रक्षक म...
मकर संक्रांति
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मकर संक्रांति

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. ******************** मकर संक्रांति का पर्व आया मिलजुलकर पर्व मनाएंगे। तिल गुड़ की मीठास संग, हम खुशी जताएंगे। मौज-मस्ती करेंगे हम, मन में विश्वास जगायेंगे, रंग बिरंगी पतंग डोर संग, आसमान में उड़ाएंगे। स्वर्णिम किरणों को छूने, लहराकर ऊपर चढ़ जाए, इंद्रधनुष रंगों में रंगकर, तूफानों में नाच दिखाएं। मंजिल का तो पता नहीं, नील गगन की रानी कहलाए, आसमान में बेखबर, आजादी संग उड़ती जाए। जब जब पेच लड़ा वह भी , लड़ने में जुट जाए , कट जाए या लूट जाए , तो वह निराश हो जाए। ऊंचाइयों का सपना, दिल ही दिल में रह जाता, अपने अस्तित्व को बचाने, फिर से धरती पर आ जाए। . परिचय :- श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानि...
विरह कुंड में हुए हवन
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विरह कुंड में हुए हवन

आशीष तिवारी "निर्मल" रीवा मध्यप्रदेश ******************** सब कुछ तुमको सौंप दिया मिला ना तुम से अपनापन। नेह का नीड़ उड़ा ले गयी स्वारथ की जो बही पवन। पागल करके हमको कहती इस पागल का करो जतन। खुश हैं हम ओस की बूंदों में सागर संग तुम, रहो मगन। प्रेम भाव जो उठे थे मन में अब विरह कुंड में हुए हवन। सब कुछ तुमको सौंप दिया मिला ना तुम से अपनापन। फिर से तुम्हारी ही यादों का जो बादल घिर-घिर आया है। मैं सोचा इस पल को जी लूं कितनों ने पत्थर लहराया है।   परिचय :- कवि आशीष तिवारी निर्मल का जन्म मध्य प्रदेश के रीवा जिले के लालगांव कस्बे में सितंबर १९९० में हुआ। बचपन से ही ठहाके लगवा देने की सरल शैली व हिंदी और लोकभाषा बघेली पर लेखन करने की प्रबल इच्छाशक्ति ने आपको अल्प समय में ही कवि सम्मेलन मंच, आकाशवाणी, पत्र-पत्रिका व दूरदर्शन तक पहुँचा दीया। कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित युवा कव...
एक दिन ज़रूर होगा
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एक दिन ज़रूर होगा

दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** ये एक दिन में नही होगा मगर एक दिन ज़रूर होगा। मेरे अपनो को भी मुझ पर बेइंतहा गुरुर होगा। उड़ने की कोशिश में हूँ बिना पंखों के आसमान में, हौसलों ने दिया साथ तो छा जाऊंगा जहान में, मेरी नज़्म का एक दिन, तुम्हारे होठों पर सुरूर होगा... ये एक दिन में नही होगा मगर एक दिन ज़रूर होगा। चलता ही रहता हूँ अपनी मंज़िल की तलाश में, आलोचक बहुत है मगर होता नही निराश में, देखना एक दिन आयेगा, जब दामोदर मशहूर होगा... ये एक दिन में नही होगा मगर एक दिन ज़रूर होगा। कोई कहता है तू तो पागल हो गया है, ना जाने कोनसी दुनिया मे तू खो गया है, ये तो मेरा ख़्वाब है, कोई दौलत नही जो गुरुर होगा... ये एक दिन में नही होगा मगर एक दिन ज़रूर होगा। सर्वरस धारा का एक दरिया है ये, दिल की बात कहने का ज़रिया है ये, मैं तो यूँ ही लिखता रहूंगा, अगर तुम्हे मंजूर होगा......
कुदरत का पैगाम
कविता

कुदरत का पैगाम

केशी गुप्ता (दिल्ली) ********************** रो रहा है आसमां देख धरती का हाल दंगाइयों के हाथ से पिट रहा यूथ यहां पथ भ्रमित है दिशा चल रही नफरत की हवा खेल रहे भविष्य से आज के पहरेदार दबा रहे जज्बातों को खींच दिलों में दीवार लड़ा रहे एक दूजे से धर्म के पहरेदार गरज रहे हैं मेघ भी देख कर यह अत्याचार ना बांटो इंसान को रहने दो इंसानियत कुदरत यह दे रही चीख चीख कर पैगाम . परिचय :- केशी गुप्ता लेखिका, समाज सेविका निवास - द्बारका, दिल्ली आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अप...
या खुदा
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या खुदा

दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** या खुदा तू मुझे बता तो दे ज़रा। मैं अपने ईमा पे कितना उतरा हूँ खरा। कितने लोगों को आई पसंद मेरी अदा। में कितनो को भाया अभीतक, और कौन मुझपे हुआ फिदा।। कितनो के लिए मैं अच्छा हूँ, और कितनो के लिए हुआ बुरा। या खुदा तू मुझे बता तो दे ज़रा... फिक्र नही फरिश्तों में गिनती हो मेरी। सब खुश रहे बस यही विनती है मेरी।। फिर भी आज दर्द का एहसास क्यों हुआ, ये किसने मेरे पीठ पीछे घोंपा है छुरा। या खुदा तू मुझे बता तो दे ज़रा... बंदगी की तेरी मैंने रात दिन यहां। में तेरी चौखटों पे फिरा यहां वहां।। में अपनों की खुशी तुझसे मांगता रहा, रखना तू मेरे अपनो को बस हरा भरा। या खुदा तू मुझे बता तो दे ज़रा... इस जहां में कोई भी उदास न रहे। मजबूरी के नाम पर उपवास न रहे।। मिले ना कोई मांगता भीख भी यहां, सभी के सर पे छत हो सभी को आसरा। या खुदा तू मु...
हमे बचालो
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हमे बचालो

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** धरती पर पड़ी नववर्ष की पहली किरण ओस की बूंदो के आइने में अपना आकार देख कह रही - ओस बहन तुम बड़ी भाग्यवान हो जो कि मुझसे पहले धरती पर आ जाती हो तुम्हे तो घास बिछोने और पत्तो के झूले मिल जाते है । मै हूँ की प्रकृति /जीवों को जगाने का प्रयत्न करती रहती हूँ किंतु अब भय सताने लगा है फितरती इंसानो का जो पर्यावरण बिगाड़ने में लगे है और हमें भी बेटियों की तरह गर्भ में मारने लगे है आओ नव वर्ष की पहली किरण औंस की बूंद और बेटी हम तीनों मिलकर सूरज से गुहार करें हमे बचालो। . परिचय :- संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि :- २ - मई -१९६२ (उज्जैन) शिक्षा :- आय टी आय व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) प्रकाशन :- देश - विदेश की विभिन्न पत्र - पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशि...
यह ज़िन्दगी
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यह ज़िन्दगी

शरद सिंह "शरद" लखनऊ ******************** न जाने क्यों चलते चलते, यह ज़िन्दगी ठहर जाती है। त्याग कर प्राचीनता, नवीनते में झांकती आंखें, छोड़ कटुता, मधुरता को तलाशती आंखें, न जाने क्यों स्वयं गुम हो जाती हैं। न जाने क्यों चलते........ हंसते अधर, अठखेलियां करते थिरकते पांव, तपती धूप से तड़प कर, किसी तरु की ढूंढते छांव, न जाने क्यों इनमें शिथिलता आ ही जाती है। न जाने क्यों....... खिलखिलाते होंठ जब नकार बदहवासियों को, मनाते जश्न जब त्याग उदासियों को, न जाने क्यों आंखे विद्रोही हो जाती हैं। न जाने क्यों....... उडें उन्मुक्त हो, परिंदों से, विस्तृत गगन में, भरे मस्त हो उड़ाने, तितली सी चमन में, न जाने क्यों मस्तियां अवरोधित हो जाती है। न जाने क्यों....... मदमस्त भाव उभरते हैं हृदय पट पर, उभरते हैं नये रंग चित्र पट पर, न जाने क्यों चलती लेखनी सिहर जाती है। न जाने क्यों चलते चलते ज़िन्दगी...
अजनबी – अपने
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अजनबी – अपने

चेतना ठाकुर चंपारण (बिहार) ******************** अजनबी के मोहब्बत से डर गई। अपनों के नफरत से डर गई। किसी के इजहार से डर गई। अपनों के इनकार से डर गई। इसी डर से न अजनबी की हुई, ना अपनों की। दूसरों पर विश्वास ना किया और अपनों की बेवफाई से डर गई । मैं ढूंढती रही सारी रात ,सुबह को और अंधेरे के गहराई से डर गई। . परिचय :-  नाम - चेतना ठाकुर ग्राम - गंगापीपर जिला -पूर्वी चंपारण (बिहार) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल प...
बसंत
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बसंत

ओमप्रकाश सिंह चंपारण (बिहार) ******************** बसंत जब आती है। कोयल गीत गाती है। इठलाती है डाली पे आम्र मंजरी में छुप छुप गुप चुप नहीं, आलाप तीब्र कूक की। डाली पे छुप गाती है। बसंत की परिधान में मुस्कान नव नव आता है। अतिरंग में वहिरंग हो। नवरंग जब आता है। निराशा में आशा पतन में उत्थान नवताल नव छंद किसलय से वासंती जब मुस्कुराता है। बसंत के आगमन से सृष्टि नव आता है। मुरझायी हुयी कलियों में कोपल मे नव गंध नव सुगंध भाता बसंत जीवन सूचक है। बसंत अंत मरणासन्न कुछ काल तक ही आता है। ब्रह्म बेला में प्राणदायिनी वायु बन। सुगंध के झरोखों से प्रिये सी अभिनंदन करती हैं। . परिचय :-  ओमप्रकाश सिंह (शिक्षक मध्य विद्यालय रूपहारा) ग्राम - गंगापीपर जिला -पूर्वी चंपारण (बिहार) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी ...
चंद लम्हो का हूँ मेहमान
कविता

चंद लम्हो का हूँ मेहमान

दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** चंद लम्हो का हूँ मेहमान चला जाऊंगा। में हूँ दुनिया से परेशान चला जाऊंगा। ढूंढता रहता हूँ अक्सर एक पल सुकून का। जवाब देने लगा अब कतरा कतरा खून का। भीड़ दुनिया की मुझे रास नही आती है। अब तो खुशियां भी मेरे पास नही आती है।। करके अपनों को मैं हैरान चला जाऊंगा... चंद लम्हो का हूँ मेहमान चला जाऊंगा। में हूँ दुनिया से परेशान चला जाऊंगा। करता रहता हूँ सफ़र रात दिन कमाने को। लोग पीछे पड़े ज़िन्दगी की जंग हराने को।। फिर भी रुकता नही मैं कभी थकता नही। चंद रुपयों के लिए मैं कभी बिकता नही।। करके तेरी गली सुनसान चला जाऊंगा... चंद लम्हो का हूँ मेहमान चला जाऊंगा। में हूँ दुनिया से परेशान चला जाऊंगा। दिल के हालात बयां करने को अल्फ़ाज़ नही। मेरी ये ज़िन्दगी किसी की मोहताज़ नही।। मैं तो हूँ खुद्दार बड़ी शान से रहना है मुझे। बेहरहम दुनिया से बस यह...
जन्मदिन तुम्हारा
कविता

जन्मदिन तुम्हारा

रेशमा त्रिपाठी  प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश ******************** जन्मदिन हैं तुम्हारा, यह मेरा पैगाम हैं तुमको जीना जिंदगी अपनी, सब कुछ भूल कर के तुम। अपने अरमानों को पूरा करना, हौंसलों से तुम सब कुछ भूल करके, एक नई शुरुआत करना तुम। अनुभव के ज्ञान से, निष्कर्ष पर पहुंचना तुम ज़िन्दगी का हर एहसास अपनी दृष्टिकोण से देखना तुम। ओंस की बूंदों के जैसें, तुम ही गिरना, तुम संभालना, अपनी ही चेतना से सब कुछ भूल कर के एक नई शुरुआत करना तुम। अब तक जो बितायी ज़िन्दगी, उसे याद रखना तुम किन्तु खुद को मत मिटाना, यह सदैव याद रखना तुम। किसी के यादों में, बातों में, नजरों में, अब उठने की कोशिश मत करना तुम छोड़ दो रूठना, मनाना, जताना, अग्नि परीक्षा देना तुम। ज़िन्दगी एक सफर हैं, अब किसी के लिए रुकना नहीं तुम सब कुछ भूल कर, एक नई शुरुआत करना तुम। जन्मदिन तुम्हारा हैं यह मेरा पैंगाम हैं तुमको जीना ज़िन...
नव वर्ष मे
कविता

नव वर्ष मे

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** नव वर्ष मे, नव रुप मे, नव नवल मे, नव कमल मे, नव रंग मे, नव तरंग मे, नव उदय मे, नव राग मे, नव गीत मे, नव प्रीत मे, नव उमंग मे, नव उज्जवल मे, नव नभ मे, नव सुर्य मे, नव रीति मे, नव नीति मे, नव जीत मे, नव प्रवाह मे, नव दिशा मे, नव दर्पण मे, नव ज्योति मे, नव पूजा मे, नव देश मे, नव काल मे, नव साल मे, नव चेतन मे, नव गीत मे, नव छंद मे, नव कविता मे, नव कहानी मे, नव जीवन मे, नव प्रसंग मे, नव स्नेह मे, नव प्रेम मे, नव शब्द मे, नव ज्ञान मे, नव संगीत मे, नव ताल मे, नव उम्मीद मे, नव सौगात मे, नव आश मे, नव साँस मे, नव अवसर मे, नव चाह मे, नव स्फूर्ति मे, नव थकावट मे, नव पथ मे, नव पहचान मे, नव धर्म मे, नव जात मे, नव सोच मे, नव संकल्प मे, नव नूतन वर्ष मे, नव उपहार मे, नव सुबह मे, छांव में, नव वर्ष की, नव क्षण मे, नव रोशनी की, नव उल्लास मे, नव म...
समय
कविता

समय

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** समय को समझो समय को जानो समय को अपना प्रिय मित्र मानो समय का ख्याल करो खुद से ये सवाल करो समय अगर गुजर गया तब ना इसका मलाल करो पाषाण से कड़ा है कौन रत्न से जड़ा है कौन भिक्षुक हो या भूप यहाँ समय से बड़ा है कौन . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें...🙏🏻 आपको यह रचना अच्छी ...
मंगलमय
कविता

मंगलमय

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** तू क्षणभंगुर होते हुए भी अनंत का हिस्सा है, आकाश, वायु, जल पृथ्वी, अग्नि ने सुनाया वो किस्सा है। मोल तेरा कुछ भी नही परन्तु तू है अनमोल बिखरा दे हवा में अपनी सुगंध तेरी आत्मा परमात्मा का ही हिस्सा है। आदित्य रश्मियों कर स्वागत अंतस के तमस को बाहर कर तू अखंड ज्योति का ही हिस्सा है। ज्ञान के भवसागर से हो कर जाते है मार्ग उन्नति के, नव वर्ष की शुभघडी लिख रही तेरा ही मंगलमय किस्सा है। . परिचय :- नाम : धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अ...
प्यार
कविता

प्यार

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** दिन का सवेरा है प्यार हवा का झोंका है प्यार दिल की धड़कन है प्यार उगता सूरज है प्यार नदी की धार है प्यार तूफान की आहट है प्यार चेहरे की मुस्कान है प्यार दीपक की लौ है प्यार आग का दरिया है प्यार दो दिलों का समर्पण है प्यार कुछ कर गुजरने का जुनून है प्यार आगे प्यार को क्या नाम दें एक मीठा सा एहसास है प्यार एक दूसरे पर मर मिटने का नाम है प्यार .... . परिचय :-  सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा जन्मतिथि : ३१ अगस्त जन्म स्थान : मथुरा निवासी : बेगम बाग मेरठ साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास प्रकाशित साहित्य : जिनमें कहानी और रचनाएं प्रकाशित हुई है :- पर्यावरण प्रहरी मेरठ, हिमालिनी नेपाल, हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) इंदौर, कवि कुंभ देहरादून, सौरभ मेरठ, काव्य तरंगिणी मुंबई, दैनिक जागरण अखबार, अमर उजा...
नव वर्ष
कविता

नव वर्ष

कुमार जितेन्द्र बाड़मेर (राजस्थान) ******************** विश्वास चारों ओर अंधेरा छाया, अंधविश्वास का है पहरा। रखे विश्वास की बागडोर, होगी रोशनी नई किरणों से। मिट रहा है घनघोर अंधेरा, आज है नया साल हमारा।। संघर्ष तप रे कोमल कोमल हृदय, इंसान की स्वार्थ ज्वाला में। तप रे मृदु-मृदु तन, सूर्य की तीक्ष्ण ज्वाला में। बीत रहा है संघर्ष का अंधेरा, आज है नया साल हमारा।। उल्लास प्रातः काल नई किरणों से, पंछियों की प्यारी सी गूँज से। फूलों की महकती खुशबू से, रंगीन सवेरा बोल रहा है। नए साल के उल्लास में, मिलकर करे अभिनन्दन।। . परिचय :- नाम :- कुमार जितेन्द्र (कवि, लेखक, विश्लेषक, वरिष्ठ अध्यापक - गणित) माता :- पुष्पा देवी पिता :- माला राम जन्म दिनांक :- ०५. ०५.१९८९ शिक्षा :-  स्नाकोतर राजनीति विज्ञान, बी. एससी. (गणित) , बी.एड (यूके सिंह देवल मेमोरियल कॉलेज भीनमाल - एम. डी. एस. यू. अजमेर) निवास...
नया साल नया ज़माना
कविता

नया साल नया ज़माना

सुभाष बालकृष्ण सप्रे भोपाल म.प्र. ******************** नये साल का आ गया नया ज़माना, विगत साल पर, आँसू, नहीँ बहाना, अनुभव अनेक मिले होंगे, तुम्हेँ, जीवन मेँ उन्हेँ कभी न भूल, ज़ाना, दिन तो आते रहते, हैँ, झन्झावातोँ के, दिल मज़बूत कर, कभी न घबराना, जिंदगी मेँ ज़ब आयेँ, खुशियोँ के दिन, दोस्तोँ के संग, मस्ती मेँ खिलखिलाना, मुफलिसी के दौर, गुजर रहे, लोगोँ संग, कुछ अमुल्य क्षण भी, ज़रूर बिताना, साल तो क्या आयेंगेँ और चले जायेंगेँ, सभी लोगोँ के संग, सरलता से पेश आना . परिचय :-  नाम :- सुभाष बालकृष्ण सप्रे शिक्षा :- एम॰कॉम, सी.ए.आई.आई.बी, पार्ट वन प्रकाशित कृतियां :- लघु कथायें, कहानियां, मुक्तक, कविता, व्यंग लेख, आदि हिन्दी एवं, मराठी दोनों भाषा की पत्रीकाओं में, तथा, फेस बूक के अन्य हिन्दी ग्रूप्स में प्रकाशित, दोहे, मुक्तक लोक की, तन दोहा, मन मुक्तिका (दोहा-मुक्तक संकलन) में प्रका...
नव वर्ष अभिनंदन
कविता

नव वर्ष अभिनंदन

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** अभिनन्दन मन मंगल मय हर क्षण हो उत्सव। विप्लव आप्लावित हो, आर्त बने स्यंम कलरव। वर्षित नेह पूर्ण तम, कर दे सचराचर को। दिवा स्वपन को सत, रूपक दे सतत वर्ष नव। पर दुःख से है कंपित, सुख में भी हर्षित हों। चहुँ दिसी समता व्यापत, द्बेष का ना हो उदभव। भाव प्रबल पुष्टित हो, भ्रम हो स्वतः पलायन। उठे त्याग की अभिलाषा, परि पूरित हो भव। . . परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान और सुशीला देवी सम्...