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कविता

धुरंधर कविवर
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धुरंधर कविवर

प्रिन्शु लोकेश तिवारी रीवा (म.प्र.) ******************** बड़े धुरंधर जन्में कविवर नित नया काव्य रच देते हैं। हिय से नहीं कहा करते वो मुख देख आज कह देते हैं। काव्य संग्रह में वो कविता करमट ले ले कहती हैं। कष्ट हो रहा हमें सखी औ तु कैसे ये सहती है। मृत्यु सामने खड़ी देख कर आज बिलखती है कविता। व्हॉट्सएप विद्यालय में खूब मचलती जो कविता। हे! कविता के सृजनकार क्यों मार रहे हो कविता को। स्वयं सुतो का वध करना शोभित है क्या मात-पिता को। चीख- चीख कर कहती है वो क्यों नया रूप देते हो कविवर। निज उत्साह अर्जित के लाने क्यों भन्जन करते मेरा सर। माना की शब्द नहीं तुलसी के ना भाव भरा है सूर के जैसे। पर ऐसी भी ना करो अपाहिज की पड़ी रहूं मैं घूर के जैसे। . परिचय :-  प्रिन्शु लोकेश तिवारी पिता - श्री कमलापति तिवारी स्थान- रीवा (म.प्र.) आप भी अपनी कविताएं,...
प्रीत का दुख
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प्रीत का दुख

सरिता कटियार लखनऊ उत्तर प्रदेश ******************** प्रीत का दुख वो ही जाने जिसको प्रीत होय कड़वा जहर पीये फिर भी जान ना रवां होय फिरै जताते प्रीत की रीत ना जानै सोय रुसवाई का घूंट पिये प्रीत ना रुसवा होय प्रीत जिसम से ना नज़रों से प्रीति दिल से होय ज़िदा होकर ना मरै मरन पे जिंदा होय बंदिशों से ना जिये पहरा भी ना होय वही निभाये प्रीत जिसका रीत पे चलना होय पीड़ा दर्द वेदना का मिलता है अहसास वैद्य नही इस बीमारी का उपचार भी ना होय प्रेम गली है बहुत ही सांकरी कैसे चलना होय सरल नही है जग में मुश्किल जीना होय सरिता के प्रभु संत राजिंदर है ना कोई और जीभा से गुणगान करत दिल से मेरा होय . परिचय :-  सरिता कटियार  लखनऊ उत्तर प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानि...
प्यार कहीं खो सा गया है ….
कविता

प्यार कहीं खो सा गया है ….

हिमानी भट्ट इंदौर म.प्र. ******************** पहले शादी का सफर कुछ इस तरह रहता था .... ना कोई फोन का जरिया ना मिलना बस एक इंतजार और तड़प थी, और तड़प थी। खत का जरिया था संपर्क करने का उस लिखने के लिए को ना देखा जाता था अपने छोटे भाई बहनों से खींचने और लाने का काम किया जाता था उसके लिए उन्हें लालच दिया जाता था इंतजार में जो मजा था। उसे बयां नहीं किया जा सकता। जवाब आने पर डर रहता था कोई देख ना ले क्या बोलेगा इस लेटर को पढ़ने के लिए घर का कोना ढूंढा जाता था रिलेशनशिप प्यार की गहराई होती थी बड़ों के लिए माल होता था फिर आई ट्रंक कॉल की बारी थोड़ी छूट तो मिली बात करने में बहुत परेशानी होती थी आने के लिए आपस में टाइमिंग को सेट करना पड़ता था उससे बात करने का सिलसिला चालू हुआ वह भी क्या टाइम हुआ करता था बात करने के लिए पड़ोसी क्या कॉल किया जाता था और कट कर दिया जाता था कॉल अटेंड करने के लिए...
तड़प
कविता

तड़प

विमल राव भोपाल म.प्र ******************** हर रात गुजरती हैं तनहा शायद तुजको एहसास नहीं। एक कसक बसी हैं इस दिल में पर मिलने की कोई आस नहीं।। कहते हैं सब लोग यहाँ तू पागल हैं दीवाना हैं। शायद उसकी नज़रों में अब तेरी कुछ भी औकात नहीं ।। क्या खता करी थी हमने जो उसने ऐसा एहसान किया। एक प्यारे से मंदिर को फिर उसने सूना शमशान किया।। ताउम्र तेरा दीदार रहें इस दिल में हमेशा प्यार रहें। बददुआ तुझे में देता हूँ जा सुखी तेरा संसार रहें।। प्यारा सा पिया मिले तुझको हों खुशियाँ तेरे दामन में। अपनी तो इल्तजा हैं इतनी दम निकले तेरे आँगन में।। जेसे मझधार चढ़ी नैय्या हों बीच भँवर में खिला कमल। क्या सोच रहा हैं तु पल पल वो कभी ना तेरी हुई "विमल"।। . परिचय :- विमल राव सामाजिक कार्यकर्ता एवं प्रदेश सचिव अ.भा.वंशावली संरक्षण एवं संवर्द्धन संस्थान म.प्र. निवासी : भोपाल म.प्र आप भी अपनी क...
नाराज नजर आते
कविता

नाराज नजर आते

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** क्या हुआ कि तुम ऐसे क्यों नाराज नजर आते कभी हँसते नहीं आजकल छुपा कोई राज नजर आते तेरा चुपचाप यूँ रहना मुझे खामोश करता है कभी जो हँसते मुस्कते थे वही आवाज नजर आते क्या हुआ कि तुम ऐसे क्यों नाराज नजर आते सूरत उदास हो तेरी मुझे ये बात गवाराँ नहीं तेरी मुस्कान है ऐसी जो मुझको ताज नजर आते क्या हुआ कि तुम ऐसे क्यों नाराज नजर आते तुम्हारी दिल्लगी नही दिखती तुम्हारी वो हँसी नही दिखती मुझे बोलो या ना बोलो सुरीले साज नजर आते क्या हुआ कि तुम ऐसे क्यों नाराज नजर आते तमन्ना दिल में क्या तेरे मुझे इक बार बता तो दो तुम्हारी ये खामोशी में अलग अंदाज नजर आते क्या हुआ कि तुम ऐसे क्यों नाराज नजर आते कभी हँसते नही आजकल छुपा कोई राज नजर आते क्या हुआ कि तुम ऐसे क्यों नाराज नजर आते . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार ...
रोशन कर लूं
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रोशन कर लूं

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** रोशन कर लूं अगर तू आए मुझसे मिलने तो यह रास्ते रोशन कर लूं अगर आकर हाथ थामे मेरा तो दिल में छिपे जज्बात उजागर कर लूं तेरा इंतजार है मुझको तू आए तो य रास्ते फूलों से भर दूं अगर तुझे थोड़ा सा भी अंधेरा लगे अनगिनत दीप जला कर रख दूं बिछा कर बैठी है "सुरेखा" पलके तेरे इंतजार में तू कहे तो चरागों से, तेरी राहे रोशन कर दूं!! . परिचय :-  सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा जन्मतिथि : ३१ अगस्त जन्म स्थान : मथुरा निवासी : बेगम बाग मेरठ साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास प्रकाशित साहित्य : जिनमें कहानी और रचनाएं प्रकाशित हुई है :- पर्यावरण प्रहरी मेरठ, हिमालिनी नेपाल,हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) इंदौर, कवि कुंभ देहरादून, सौरभ मेरठ, काव्य तरंगिणी मुंबई, दैनिक जागरण अखबार, अमर उजाला अखबार, सौराष्ट्र भ...
मेरा प्रणाम
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मेरा प्रणाम

ओमप्रकाश सिंह चंपारण (बिहार) ******************** मेरे पूज्य पिता जी मेरा प्रणाम अब आप सामने नहीं है। फिर भी हृदय में उफान आप नहीं लेकिन आप की अमर वाणी आपकी त्याग की सरलता आपकी सादगी हमें तथा आपके द्वारा परिमार्जित परिवार में बिखर गया है। आपकी ऋण से लद गई है आपकी आत्मा से निकली आवाज। शायद विलीन हो गई है पंचतत्व में नश्वर शरीर के घेरे में जो था। आपकी अनश्वर आत्मा अब भी शायद उपकार में तल्लीन है ऐसा आभास होता है। लेकिन शब्द नहीं मेरे शब्दकोष में सिर्फ याद की चंद लम्हों को। जो मेरे जीवन में आपके विगत जीवन का अंश मिला है। भुलाए नहीं भूलता सृजन करता सा अभिभूत वह साकार द्विय रूप। नत-मस्तक है आज भी आपकी याद मे मेरा रोम-रोम। . परिचय :-  ओमप्रकाश सिंह (शिक्षक मध्य विद्यालय रूपहारा) ग्राम - गंगापीपर जिला -पूर्वी चंपारण (बिहार) सम्मान - हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी ...
आंसू
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आंसू

कुमारी आरती दरभंगा (बिहार) ****************** ये आंखे मुझसे पूछती है हजार बार, बहती है क्यों ये आंसू बार बार! जवाब में क्या दू उसको, वो रो रो कर भी रुलाती है मुझको ! रोकना चाहूं मै लाख उसे, पर न जाने पड़ी है मेरे पीछे कब से ! मै कहती हूं आंसू को, तुम भी सीख लो मुस्कुराना, लेकिन कह देती है मुझसे, तुम्ही ने सिखाया मुझे, रो रो कर आंखो से गिराना ! आंसू भी एक पीड़ा है, जो गिर कर आंखो को दर्द देती है ! एक बार में न सही, सौ सौ बार रोकर, चुप हो जाती है ! है किसी के पास गम के आंसू तो है किसी के पास खुशी के आंसू ! न जाने इन आंखो में, कैसे कैसे हैं आंसू ! आंसू ! आंसू ! आंसू ! . परिचय :-  कुमारी आरती निवासी : दरभंगा (बिहार) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रका...
बेलन-टाईन डे
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बेलन-टाईन डे

सुश्री हेमलता शर्मा "भोली बैन" इंदौर म.प्र. ****************** आज मामला हुवा गरम, रामू भूला पति धरम, पत्नी को तैयार कराना, उसको भारी पड़ गया, जाना था आज सिनेमा, पर टिकटे लाना भूल गया, सुध-बुध भूल गया रामू, पीटा उसने अपना करम, आज मामला हुवा गरम, उसकी पत्नी हुई क्रोधित, चण्डी का जो रूप धरा, बेलन से पीटा रामू को, जबड़ा उसका टूट गया, बेलन-टाईन मना आज, भ्रम उसका सारा टूट गया, पत्नी ने तोड़ दिये बर्तन, रामू ने पकड़े उसके चरण, आज मामला हुवा गरम । परिचय :-  सुश्री हेमलता शर्मा "भोली बैन" निवासी : इंदौर मध्यप्रदेश जन्म तिथि : १९ दिसम्बर १९७७ जन्मस्थान आगर-मालवा शिक्षा : स्नातकोत्तर, पी.एच.डी.चल रही है कार्यक्षेत्र : वर्तमान में लेखिका सहायक संचालक, वित्त, संयुक्त संचालक, कोष एवं लेखा, इंदौर में द्धितीय श्रेणी राजपत्रित अधिकारी के रूप में कार्यरत है। इससे पूर्व पी.आर.ओ. के रूप में जनसम्पर्...
कविता की चाहत
कविता

कविता की चाहत

नफे सिंह योगी मालड़ा सराय, महेंद्रगढ़ (हरि) ******************** मैं नहीं चाहती सुनकर मुझको, कोई रूठा मुस्काए। मैं नहीं चाहती की महफिल की खुशियों में गाया जाए।। मैं नहीं चाहती प्रशंसा कर, प्रेमिका को रिझाया जाए। मैं नहीं चाहती मंदिर में गा, हरि को हर्षाया जाए ।। मैं नहीं चाहती भूले, भटके राहगीर को राह दिखलाऊँ। मैं नहीं चाहती पत्थर दिल को, मोम बनाकर पिंघलाऊँ।। मैं नहीं चाहती कि हिंसक को, पाठ प्रेम का सिखलाऊँ । मैं नहीं चाहती सहानुभूति दे, आँखों आँसू बरसाऊँ ।। गा देना नफे सरहद पर जहाँ अड़े, खड़े हों वीर जवान । जिनके दम पर नींद चैन की सोता सारा हिंदुस्तान।। मुझे गा देना जहाँ न पहुँचें, औहदे और उपाधियाँ । जिनकी यादों में खड़ी हों, गुम-शुम, मूक समाधियाँ ।। . परिचय : नाम : नफे सिंह योगी मालड़ा माता : श्रीमती विजय देवी पिता : श्री बलवीर सिंह (शारीरिक प्रशिक्षक) पत्नी : श्रीमती सुशीला देवी ...
दहेज
कविता

दहेज

आस्था दीक्षित  कानपुर ******************** किसी का सेहरा सज रहा, किसी का चूड़ा जम रहा। किसी के घर बारात खड़ी, किसी की थी उम्मीदें बढ़ीं। किसी की ग़रीबी से जेब फटी, किसी नजरें पैसे में सटी। किसी ने दिल खोल जलील किया, किसी ने सिर झुका सब सह लिया। किसी की बदनामी है किसी की शान बढ़ीं, किसी की पगड़ी फिर किसी के जूतों में पड़ी। किसी का दिल फिर बेटी में उलझा रहा, किसी को बस दहेज दिखता रहा। किसी की दुनिया फिर बिक गयी, किसी की चौखटें फिर तन गयी। किसी के फिर अरमां कुचले, किसी और की जुबां के तले। किसी के लब्ज दूसरो को गढ़े, किसी की हसरतों के दाम बढ़े। किसी की सहनता ने आह भरी, किसी की लालसा फिर भी न डरी। किसी ने फिर अपनी जान गंवायी, किसी के जीवन के आड़े फिर दौलत आयी। . परिचय -  आस्था दीक्षित पिता - संजीव कुमार दीक्षित निवासी - कानपुर आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अप...
राह दिखाएगी
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राह दिखाएगी

वीणा वैष्णव कांकरोली ******************** मेरी लेखनी हर जन ह्रदय, एक दिन छा जाएगी। जिंदगी कब तक, तू खुद को आईने से बचाएगी। अभी चूभ रही हूँ जिन्हें, नुकीले कांटों की तरह। उन घावों पर, सुकुं औषधि बन वो लेप लगाएगी। क्या हश्र होगा, जब हकीकत तेरी सामने आएगी। चेहरा नकाब हटा, वो हकीकत रुबरू कराएगी। तेज झंझावत से उजड़े है, बागबान ऐ गुलशन। कर इंतजार, पतझड़ बाद बसंत बहार आएगी। ठोकर लगेगी, जिन्होंने पांव अंजान राह बढ़ाया। पूछ कर जो चले, मंजिल उनके करीब आएगी। गुजरती जिंदगी, और तू रंगीनियों में भटकता रहा। तेरी हसरतें ही, तेरा एक दिन जज्बा आजमाएगी। सपने आंखों में बहुत, पर नींद तुझे नहीं आएगी। दर्दे आशिया बनाया, ख्वाब में रात गुजर जाएगी। मौत हकीकत जान, जिंदगी आसां बन जाएगी। बची है थोड़ी, वह तो अपनों संग गुजर जाएगी। कहे वीणा नेक राह, सफलता करीब लाएगी। महल नहीं घर बना, जिंदगी जन्नत बन जाएगी। . ...
रिश्ते
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रिश्ते

राम प्यारा गौड़ वडा, नण्ड सोलन (हिमाचल प्रदेश) ******************** समाज की जड़ हैं रिश्ते, रसातल से गहरे है रिश्ते, गगन की ऊंचाई को छूते रिश्ते, हवा के झोंकों में तैरते रिश्ते, पुष्पों सी सुगंध बिखेरते रिश्ते, सलिल सदृश् प्यास बुझाते रिश्ते, स्नेह सिक्त एहसास कराते रिश्ते, मृदा से जोड़ते रिश्ते, प्रकृति की गोद में बसे रिश्ते,, इंसान को इंसान से जोड़ते रिश्ते, अलौकिकता का एहसास कराते रिश्ते, जीवन भर साथ देते रिश्ते, जीवन पर्यंत स्मरण होते रिश्ते, हमारी आन और शान हैं रिश्ते, हमारा गौरव हैं रिश्ते, विश्वास स्तंभ पर टिके हैं रिश्ते, व्यक्तित्व की पहचान हैं रिश्ते, श्रद्धा के पुंज हैं रिश्ते ....   परिचय :-  राम प्यारा गौड़ निवासी : गांव वडा, नण्ड तह. रामशहर जिला सोलन (सोलन हिमाचल प्रदेश) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित ...
आ पिला दे आंखों से
कविता

आ पिला दे आंखों से

दिलीप कुमार पोरवाल (दीप) जावरा म.प्र. ******************** आ पिला दे आज आंखों से इतनी दीप न नाम ले मयखाने का कभी हो जाए मदहोश पी के नजर का जाम हो जाए तो हो जाए यह बात आम नैन तेरे जैसे दो प्याले होठों पर है जो बात आज कह डाले जी रहे हैं तन्हाई में तेरी यादों के सहारे चूम लूं लबों को लेकर बाहों में अपने मन से जो तू मिल जाए जला दे प्यार का दीप प्यार का दीप कर दे जीवन में उजियारा हुई शाम तो तेरा ख्याल आया जुबां पे सिर्फ तेरा नाम आया आ पिला दे आज आंखों से इतनी दीप न ले नाम मयखाने का कभी . परिचय :- दिलीप कुमार पोरवाल “दीप” पिता :- श्री रामचन्द्र पोरवाल माता :- श्रीमती कमला पोरवाल निवासी :- जावरा म.प्र. जन्म एवं जन्म स्थान :- ०१.०३.१९६२ जावरा शिक्षा :- एम कॉम व्यवसाय :- भारत संचार निगम लिमिटेड आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा...
बचपन
कविता

बचपन

मित्रा शर्मा महू - इंदौर ******************** कुछ धुंधली सी याद है बचपन की कुछ टूटी हुई निशानियां, कुछ अनकही कहानियां, बेदर्द जिंदगी की यादों की लड़ियां। वह परियों का देश वह ख्वाबों की दुनियां वह सात समुंद्र पार राज कुमार की दुनियां। चंदा मामा को यह कहते सोना, कल सोने कि छोटी सी कटोरी गिरा देना। वो भोर सुबह में कटोरी ढूंढ ना ना मिलने पर उम्मीदों की चादर में तारे गिनना। ढूंढा करती है आंखे और मन अब भी वह पल छीन, वह मासूम सुबह और खुशनुमा दिन। ए जिंदगी ले चल मुझे वही बचपन में न रहे कोई कोई खौफ सफ़र में। . परिचय :- मित्रा शर्मा - महू (मूल निवासी नेपाल) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमे...
दोस्त
कविता

दोस्त

डॉ. बी.के. दीक्षित इंदौर (म.प्र.) ******************** दोस्त हैं ज़िंदगी पर सभी तो नहीं। ढूँढ़ इक मित्र, जिसमें कमी तो नहीं? जो सभी के रहें, मत मानो उन्हें। दोस्त हैं ये नहीं, थोड़ा जानो इन्हें। जो हवा देख कर रुख़ बदला करें। वह किसी के नहीं, आप समझा करें। बात हर बात में, वो जो बदला करें। दोस्ती ये नहीं जी, क्यों सज़दा करें? यूँ तो दुनिया में होता, फ़क़त स्वार्थ है। हुआ और न होगा .... कोई निस्वार्थ है। महज़ पहिचान को, तुम दोस्ती मत कहो। जश्ने शिरक़त रहे, खुशक़िस्मती भर रहो। जो छुपाएं सभी कुछ, न बतायें कभी। मिलें वो सभी से .... न मिलायें कभी। महफ़िलों में बुलाकर ... तबज़्ज़ो न दें। है दोस्ती खूब गहरी, पर इज़्ज़त न दें। दोस्त दुश्मन में , जो फ़र्क़ जाने नहीं। बिजू दोस्त उनको, कभी माने नहीं।   परिचय :- डॉ. बी.के. दीक्षित (बिजू) आपका मूल निवास फ़र्रुख़ाबाद उ.प्र. है आपकी शिक्षा कानपुर में ग्रहण क...
कुछ आपको भी सुनाऊँ
कविता

कुछ आपको भी सुनाऊँ

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** लालसा है मन मे आपके दिल मे जगह बनाऊँ बातें है अपने मन की कुछ आपको भी सुनाऊँ। मुझे स्वीकार है अपनी त्रुटियां बुरा न मानना अगर आपकी भी गिनाऊँ। मैं आपसे अलग नही प्रतिबिंब हूँ आपका विश्वास नही होता क्या आईना दिखाऊँ हमारे बीच ये दूरियां क्यो नज़दीक आने में डर सा क्यो दर्जे तो हमारे बनाये हुए है क्या समय का पहिया घुमाऊँ कुछ आपको भी सुनाऊँ कुछ आपको भी सुनाऊँ . परिचय :- नाम : धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आद...
तुम चांद में नजर आए
कविता

तुम चांद में नजर आए

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** तुम मुझे चांद में नजर आए मेरे जज्बात में नजर आए तेरे मेरे दरमियां हुई जो मुलाकातें हर मुलाकात में नजदीकियां नजर आए जब भी मेरे तुम नजदीक आए मैंने हर लम्हा अपने आप से चुराए धड़कन ए रफ्तार पकड़ लेती है तुम्हारे छूने से तुम्हारा हाथ लगते ही तुम मुझ में समाते नजर आए कशिश है जो तेरी आंखों में तेरी बातों में तेरी उन आंखों में डूबती नजर आई तू मुझे चांद में नजर आए मेरे जज्बात में नजर आए।। . परिचय :-  सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा जन्मतिथि : ३१ अगस्त जन्म स्थान : मथुरा निवासी : बेगम बाग मेरठ साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास प्रकाशित साहित्य : जिनमें कहानी और रचनाएं प्रकाशित हुई है :- पर्यावरण प्रहरी मेरठ, हिमालिनी नेपाल,हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) इंदौर, कवि कुंभ देहरादून, सौरभ मेरठ, काव्...
देश प्रेम दिवस
कविता

देश प्रेम दिवस

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** आधुनिकता की होड़ में। वैलेंटाइन डे .........नहीं। देश प्रेम दिवस मनाएंगे। आज के दिन देश की खातिर। जिन शहीदों को हुई फांसी। उन्हीं देशभक्त भगत सिंह-राजगुरु- सुखदेव की याद में देश प्रेम दिवस मनाएंगे। आधुनिकता की होड़ में , वैलेंटाइन डे .........नहीं। देश प्रेम दिवस मनाएंगे। आज के दिन...... देश की खातिर। पुलवामा में ... जो शहीद हुए। उन शहीदों की शहीदी पर। नतमस्तक हो जाएंगे। वैलेंटाइन डे ........नहीं। देश प्रेम दिवस मनाएंगे। मत खोने दो मूल्य प्रेम का। प्रेम को एक दिन में, नहीं समा पाओगे....? यह तो अनंत..... हर दिन का आधार है। हम हर दिन को, मूल्यवान बनाएंगे। आधुनिकता की होड़ में , वैलेंटाइन डे ..........नहीं। देश प्रेम दिवस मनाएंगे।। . परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश आप भी अपनी कविताएं,...
प्रेम
कविता

प्रेम

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** प्रेम से भरी चान्दिनी रात प्रेमान्जली सी ओश की बुंदे प्रेमहरित दरख्त के पत्ते प्रेम व्यार की मदहोशी प्रेम सुधा से भरी ये नदियाँ प्रेम कुसुम हर डाल खिले प्रेम गीत पंछी की गुंजन प्रेम रंग सा इन्द्रधनुष प्रेम एक है ऐसा भी प्रेम जो तेरा मुझसे है प्रेम प्रभा से चमकीला प्रेमान्जली से निर्मल प्रेम हरित से हरा है जो प्रेम व्यार से स्वच्छ है वो प्रेम सुधा से ज्यादा अमृत प्रेम कुसुम से ज्यादा कोमल प्रेम गीत से मीठा ज्यादा प्रेम रंग से रंगीला है प्रेम जिसका कोई नाम नही प्रेम अनोखा तेरा मेरा प्रेम दिवस के इस प्रेम भरे उत्सव में प्रेमोपाशक मैं कंचन प्रेम हृदय अपने विकास को प्रेमोपहार यह अपनी प्रेम कविता सौहार्द्र्पूर्ण प्रेम भेंट करती हूँ . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार सम्मान - हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hind...
घने कोहरे
कविता

घने कोहरे

ओमप्रकाश सिंह चंपारण (बिहार) ******************** घने कोहरे की बीरानंगी में- छिपी दुबकी जिन्दगी । सूर्य की प्रखर किरणों की ताप से- उल्लसित, सुवासित, मुखरित हो उठी है। विद्यालय में आज में देखता हूं- छात्र-छात्राओं की संख्या में बेतहासा- बृद्धि समृद्धि सी हो गयी है। खिले धूप में ही पढ़न-पढ़ान कार्य आरंभ हो गई है नामांकन से उत्साहित- छात्र-छात्राएं एक नई जीवन की- उम्मीद बाद एक नई स्फूर्ति के साथ। नए वर्ग में मां सरस्वती की आराधना में- अपने आप को संलग्न जिंदगी की ओर स्नेह और करुणामई याचना से- ओत-प्रोत मां की कर कमलों में समर्पित। अर्पित कर रही है अपनी सब कुछ ..... . परिचय :-  ओमप्रकाश सिंह (शिक्षक मध्य विद्यालय रूपहारा) ग्राम - गंगापीपर जिला -पूर्वी चंपारण (बिहार) सम्मान - हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख...
प्रेमदिवस विशेष
कविता

प्रेमदिवस विशेष

सरिता कटियार लखनऊ उत्तर प्रदेश ******************** तू प्यार है हमारा इकरार कर लिया है तेरे इश्क के ही रंग में मैने खुद को रंग लिया है अब ज़िन्दगी का मेरी तू ही बने पिया है ये सपना मैंने तुझसे साकार कर लिया है जज़्बात ए मोहब्बत का इज़हार कर दिया है दुनिया के सारे रिश्तों से तकरार कर लिया है लाइलाज है बीमारी पर बीमार कर लिया अब दवा या तू ज़हर दे स्वीकार कर लिया है अपनाये या तू मेटे ग़म ए दर्द सर लिया है मैनें तो अपना जीवन बर्बाद कर लिया है उलफ़त में दिल बेकाबू कर कर तड़प लिया है सकते ना कर कभी हम वो गुनाह कर लिया है ये जानती न सरिता क्या इसने कर लिया है राहे इश्क़ में ही खुदको रुसवा कर लिया है . परिचय :-  सरिता कटियार  लखनऊ उत्तर प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपन...
दर्द लिखती हूं
कविता

दर्द लिखती हूं

मनीषा व्यास इंदौर म.प्र. ******************** दर्द लिखती हूं, मनन करती हूं। दुआ मिलती रहे, ऐसी इबादत करती हूं। शब्द गढ़ती हूं, भाव पढ़ती हूं। मन कांच सा हो पारदर्शी, ईश्वर से विनती, करती हूं। बैर हो न किसी का किसी से। आत्म विश्वास इतना संजो दे, प्रभु से यही प्रार्थना करती हूं।   परिचय :-  मनीषा व्यास (लेखिका संघ) शिक्षा :- एम. फ़िल. (हिन्दी), एम. ए. (हिंदी), विशारद (कंठ संगीत) रुचि :- कविता, लेख, लघुकथा लेखन, पंजाबी पत्रिका सृजन का अनुवाद, रस-रहस्य, बिम्ब (शोध पत्र), मालवा के लघु कथाकारो पर शोध कार्य, कविता, ऐंकर, लेख, लघुकथा, लेखन आदि का पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन सम्मान - हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान एवं विधालय पत्रिकाओं की सम्पादकीय और संशोधन कार्य  आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के ...
चाँद खामोश है
कविता

चाँद खामोश है

रंजना फतेपुरकर इंदौर (म.प्र.) ******************** चाँद खामोश है चांदनी उदास है यादों को तरसती हर सांस को किसी आहट का इंतज़ार है लम्हों को थामकर जो चिराग रोशन किये उस रोशनी को किसी मुलाकात का इन्तज़ार है रात की तनहाइयों में फ़िज़ा भी उदास है भीगी पलकों से बहते सैलाब को सुहाने ख्वाबों का इन्तज़ार है अरमानों की राह पर जिस मोड़ पर ठहर गए उस मोड़ पर किसी हमसफर का इंतज़ार है . परिचय :- नाम : रंजना फतेपुरकर शिक्षा : एम ए हिंदी साहित्य जन्म : २९ दिसंबर निवास : इंदौर (म.प्र.) प्रकाशित पुस्तकें ११ हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान सहित ४७ सम्मान पुरस्कार ३५ दूरदर्शन, आकाशवाणी इंदौर, चायना रेडियो, बीजिंग से रचनाएं प्रसारित देश की प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएं प्रकाशित अध्यक्ष रंजन कलश, इंदौर  पूर्व उपाध्यक्ष वामा साहित्य मंच, इंदौर ...
ना जाने क्यों ?
कविता

ना जाने क्यों ?

डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी उदयपुर (राजस्थान) ****************** ना जाने क्यों? धरती का अक्ष मेरे घर को कुछ डिग्री झुका देता है। ना जाने क्यों? मेरे हिस्से का चाँद किसी और की छत से दिखाई देता है। ना जाने क्यों? सातों घोड़े सूरज के मेरे निवास की खिड़की में हिनहिनाते नहीं। ना जाने क्यों? ब्रह्मांड के चेहरे की झुर्रियां मेरे मकां की नींव को कंपकंपाने लगती हैं। ना जाने क्यों? अनगिनत सितारों की अपरिमित ऊर्जा मेरे छप्पर पर बिजली बन कर गिरती है। ना जाने क्यों? अनन्तता में स्थित तिमिर मेरे गृह-प्रकाश को लील लेता है। ना जाने क्यों फिर भी! मानस में जलता उम्मीद का दीपक मेरे घरौंदे में इक लौ पैदा कर देता है। ना जाने क्यों... सब-कुछ मिलकर भी यह दीपक बुझा नहीं पाए..... . परिचय :-  नाम : डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी शिक्षा : पीएच.डी. (कंप्यूटर विज्ञान) सम्प्रति : सहायक आचार्य (कंप्यूटर विज्ञान) साहीत्...