किताब
हिमानी भट्ट
इंदौर म.प्र.
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किताब उठाकर पढ़ना चाहा,
पर यह इंटरनेट आडे आ जाता है।
अब तो इस इंटरनेट ने
पुस्तकों का दाम घटा दिया है।
उठाऊं किताबें, पढ़ु कुछ ज्ञान की बातें,
दोहा और चौपाई,
पर ये इंटरनेट आड़े आ जाता है।
१ दिन लिख डाली खूब कविता कहानी,
अब छपाकर बनाऊं संग्रहालय,
और फिर से यह इंटरनेट आड़े आ जाता है।
मान करो सम्मान करो,
इसमें समावित सारा ज्ञान है।
एक बार दिल से स्वीकार करोगे,
समंदर की गहराई में खो जाओगे।
कद्र करो, आज अनमोल किताबें
बिक रही है रद्दी में।
हो रहा है, दुरुपयोग ।
बन रही है, इन कागजों की
पुड़िया दुकानों में।
मत इतना इतराओ इंटरनेट पर,
आज नहीं तो कल
किताबों का मूल चुकाना है।
पता है आज इंटरनेट का जमाना है,
पर जब बिजली ही ना रही ,
तो सिर्फ किताबों का ज्ञान ही काम आना है।
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परिचय :- हिमानी भट्ट ब्रांड एंबेसडर स्वच्छता अभियान, इंदौर
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