संगीत-महिमा
कु. हर्षिता राव
चंदू खेड़ी भोपाल म.प्र.
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जब तुम बजाते हो कोई गीत,
मेरे हृदय का बन जाता है वो मधुर संगीत...
सरगम के सुर बस जाते मन में,
ऐसे सहला जाते हैं तेरे गीत...
कभी सुर सितार में बहते हैं,
गुनगुनाने लगती है मेरी प्रीत...
सुख-दुख के सारे मौसम,
तेरे गीतों में सजते हैं...
यह साज़ नहीं है तारों में,
यह साज़ दिलों से बजते हैं...
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परिचय : कु. हर्षिता राव
पिता - श्री रमेश राव पेंटर (प्रेरणा स्त्रोत)
निवासी - चंदू खेड़ी भोपाल म.प्र.
शिक्षा - एम.ए.हिंदी साहित्य में अध्ययनरत,
राष्ट्रीय सेवा योजना (एन.एस.एस) की स्वयं सेविका एवं सामाजिक कार्यकर्ता।
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