अनंत
संजय वर्मा "दॄष्टि"
मनावर (धार)
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कठिनाइयों में
सोचने की शक्ति
आर्थिक कमी से
बढ़ जाती
संपन्न हो तो सोच की
फुरसत हो जाती गुम
अपनी क्षमता
अपनी सोच
बिन पैसों के
हो जाती बोनी
पैसे हो तो
घमंड का बटुवा
किसी से सीधे मुँह
बात कहा करता?
बड़े होना भी अनंत होता
हर कोई एक से बड़ा
छोटा जीता
अपनी कल्पना
आस की दुनिया में
आर्थिकता से भले ही छोटा हो
मगर दिल से बड़ा
और मीठी वाणी से
जीत लेता
अपनों का दिल
बड़प्पन की छाया में
हर ख़ुशी में
वो कर दिया जाता
या हो जाता दूर
इंसान का ये स्वभाव नहीं होता
पैसा बदल जाता
उसके मन के भाव
जिससे बदल जाते स्वभाव
जो रिश्तों में दूरियां बना
मांगता ईश्वर से
और बड़ा होने की भीख
बड़ा होना इसलिए तो
अनंत होता।
परिचय :- संजय वर्मा "दॄष्टि"
पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा
जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन)
शिक्षा :- आय टी आय
व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग)
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