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कविता

बारिश की बूंदें
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बारिश की बूंदें

विनोद वर्मा 'दुर्गेश' तोशाम (हरियाणा) ******************** बारिश की बूंदें बरसी मन मेरा हर्षाए। सावन का मस्त महीना प्रियतम की याद दिलाए। तन भीगा और मन भीगा आँचल भी भीगा जाए। पहले सावन की बारिश जियरा मेरा चुराए। टप-टप गिरती बूंदे और पंछी शोर मचाएं। साजन बिन सूना सावन विरह आग लगाए। बूंदों की बौछार में मन शीतल हो जाए। गर साथ तेरा हो साजन सावन पावन हो जाए। परिचय :-विनोद वर्मा 'दुर्गेश' निवासी : तोशाम, जिला भिवानी, हरियाणा आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमेंhindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी क...
अश्क
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अश्क

निर्मल कुमार पीरिया इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** दिल मे जो बसा है वो, आँखों मे दिखने लगा, पोरो पे आ छुप जाता, क्यू मुझमे बसने लगा..? कब तक सहेज रखूंगा? अब ज्वार सा उठने लगा, साहिल को आतुर मौजे, बन भवँर,हैं घुमड़ने लगा... समंदर दबा रखा था, बरबस छलकने लगा, ये आब था रुका-सा, तुझे देख,फ़फ़कने लगा... हैं खता क्या जो उसकी? हो खफा दुर जाने लगा, था मर्ज चंद हर्फो का, हकीम आज़माने लगा... परिचय :- निर्मल कुमार पीरिया शिक्षा : बी.एस. एम्.ए सम्प्रति : मैनेजर कमर्शियल व्हीकल लि. निवासी : इंदौर, (म.प्र.) शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित और अप्रकाशित हैं आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी ...
किसे चुनें
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प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** जिंदगी अगर खुद को चुनती। फिर वो मौत का फंदा ना बुनती। जिंदगी अगर खुद को चुनती। दूसरों पर रखी , उम्मीद जब है थमती।। खुद को हार कर, जिंदगी की आस जब है जमती।। जिंदगी अगर खुद को चुनती। फिर वो मौत का फंदा ना बुनती।। जिंदगी अगर खुद को चुनती। कर खुद पर भरोसा, जब तक, सांसों की डोर है चलती।। साथ अपने हिम्मत से, हर बात है बनती। मुश्किलें दौर भी, आकर चला जाएगा। बदल अपनी सोच , सब कर है सकती।। खुद से जो फिर हार गया, अपने सामने ही, हथियार डाल गया। मौत उसे है चुगती।। जिंदगी जब खुद को चुनती। फिर वो, जिंदगी की कहानियां ही बुनती।। परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहान...
यादें जीवन की
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यादें जीवन की

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** (अभिनेता सुशांत सिंह की आत्महत्या पर) इतनी-सी क्या देर हो गई तुझे, तुम्हें आए कितना दिन हुआ, ऐसे कोई थोड़े जाता है भला क्या, ये जिंदगी कोई खेल थोड़े है, चौतीस यैवन देख चुके तुम, क्या इतना ही ज्यादा हो गई, इस छोटी-सी जिंदगी मे, जीवन क्यों मजबूर हूई, अभी सारा जीवन बाकी था, शुरुआत तो अब हुई थी, दूसरे की हौसला देने वाले, स्वयं क्यूँ तू हार गए तुम, इस नश्वर दुनिया मे तुम, मौत को क्यूँ दोस्त बना लिए तुम, अभी और अधियारा आता भी, इतनें मे क्यूँ हार गए तुम, जीने का सलीका सिखाने वाले, स्वयं सलीका भुल गए तुम, युवा जीवन के पायदान पे चढ़ते, दुनिया से क्यूँ रूठ गए तुम, सबके चेहरे पे हँसी लाने वाले, स्वयं डिप्रेशन मे चले गए तुम, इस बेखुदी दुनिया मे, जीवन से हार गए तुम ! परिचय :- रूपेश कुमार छात्र एव युवा साहित्यकार शिक्षा - स्नाकोतर भौतिकी...
मजदूर और शहर
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मजदूर और शहर

दीपाली शुक्ला कसारडीह दुर्ग (छत्तीसगढ़) ******************** शहर तू क्या उसे भूला पाएगा? जो सहमा सा है शहर तू आँचल में छिप जाएगा, खून पसीना सींच भी वह ममता न पाएगा, उॅगली पकड़ चलाया जिसने तू उसे भूला जाएगा, मकान तो छोड़ ही दे वह चारदीवारी न पाएगा, वह जानता नहीं क्या मिला उसे यहाॅं, न जानता है वहाॅं क्या मिल पाएगा, जिस तरह जानता है हर डगर को वह यहाॅ, उसके इस सफर को क्या कोई समझ पाएगा, कभी खुद को न तुझसे मिला पाएगा, दिल में फिर भी न तूझसे गिला पाएगा, अपना न सका तू अलविदा भी न कह पाएगा, क्यों तेरे खातिर वह मिट्टी वतन की छोड़ आएगा, बापू ! पूछना मत अब, कब तक लौट आएगा, यह जवान बाजूओं के दम से, सैलाब न रोक पाएगा, बापू बेटा चला है तेरा भी, और मेरा भी, दुआए पहुॅची उस तक, तो एक तो लौट ही जाएगा, सपने जिससे सहेजे थे, वह ताले तोड़ लाएगा, हर चीज उस पेटी की हकीकत ही बेच खाएगा, उसकी बाती बिना तू आँगन...
रोशनी की किरन
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रोशनी की किरन

शरद सिंह "शरद" लखनऊ ******************** दूर बहुत दूर एक रोशनी की किरन दृष्टि गोचर होती है, मन मयूर बिना कुछ विचार किए, थिरक उठता है पाॅव अनायास ही ता ता थैया की, ताल पर थिरक उठते हैं, मधुर शहनाई गूंज उठती है, दिल के सूने आॉगन मे, रोम-रोम पुलकित हो उठता है, अनजाने मिलन से, मन वीणा के हर तार से, स्वर लहरी फूट पड़ती है एक खूबसूरत स्वर्ग सा, अहसास होने लगता है, यूॅ अहसास होता है मानो, कदम-कदम पर खुशियों के, महकते फूलों की विशाल चादर बिछी है, मन चंचल हो दौड़ पड़ता है इधर-उधर, और अन्तस तल मे अनजानी सी मस्ती छा जाती है मानो कोई आवारा भॅवरा, गुंजार करे हर डाली पर..... परिचय :- बरेली के साधारण परिवार मे जन्मी शरद सिंह के पिता पेशे से डाॅक्टर थे आपने व्यक्तिगत रूप से एम.ए.की डिग्री हासिल की आपकी बचपन से साहित्य मे रुचि रही व बाल्यावस्था में ही कलम चलने लगी थी। प्रतिष्ठा फिल्म्स एन्ड...
मंदिर-मस्जिद और चिड़िया
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मंदिर-मस्जिद और चिड़िया

रंगनाथ द्विवेदी जौनपुर (उत्तर-प्रदेश) ******************** मै देख रहा था अभी जो चिड़िया मंदिर के मुँडेर पे बैठी थी, वही कुछ देर पहले मस्जिद के मुँडेर पे भी बैठी थी. वहाँ भी ये अपने पर फड़फड़ाये उतरी थी, चंद दाने चुगे थे, यहाँ भी अपने पंख फड़फड़ाये उतरी, और चंद दाने चुग, फिर मंदिर की मुँडेर पे बैठ गई. फिर जाने क्यूँ एक शोर उठा, मंदिर और मस्जिद में अचानक से लोग जुटने लगे, और वे चिड़िया सहम गई. शायद चिड़िया को मालूम न था कि वे, जिन मंदिर-मस्जिद के मिनारो पे, अभी चंद दाने चुग, अपने पंख फड़फड़ाये बैठी थी, उसमे हिन्दू और मुसलमान नाम की कौमे आती है, जहा से हर शहर और गाँव के जलने की शुरुआत होती है, और हुआ भी वही, फिर उस चिड़िया ने अपने पर फड़फड़ाये मिनार से उड़ी, और फिर कभी मैने उस चिड़िया को, शहर के दंगो के बाद, दाना चुग पर फड़फड़ा, किसी मंदिर या मस्जिद की मिनार पे बैठे नही पाया, शायद वे चिड़...
जीवन का उद्देश्य
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जीवन का उद्देश्य

सतीश गुप्ता नरसिंहपुर ******************** अब खामोशी बांटने को महक दे तो सही उठा के हाथ से अपने गुलाब दे तो सही आया है कुछ करने को जानता है सनम उठाकर नैनों से नजरिया बांट तो सही इतिहास है सिखलाता है पल-पल यहां फिर विस्फोट कर नई गंगा बहा तो सही भरोसा है भीतर का भाव महकेगा यहां खुद को खुदी से मधुबन बना तो सही उठा के दिल से कुछ शोरगुल कर यहां खामोशी जागृत कर खुशबू दे तो सही माता-पिता हैं बचपन महकता है यहां बुढ़ापा आया तब सहारा बन तो सही नजरिया पावन हो यू कौन मारे यहां आज दर्द उनका उधारी तो कर सही . परिचय :- सतीश गुप्ता जन्मतिथि : १५-०३-५२ निवासी : नरसिंहपुर कार्यक्षेत्र : रिटायर्ड टीचर लेखन के कार्य में रुचि कविता, गजल, पिरामिड हाइकु छंद आदि। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी...
मेरी आस्था
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मेरी आस्था

अर्चना अनुपम जबलपुर मध्यप्रदेश ******************** मूर्ति पूजा की आलोचना के प्रतिउत्तर स्वरुप प्रथम प्रयास बिखर जाते हैं बनाने हमारा वजूद खुद चोट खाकर। रौंदे गए होकर मिट्टी अपनी रौनक गंवाकर।। जिससे बनी ये सारी कायनात है कीमती हर पत्थर निर्भर जिसपर सिर्फ इंसान नहीँ भगवान् है।। अगर गलत है इसे पूजना तो सिर्फ इतना बता मेरे दोस्त बिन मिट्टी और पत्थर के वजूद है किसका?? किसमें है दम जो मूल चुका दे ब्याज सहित इसका?? जर्रा जर्रा इसी ने बनाया है। तुझे दी ये अनमोल काया है।। गर चुका नहीँ सकते मूल ; तो नहीँ कभी भूलेंगे फक्र से ताउम्र पत्थर की मूरत पूजेंगे।। अपनी आलोचना का डर किसी और को दिखाना । आइन्दा मेरी आस्था पर अंगुली नहीँ उठाना।। तुम करोगे निंदा हमारी थोथे बन बैठे बड़े, ना वेद पढ़े ना शास्त्र पढ़े नित बने आलोचक ही मनगढे। ना नीति रची ना गीति वची वैचित्र कुंठाजित मूढ़मढें।। केवल कर्मों का ...
राजपूत सुशांत
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राजपूत सुशांत

बिपिन कुमार चौधरी कटिहार, (बिहार) ******************** राजपूत सुशांत, तेरे चाहने वाले आज बहुत अशांत, पवित्र रिश्ता से बनाया अपनी पहचान, पर्दे पर किया तूने जीवंत, द ग्रेट धोनी महान, जिंदादिली थी तेरी पहचान, सोसल मीडिया पर तेरे लाखों फॉलोअर्स, सभी बिहारियों का तूं था अभिमान, फिर किस बात ने किया तुझे यूं परेशान, किंकर्तव्यमुढ़ कर गया तेरा देहांत... परिचय :- बिपिन कुमार चौधरी (शिक्षक) निवासी : कटिहार, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें ...
इंसान और प्रकृति
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इंसान और प्रकृति

मुकुल सांखला पाली (राजस्थान) ******************** तेरा जैसा इस दुनिया में, कोई नहीं, रे इंसान! अपने स्वार्थ के खातिर तू हर लेता जीवों के प्राण। जितना तू लालच करेगा, अपने पाप का घडा भरेगा। कवि मुकुल तुझसे है कहता, कहे बिना अब ये नहीं रहता। प्रकृति से तू क्यों कर रहा खिलवाड? इसी का परिणाम है, कभी भूकंप, कभी बाढ। बार-बार संकेत देकर प्रकृति ने तुझे समझाया। आंखो पर बंधी लालच की पट्टी तू इसे समझ नही पाया। आधुनिकता की होड में तू हो जायेगा बरबाद। बिना प्रकृति और जीवो के कैसे रहेगा तू आबाद? कुछ पैसे के खातिर तू लेता जीवों की जान तेरे जैसा इस दुनिया में कोई नहीं, रे इंसान! परिचय :- मुकुल सांखला सम्प्रति : अध्यापक राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, खिनावडी, जिला पाली निवासी : जैतारण, जिला पाली राजस्थान आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो क...
गुनाह क्या है
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गुनाह क्या है

विवेक रंजन 'विवेक' रीवा (म.प्र.) ******************** मेरे पैरों में जब भी काँटा चुभा, उस बेदर्द से बस यही मैंने पूछा- बताओ ना तुमने क्यों घायल किया है? कहता नफ़रत का मैंने हलाहल पिया है। जिया हूँ बहुत सियाही रातें, कभी तो पूनम मुझे मिलेगी। मगर कभी ना मुझे लगा था, मेरी ही कली यूँ मुझे छलेगी। अरे ! मैं तो जी भर के तोड़ा गया हूँ, किस्मत के हाथों मरोड़ा गया हूँ। नहीं देख पाया बहारों के सपने, खिज़ा की तरफ ही मोड़ा गया हूँ। इसलिये चुभता और चुभाता हूँ सबको, एहसास उसी दर्द का कराता हूँ सबको। मेरे पास तो है बस घृणा की विरासत, वही बाँटता फिरता रहता हूँ सबको। बाँटकर भी ये नफ़रत ना कम हो सकेगी, रेत सेहरा की भी क्या शबनम हो सकेगी?? एक ही कोंपल,डाल के हम थे साथी, मगर फूल ने मेरी दुनिया भुला दी। मैंने हर पल सजाया,संवारा कली को, भंवरे से प्रेम की लौ उसने जला दी। कहती चुभने लगे हो तुम हर सांस में, और...
समय करता नहीं इंतजार
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समय करता नहीं इंतजार

रमेशचंद्र शर्मा इंदौर मध्य प्रदेश ******************** समय करता नहीं इंतजार ! मानव, थोड़ा सोच विचार !.. समय करता नहीं इंतजार पहियां, हर पल चलता है, जीवन, हर क्षण छलता है, मति, मानव की मरती है, मनमानी वह करती है, समय संचालित संसार !.. समय करता नहीं इंतजार सुख-दुख इसके गहने हैं, हानि लाभ, सबको सहने हैं, दिन-रात, इसका उपक्रम है, मैं - मेरा, सबका संभ्रम है, समय का सौ टका व्यवहार !.. समय करता नहीं इंतजार राजा रंक इसके बल से, बनते मिटते इसके छल से, जीवन मृत्यु समय का बंधन, मोह माया पीड़ा क्रंदन, झूठी सारी मनुहार !.. करता नहीं इंतजार राई को पर्वत कर देता, आंखों में सिंधु भर देता, छल कपट से बचना है, पाप प्रपंच से हटना है, करता सबका संहार !.. समय करता नहीं इंतजार परिचय : रमेशचंद्र शर्मा निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश स्वरचित मौलिक अप्रकाशित रचना आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिन्दी र...
गौरैया
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गौरैया

मनीषा व्यास इंदौर म.प्र. ******************** क्या फिर इस प्रदूषण में मखमल सी हरियाली फैलेगी? फिर इन सीमेंट के जंगलों में कोई गौरैया चेहकेगी ? क्या फिर इस धरा पर बसंत की खुशबू महकेगी? क्या फिर धरा हरी भरी अदाओं से, कवियों की लेखनी बन पाएगी? या धीरे धीरे ये लेखन भी कंक्रीट के जंगल पर निर्भर होगा? क्या आम की अमराइयों की महक से कोयल कूकेगी? फिर असली गुलाबों की महक महकेगी? या कभी जूही की कलियां भी मनमोहक महक मेहकाएंगी। बचा लो इस धरा को प्रदूषण के असर से धरा फिर फूलों की बहार बन जाएगी। धरती में फिर छा जाएगी हरियाली। गौरैया फिर अपने सपनों की उड़ान भरेगी। परिचय :-  मनीषा व्यास (लेखिका संघ) शिक्षा :- एम. फ़िल. (हिन्दी), एम. ए. (हिंदी), विशारद (कंठ संगीत) रुचि :- कविता, लेख, लघुकथा लेखन, पंजाबी पत्रिका सृजन का अनुवाद, रस-रहस्य, बिम्ब (शोध पत्र), मालवा के लघु कथाकारो पर शोध कार्य, कविता, ऐंकर,...
नारी
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नारी

ममता रथ रायपुर ******************** नारी तू मौन है पर तुझमें शब्दों की कमी नहीं भीतर आवाज बहुत है पर बोलती कुछ भी नहीं चाहतें तो बहुत है तेरी पर उम्मीद किसी से करती नहीं चाहे कितने भी दर्द हो दिल में पर दूसरों के सामने अपना दर्द कहती नहीं नारी तू मौन है पर तुझमें शब्दों की कमी नहीं परिचय :-  ममता रथ पिता : विद्या भूषण मिश्रा पति : प्रकाश रथ निवासी : रायपुर जन्म तिथि : १२-०६-१९७५ शिक्षा : एम ए हिंदी साहित्य सम्मान व पुरस्कार : लायंस क्लब बिलासपुर मे सम्मानित, श्री रामचन्द्र साहित्य समिति ककाली पारा रायपुर २००३ में सांत्वना पुरस्कार, लोक राग मे प्रकाशित, रचनाकार में प्रकाशित आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, ले...
बेटियां
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बेटियां

नम्रता गुप्ता नरसिंहपुर ******************** मै कहानियों की दुनिया की सैर कराने आयी हूं अपने ही एक किरदार को मै आज समझने आयी हूं बेटी बन में आज बेटी की परिभाषा बतलाने आयी हूं कहानी की कोई परी होती है बेटियां नाजुक छुईमुई सी होती है बेटियां जरूरत पड़े तो काली बन संहार करती है बेटियां नया सृजन कर दुनिया बनाती है बेटियां फिर क्यों दुनिया पर ही बोझ कहलाती है बेटियां फूल की कोमल कली सी होती है बेटियां पल-पल अपनी जड़ों को मजबूत करती है बेटियां पापा की राजदुलारी होती है बेटियां मां की परछाई कहलाती है बेटियां वन को उपवन बनाती है बेटियां बहू के रूप में दो कुलों को जोड़ देती है बेटियां मुश्किल वक़्त में सूर्य की किरण होती है बेटियां फिर अपने प्रियतम की अर्धांगिनी बन जाती है बेटियां अम्बर से धारा को रोशन कर देती है बेटियां जब मानव जन्म कर मां कहलाती है बेटियां रातों को अपनी बच्चो पर वारती ...
धूप विसर्जन दिन है गुजरा
कविता

धूप विसर्जन दिन है गुजरा

जितेंद्र परमार समदड़ी- बाङमेर (राजस्थान) ******************** धूप विसर्जन दिन है गुजरा देख निशा होने को आई खग पुनः जो लौटे नीड़ को संध्या ये गगन में छाई अद्भुत अनोखा ये नजारा कुदरत रूप सजाने आई मनभावन ये समय सुहाना चाँद तारे भी संग में लाई कष्ट थकान भरे इस तन को कर्म मुक्ति अब मिलने आई सकल दिवस की एक कामना आंखों में नींद सहसा छाई परिचय :- जितेंद्र परमार निवासी : समदड़ी- बाङमेर (राजस्थान) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या ग...
अरुणोदय
कविता

अरुणोदय

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर म.प्र. ******************** लुप्त हो गया तिमिर घनघोर! हुआ अब अरुणोदय चहुँ ओर! भूमि से अंबर तक हैं रंग व्याप्त है जीवन के शुभ ढंग नाद ने किया मौन को भंग उड़ रहे अगणित विविध विहंग दृश्य परिवर्तन है चितचोर। हुआ अब अरुणोदय चहुँ ओर। रश्मियाँ रवि की आईं हैं दिशाओं में सब छाईं हैं भूमिगत हुआ कहीं पर तम उजाला अनुपम लाईं हैं प्रकाशित हुए धरा के छोर! हुआ अब अरुणोदय चहुँ ओर। जागरण के गुंजित हैं गीत हवा में है अद्भुत संगीत जगी है जीवन की नव प्रीत हुई है आशाओं की जीत नृत्यरत है सबके मन मोर! हुआ अब अरुणोदय चहुँ ओर! हुए प्रारंभ कई कर्तव्य दृष्टिगत हैं आयोजन भव्य सभी में हैं सहयोगी जन पुरातन हैं कुछ तो कुछ नव्य हुए जड़-चेतन भावविभोर! हुआ अब अरुणोदय चहुँ ओर! . परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•...
तुम्हीं ने
कविता

तुम्हीं ने

गीता शर्मा सुंदरनगर, रायपुर (छ.ग.) ******************** मुझी से मुझी को चुराया तुम्हीं ने अँगारों पै चलना सिखाया तुम्हीं ने सनी धूल से थे किताबों के पन्ने उन्हें फूल जैसा सजाया तुम्हीं ने नहीं प्रेम का ढाई आखर पढ़ा था वही हँसके मुझको पढ़ाया तुम्हीं ने सजल होती जाती हूँ मैं धीरे-धीरे कमल‌ इस हृदय का खिलाया तुम्हीं ने बनो मत, चलो पास आने की सोचो बहुत यों ही अब तक सताया तुम्हीं ने परिचय :- गीता शर्मा (विश्व कीर्तिमान धारक) जन्मतिथि : १६/८/ जन्मस्थान : रायपुर (छ.ग.) पति : श्री संजीव शर्मा निवासी : सुंदरनगर, रायपुर (छ.ग.) शिक्षा : पी.जी, (विद्यावाच्पति, विद्यासागर ) कार्य : स्वतंत्र लेखन प्रकाशन : चार, तीन शासन से प्रकाशित सम्मान : राज्यस्तरीय. २५, राष्ट्र स्तरीय. २३, अंतराष्ट्रीय..२ आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा...
अधरों पर
कविता

अधरों पर

जय खीचड़ मोडायत, बिकानेर (राजस्थान) ******************** अधरों पर बुंदे छितरादे अंबर थोड़ा नेह बरसादे!! सुख रही पेड़ो की डाली पंछियों के घर फिरसे सजादे !! धरती पुत्र करे पुकार प्रेम बीज से खेत जुता!दे !! परिचय :-  जय खीचड़ स्नातकोत्तर : फाइनेशियल मैनेजमेंट एम.कॉम निवासी : मोडायत, बिकानेर (राजस्थान) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमेंhindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें...🙏🏻 आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे ...
बर्बादी की डगर
कविता

बर्बादी की डगर

संजय जैन मुंबई ******************** किताबो में पढ़ कर, रेडियो में सुन कर। चल चित्र को देखकर, कहानी बड़ेबूड़ो से सुनकर। मोहब्बत करने का मन, दिल में पनापने लगा। और लगा बैठे दिल , पड़ोसी की लड़की से।। अब न दिल धड़कता है, न सांसे ही चलती है। ये कमवक्त मोहब्बत भी, क्या बला होती है। जो न जीने देती है, न ही मरने देती है। चलते फिरते इन्सान को, एक लाश बना देती है।। मोहब्बत के चक्कर में, न जाने कितने लूट गये। और कितने खुदा को, पहले ही प्यारे हो गये। जिसे मिल गई मोहब्बत, वो आबाद हो गया। नही तो जिंदा एक, लाश बनके राह गया।। किसी को इसने पागल, बना कर छोड़ दिया। तो किसीको घायाल करके, बीच मजधार में छोड़ दिया। इसलिए अब मोहब्बत के, नाम से लोग घबराते है। न खुद करते है और, न किसीको सलाह देते है।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में प...
दो जून की रोटी
कविता

दो जून की रोटी

दीपक कानोड़िया इंदौर मध्य प्रदेश ******************** दो जून की रोटी खाने को बेबस बैठी है मानवता भांति-भांति के लोग यहां जाने कब आएगी समता कुछ लोलुप सत्ता के लोभी कुछ राजनीति रचते धोबी कुछ है विद्वान प्रकांड यहां कुछ निर्धन से धनवान यहां कितना भी धैर्य रखें जनता जाने कब आएगी समता कुछ को चाहिए आज़ादी रुकती नहीं अब आबादी दर दर पे घूमते हैं गांधी फिर भी नहीं थमती आंधी कर्तव्य निभाने से पहले हक मांगने निकली जनता जाने कब आएगी समता जिस तरह कीट पतंगे भी वृक्षों को काट के खा जाते दीमक बनकर दीवारों पर कण-कण को चाट के खा जाते बस वैसे ही अब मानव है या कह दो सच्चे दानव है ख़ुद को ही काट रही जनता जाने कब आएगी समता दो जून की रोटी खाने को बेबस बैठी है मानवता भांति भांति के लोग यहां जाने कब आएगी समता परिचय :- दीपक कानोड़िया निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी...
क्षण फुरसत के है नहीं
कविता

क्षण फुरसत के है नहीं

रीतु देवी "प्रज्ञा" (दरभंगा बिहार) ******************** विषय :- आधुनिक परिवेश में भागता इंसान धन, वैभव पीछे भाग रहा है इंसान सभी पल दो पल भी क्षण फुरसत के है नहीं जब देखो आँखें बुनते रहते हैं स्वप्न सिसकती आहें खो रहे हैं अपनत्व तरसे बच्चे पाने को ममता भरी माँ के आँचल का प्यार दिन, महीने हैं गुजर जाते दे न पाते पिता अपना असीम दुलार वृद्ध चक्षु खोजते हैं रहते शीतल वटवृक्ष छाया हृदय है शून्य सभी हर तरफ बढ गए तार वृक्ष साया अकेलापन समा रहा है जिंदगी में रौनक रही नहीं अब बंदगी में ईर्ष्या, द्वेष का जाल बिछा है चहुँ दिशा फंसाती ही रही है सदैव काली निशा समझ न पाता फिर भी चैन की नींदिया न ले पाता कभी। धन, वैभव पीछे भाग रहा इंसान सभी पल दो पल भी क्षण फुरसत के है नहीं। परिचय :-  रीतु देवी (शिक्षिका) मध्य विद्यालय करजापट्टी, केवटी दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी ...
चाँदनी रात
कविता

चाँदनी रात

अर्चना मंडलोई इंदौर म.प्र. ******************** (हिन्दी रक्षक मंच द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कविता लेखन प्रतियोगिता "प्रीत की पाती" में प्रेषित कविता) जैसे ही चाँद पर ठहरती है नजर यू ही याद आ जाते हो तुम चाँद के चमकिले उजास में आसमान की सतरंगी परिधि के बीच जैसे ही तुम्हारा अक्स नजर आने लगता है तब लगता है चाँद और मेरे बीच एक अनकहा रिश्ता है। उसके सौन्दर्य मे मै अपने सपनो को निहारती हूँ मन के आकाश मे घुमते मेरी अधूरी कामनाओं के बादल मेरी सपनीली आँखों में मधुर स्मृतियों के चित्र बनाते और क्षण भर में चाँदनी की तरह फिर बिखर जाते।। परिचय : इंदौर निवासी अर्चना मंडलोई शिक्षिका हैं आप एम.ए. हिन्दी साहित्य एवं आप एम.फिल. पी.एच.डी रजीस्टर्ड हैं, आपने विभिन्न विधाओं में लेखन, सामाजिक पत्रिका का संपादन व मालवी नाट्य मंचन किया है, आप अनेक सामाजिक व साहित्यिक संस्थाओं में सदस्य हैं व सामाजिक गतिविधिय...
प्रेम की गली में
कविता

प्रेम की गली में

विनोद सिंह गुर्जर महू (इंदौर) ******************** (हिन्दी रक्षक मंच द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कविता लेखन प्रतियोगिता "प्रीत की पाती" में प्रेषित कविता) प्रेम की गली में ये उदारता है क्यों ? ... बार-बार दिल तुझे पुकारता है क्यों ?... तू नहीं तो तेरा एहसास है मुझे, ऐसा लगे जैसे आस-पास है मुझे।-२ तेरे-मेरे चित्र नयन, उतारता है क्यों ? बार-बार दिल तुझे पुकारता है क्यों ? सच मानिए जब से आप मिल गए। मन मधुबन में कई पुष्प खिल गए।-२ अंग-अंग दीप अब उजारता है क्यों ? बार-बार दिल तुझे पुकारता है क्यों ? मीरा श्याम रंग में दीवानी हो गई। भक्ति अनुराग की कहानी हो गई।-२ गरल में सुधा, नेह उतारता है क्यों ? बार-बार दिल तुझे पुकारता है क्यों ? राधा व्याकुल हुई घनश्याम आ गए। शबरी के जूठे बेर राम खा गए । -२ ईश्वर भी प्रेम बस हारता है क्यों ? बार-बार दिल तुझे पुकारता है क्योँ ? परिचय :-...