रक्षाबंधन
जसवंत लाल खटीक
देवगढ़ (राजस्थान)
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राखी का त्यौहार आया,
संग में खुशियां हजार लाया।
भाई-बहन का सच्चा प्यार,
प्रेम के धागे में पूरा समाया।।
बहन अपने पीहर आयी,
घर में फिर से रौनक छायी।
बाबुल के बगिया की चिड़िया,
फिर से घर में बहार लायी।।
सबके चेहरे खिले-खिले,
हंस-हंस कर सब बात़े करते।
सब बचपन को याद करके,
फिर से जीने की आस करते।।
माथे पर तिलक लगा कर,
कलाई पर राखी बांधती है।
जीवन भर प्यार के संग-संग,
बहन रक्षा का वचन मांगती है।।
कहती है मेरे प्यारे भैया,
तुम राखी की लाज रख देना।
मां- बाप की सेवा करना,
और उनको दुःख तुम मत देना।।
शराब का सेवन मत करना,
गाड़ी हेलमेट पहन चलाना।
घर पर राह तकते बीवी-बच्चे,
उन पर खूब प्यार लुटाना।।
बहन तो इतना ही चाहती,
अपने घर का मान बढाती।
बहन बड़े प्यार से भाई की,
कलाई पर राखी सजाती।।
बहन बेटी जिस घर में होती,
उस घर में सदा खुशियां आती...