खामोशी सब कुछ कहती है
अंजनी कुमार चतुर्वेदी "श्रीकांत"
निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
********************
बिन बोले मन की सब बातें,
खामोशी कह देती।
लंबे वक्त रहे खामोशी,
प्राण हरण कर लेती।
गलत बात को मन में रखकर,
स्वतः मौन हो जाना।
धीरे-धीरे खामोशी में,
बिना वजह खो जाना।
कभी जिंदगी में खामोशी,
अजब रंग भरती है।
पास बुलाती कभी किसी को,
कभी दूर करती है।
खामोशी के पल जीवन में,
कभी रंग लाते हैं।
कभी-कभी खामोशी के क्षण,
सहे नहीं जाते हैं।
समझदार खामोशी लख कर,
सावधान हो जाते।
क्यों ओढ़ी खामोशी उसका,
कारण पता लगाते?
मन विरुद्ध जब कुछ भी होता,
रोक नहीं हम पाते।
खामोशी छा जाती मन पर,
शब्दहीन हो जाते।
खामोशी सब कुछ कह देती,
जो सुविज्ञ वह जाने।
बिना कहे जो बात समझ ले,
गुणी उसी को माने।
बहुत बोलती है खामोशी,
जाने क्या-क्या कहती?
खामोशी भी अपने भीतर,
दर्द छुपाये रहती।
परिचय :- अंज...