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कविता

हिंदी मेरी
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हिंदी मेरी

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** हिंदी मेरी मातृभाषा, हिंदी मेरी जान ! हिंदी के हम कर्मयोगी, हिंदी मेरी पहचान, हिंदी मेरी जन्मभूमि, हिंदी हमारी मान, हम हिंदी कि सेवा करते है, हम जान उसी पे लुटाते है ! हिंदी हमारी मातृभाषा, हिंदी हमारी जान ! है वतन हम हिंदुस्तान के, भारत मेरी शान, हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा, हिंदी हमारी एकता, हिंदी में हम बस्ते है , हिंदी मेरी माता ! हिंदी है हमारी मातृभाषा, हिंदी मेरी जान ! हिंदी मेरी वाणी, हिंदी मेरा गीत, ग़ज़ल, हिंदी के हम राही, हिंदी के हम सूत्र-धार, हिंदी मेरी विश्व गुरु, हिंदी मेरी धरती माता ! हिंदी है हमारी मातृभाषा, हिंदी मेरी जान ! परिचय :- रूपेश कुमार शिक्षा - स्नाकोतर भौतिकी, इसाई धर्म (डीपलोमा), ए.डी.सी.ए (कम्युटर), बी.एड (महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिटी बरेली यूपी) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तै...
हिंदी ही आधार है
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हिंदी ही आधार है

संजय जैन मुंबई ******************** जब सीखा था बोलना, और बोला था माँ। जो लिखा जाता है, हिंदी में ही सदा।। गुरु ईश्वर की प्रार्थना, और भक्ति के गीत। सबके सब गाये जाते, हिंदी में ही सदा। इसलिए तो हिंदी, बन गई राष्ट्र भाषा।। प्रेम प्रीत के छंद, और खुशी के गीत। गाये जाते हिंदी में, प्रेमिकाओ के लिए। रस बरसाते युगल गीत, सभी को बहुत भाते। और ताजा कर देते, उन पुरानी यादें।। याद करो मीरा सूर, और करो रसखान को। हिंदी के गीतों से बना, गये इतिहास को। युगों से गाते आ रहे उनके हिंदी गीत। गाने और सुनने से, मंत्र मुध हो जाते।। मेरा भी आधार है, मातृ भाषा हिंदी । जिसके कारण मुझे, मिली अब तक ख्याति। इसलिए माँ भारती को, सदा नमन करता हूँ। और संजय अपने गीतों को हिंदी में ही लिखता है। हिंदी में ही लिखता है।। मातृभाषा हिंदी को, शत शत वंदन में करता हूँ। और अपना जीवन हिंदी को समर्पित करता हूँ। हिंदी को समर्...
यायावर
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यायावर

माया मालवेन्द्र बदेका उज्जैन (म.प्र.) ******************** कुछ अपने कुछ अपनों के सपने पूरे करने थे, किये। उसकी सपनों की दुनिया में वह भी थी, आई यायावर भाई का था, भाई बेचारा था उसको किसी बाला ने आहत किया कुंवारा था। यायावर बहन का था, बहनोई आवारा था यायावर ने बहन को दुलारा था। यायावर माँ का प्यारा था नौ महिने का कर्ज संवारा था। यायावर मित्रो का था सखा संग बचपन गुजारा था। यायावर उन सभी गुणा भाग जोड़ घटाव के रिश्तों का प्यारा था। ऊंची चढ़ती सीढ़ी में वह सबके लिए न्यारा था। जिद, दम्भ, श्रम, धन, वैभव कीर्ति सब साथ हुए अछूता रह गया वह मन वह सपनों की दुनिया जो जीवन भर साथ चली छलता गया कर्त्तव्य, अधिकार फर्ज के नाम पर यायावर जीवन भर चलती साथ लाठी को अवमानित करता रहा उसके सपनों को अपनों को जोड़ने का जो सबसे बड़ सहारा था। मूक ह्रदय मौन समर्पण करती रही उसने अपना जीवन हारा था। परिचय :- नाम -...
मैं हिंद की बेटी हिंदी
कविता

मैं हिंद की बेटी हिंदी

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** भारत के, उज्जवल माथे की। मैं ओजस्वी ......बिंदी हूँ। मैं हिंद की बेटी .....हिंदी हूँ। संस्कृत, पाली,प्राकृत, अपभ्रंश की, पीढ़ी-दर -पीढ़ी ....सहेली हूँ। मैं जन-जन के, मन को छूने की। एक सुरीली .......सन्धि हूँ। मैं मातृभाषा ........हिंदी हूँ। मैं देवभाषा, संस्कृत का आवाहन। राष्ट्रमान ........हिंदी हूँ।। मैं हिंद की बेटी..... हिंदी हूँ। पहचान हूँ हर, हिन्दोस्तानी की.... मैं। आन हूँ हर, हिंदी साहित्य के अगवानों की........मैं।। मां, बोली का मान हूँ...मैं। भारत की, अनोखी शान हूँ......मैं।। मुझको लेकर चलने वाले, हिंदी लेखकों की जान हूँ ....मैं। मैं हिंद की बेटी..... हिंदी हूँ। मैं राष्ट्र भाषा .........हिंदी हूँ। विश्व तिरंगा फैलाऊँगी। मन-मन हिन्दी ले जाऊँगी।। मन को तंरगित कर। मधुर भाषा से। हिंदी को, विश्व मानचित्र पर, सजा कर आ...
देववाणी तेजस्विनी हिंदी
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देववाणी तेजस्विनी हिंदी

डॉ. पंकजवासिनी पटना (बिहार) ******************** भाषाओं के नभ में शोभित शशि-सम तेजस्विनी हिंदी संस्कृत इसकी दिव्य जननी यशश्विनी इ दुहिता हिंदी राष्ट्र की संस्कृति-वाहक भारत की सिरमौर हिंदी सरस्वती वीणा से झंकृत देववाणी है यह हिंदी व्याकरण इस का वैज्ञानिक परिष्कृत प्रांजल है हिंदी हर अभिव्यक्ति में सक्षम सशक्त सरल संप्रेषणीय हिंदी स्वर-व्यंजनों से सुसज्जित अयोगवाह अलंकृत हिंदी रस छंद अलंकार से मंडित बह चली सुर-सरिता हिंदी विश्वस्तरीय औ कालजयी साहित्य-सृजन-सक्षम हिंदी तुलसी सूर मीरा निराला के हृदय की रानी हिंदी हिंद की साँस में बसती यह जन जन की प्यारी हिंदी कश्मीर से कन्याकुमारी श्वास-श्वास-बसी हिंदी बहुभाषा भाषी हैं हम, तो सबको मान देती हिंदी सभी भाषाओं को एक ही सूत्र में पिरोती हिंदी दोनों ही बाँहें फैलाए सभी को अपनाती हिंदी अंँग्रेजी उर्दू सब बोली को बिन दुर्भावना वरे हिंदी...
हिन्दी, हिन्द का ह्रदय स्पन्दन
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हिन्दी, हिन्द का ह्रदय स्पन्दन

राजकुमार अरोड़ा 'गाइड' बहादुरगढ़ (हरियाणा) ******************** हिन्दी, हिन्द का ह्रदय स्पन्दन तिरंगे सी महान,एकता की पहचान, देवभाषा की संतान हिन्दी ने सदभाव खूब बढ़ाया है। हिन्दी हिन्द का गौरव है, जिसकी सरलता और व्यापकता ने पूरे विश्व में परचम लहराया हैं।। अंग्रेजी-अंग्रेजी रटने वालो, तुमने स्वयं ही तो, मातृभाषा का मान घटाया है। क्या कभी अंग्रेजों ने, अपने देश में, किसी भी तरह, अंग्रेजी दिवस मनाया है।। हिन्दी, मनभावन हिन्दी, प्यारी हिन्दी, दुलारी हिन्दी, हिन्दी हिन्द की ह्रदय स्पन्दन। आओ लिखें हिन्दी, पढ़े हिन्दी, बोलें हिन्दी, यही तो है, हिन्दी का पूर्ण अभिनन्दन।। साहित्य, सिनेमा, सोशल मीडिया, दूरदर्शन में, हिन्दी प्रयोग से मिट गई हैं, सब दूरियां। हिन्दी को ह्रदय में बसा लो, अपना बना लो, फिर मिट जायेंगी, सब मजबूरियां।। हिन्दी है, हमारे ह्रदय की, धड़कन, ये धड़कती धड़कन, है हमारा अमिट प्यार...
जब निर्णय लेना मुस्किल हो
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जब निर्णय लेना मुस्किल हो

माधवी मिश्रा (वली) लखनऊ ******************** जब जीवन के दोराहों पर, असमंजस के चौराहों पर कोई निर्णय लेना मुस्किल हो, और साथ मे अंधी मंजिल हो जब मन मस्तक मे द्वंद छिड़े, हृदय विवेक लड़े झगड़े फिर किसको कैसे समझाऊँ किस ओर कहां मैं झुक जाऊँ यह मूल समस्या जीवन की, अविराम रही उलझी उलझी पथ जाने कितने मोड़ मुड़े पर दिल दिमाग ये नही जुड़े सालीन विवेकी राहो मे काँटो के निर्मम तार के मिले हृदय गवाही दिया जिसे उसमे रखे औजार मिले ऐसी दुविधा ही बनी रही जब भी जितने भी कदम चले अब तक कोई ना हुआ अपना सबने मिलकर विस्वास छले।। परिचय :- माधवी मिश्रा (वली) जन्म : ०२ मार्च पिता : चन्द्रशेखर मिश्रा पति : संजीव वली निवासी : लखनऊ शिक्षा : एम.ए, बीएड, एलएल बी, पीजी डी एलएल, पीजीडीएच आर, एमबीए,। प्रकाशन : तीन पुस्तकें प्रकाशित अनेक साझा संकलन, काव्य, लेख, कहानी विधा पत्र पत्रिकाओं रेडियो दूरदर्शन पर-प्रकाशन, प्रसा...
चंपा का फूल
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चंपा का फूल

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** चंपा के फूल जैसी प्रिये काया तुम्हारी मन को आकर्षित कर देती जब तुम खिल जाती हो चंपा की तरह। तुम भोरे, तितलिया के संग जब भेजती हो सुगंध का सन्देश वातावरण हो जाता है सुगंधित और मै हो जाता हूँ मंत्र मुग्ध। प्रिये जब तुम सँवारती हो चंपा के फूलो से अपना तन जुड़े में, माला में और आभूषण में तो लगता स्वर्ग से कोई अप्सरा उतरी हो धरा पर। उपवन की सुन्दरता बढती जब खिले हो चंपा के फूल लगते हो जैसे धवल वस्त्र पर लगे हो चन्दन की टीके। सोचता हूँ क्या सुंदरता इसी को कहते मै धीरे से बोल उठता हूँ प्रिये तुम चंपा का फूल हो। परिचय :- संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा :- आय टी आय व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन :- देश - विदेश की विभिन्न पत्र - पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में न...
मुद्दे उठाए जाते हैं
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मुद्दे उठाए जाते हैं

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** मेरे देश में, मुद्दे उठाए जाते हैं। जिंदगी के असल सच से, लोगों के ध्यान हटाए जाते हैं। घटना को, घटना होने के बाद, देकर दूसरा ही रुख। असल घटनाओं पर, पर्दे गिराए जाते हैं। मेरे देश में मुद्दे उठाए जाते हैं। जिंदगी किन, हालातों में बसर करती है। पंचवर्षीय सरकारों में, अमीर- गरीब के मापदंडों में, मध्यवर्ग को, बस वायदे ही थमाए जाते हैं। मेरे देश में, मुद्दे उठाए जाते हैं। जागे.....असल पहचानिए। जो कानों को, सुनाया जाता है। आंखों को दिखाया जाता है। दो रोटी कमाने के लिए, हम और आप कितनी लड़ाई लड़ते हैं। हमें मुद्दों में, कितना बहलाया जा रहा है। परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय ह...
खुशियों का पैगाम
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खुशियों का पैगाम

रुचिता नीमा इंदौर म.प्र. ******************** किसी की याद जब हद से गुजर जाए तो कोई क्या करें.... कोई दूर रहकर भी बहुत याद आये तो कोई क्या करे.... न मिलना हो मुमकिन, न भूलना हो मंजूर.... कोई फितूर बनकर छा जाए तो कोई क्या करे ये खुदा!!!!! अब तो मदद कर या तो मिला दे उसको या फिर ज़ेहन से ही मिटा दे क्योंकि होश के बादल जब छाए तो कोई क्या करे अब जीना भी हुआ मुश्किल और मौत भी आती नहीं ऐसे में बेहोशी अगर छा जाए तो कोई क्या करे ये खुदा!!!!! अब तू ही राह दिखा वरना हर तरफ जब अंधेरा ही दिखाई दे तो कोई क्या करे अब तो हर तरफ बिखेर दे उम्मीदों की लड़ियाँ.... क्योकि मायूसी अगर छा जाए तो कोई क्या करें।। अब बस बहुत हुआ.... अब तो बस कोई खुशियों का पैगाम ही आये, दिल ये दुआ करे परिचय :-  रुचिता नीमा जन्म २ जुलाई १९८२ आप एक कुशल ग्रहणी हैं, कविता लेखन व सोशल वर्क में आपकी गहरी रूचि है आपने जूलॉजी में एम.एस...
विश्वास
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विश्वास

डॉ. पंकजवासिनी पटना (बिहार) ******************** विश्वास की टूट गई है रीढ़! अपनापन नहीं रह गया अब दृढ़!! सदाशयता को हुआ पक्षाघात! अविश्वास देत है नित आघात!! संबंधों की खो गई ऊष्मा! भावनाओं की पूँजी ना जमा!! चहुंँ दिशि हुआ घनीभूत स्वार्थ! निरंतर छीजन ग्रसित परमार्थ!! संस्कारों की डोर पड़ी झीनी! उद्दंडता ने सब लज्जा छीनी!! आंँधी चली है पाश्चात्य की! जड़ें उखड़ी हैं पौर्वात्य की!! आत्मीयता को ग्रस रहा राहू! अपनों को तृषित हो रहे बाहू!! विश्वास का हुआ चतुर्दिक अभाव! घृणा वैमनस्य का बढ़ा प्रभाव!! निष्ठा त कहीं पड़ी हैं मृतप्राय! विश्वास की पूंँजी गलती जाय!! नेह, विश्वास, त्याग, करुणा तज! युग वरे अहं, स्वार्थ, घृणा अज!! विद्वेष का आँचल बढ़ता जाए! सौहार्द्र न अब मन को लुभाए!! संवेदनाओं की गागर रीती! भावुक मन पर, पूछो क्या बीती!! प्रभु! ऐसी कोई हवा चल जाय... युग की नस में ही नेह ढल जाय...
सूक्ष्म पुरुस्कार
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सूक्ष्म पुरुस्कार

गौरव हिन्दुस्तानी बरेली (उत्तर प्रदेश) ******************** युगों-युगों से अडिग खड़े हो, भयंकर आँधियों में, भीषण तूफ़ानों में, बारिशों में, विनाशकारी ओलावृष्टियों में, और तनिक भी न हिले हलाचला आने के बाद भी नहीं, प्रतिवर्ष, प्रतिदिन प्रतिपल देते रहे तुम, शीतल छाया, प्राणदायिनी वायु सभी को, और देते रहे अनुमति पक्षियों को, घोसले बनाने की अपनी विशाल शाखाओं पर बाँधें रहे मिट्टी के एक-एक कण को, अपनी जड़ों से, ऐसी श्रेष्ठतम, सर्वोत्तम, निस्वार्थ सेवा पर, हे बरगद के प्राचीन विशाल वृक्ष मैं अलंकृत करता हूँ तुम्हें पद्मश्री, पद्मविभूषण तथा भारत रत्न जैसे सूक्ष्म पुरुस्कारों से। परिचय :- गौरव हिन्दुस्तानी निवासी : बरेली उत्तर प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी ...
आशिक तू हमें
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आशिक तू हमें

अख्तर अली शाह "अनन्त" नीमच ******************** आशिक तू हमें, दिलको कू-ए-यार बना दे। या रब तू अपने, इश्क का बीमार बना दे।। ये सिर तेरे आगे ही झुके मालिके जहां। तेरे ही आगे हाथ उठे मालिके जहां।। दिल तेरी हम्दे पाक पढ़े मालिके जहां। पग राहे हक में ही ये बढ़े मालिक जहां।। यूँ हक की सल्तनत का पैरोकार बना दे। या रब तू अपने इश्क का बीमार बना दे।। इंसाफ पर चलने की हमें राह बता दे। मिलने की तमन्नाओं को तू अपना पतादे।। तेरे हैं इस जहान को मौला तू जता दे। खाते में फरिश्तों से कह के नाम खता दे।। नबीयों का रसूलों का वफादार बना दे। या रब तू अपने इश्क का बीमार बना दे।। माले हराम पेट में जाने नहीं पाए। छल दिल में कभी पैर जमाने नहीं पाए।। नफरत जेहन में भूल के आने नहीं आने नहीं पाए। गुस्सा कभी भी सिर को उठाने नहीं पाए।। यूँ जिंदगी में सब्र को साकार बना दे। या रब तू अपने इश्क का बीमार बना दे।। जो क...
शिक्षक दिवस
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शिक्षक दिवस

डॉ. उपासना दीक्षित गाजियाबाद उ.प्र. ******************** शिक्षा का कर्णधार, क्यों इतना लाचार, कलम की अस्मिता का, मूल्य हुआ निराधार, कलम के सिपाही, पर बेड़ियाँ हजार, असमानता की खाई में, गिर कर हुआ बेकार। आरक्षण की वैसाखी, और व्यक्तिगत संस्थाएँ, शिक्षक की गरिमा को, खूंँटी पर लटकाते, घिसो कलम और घिसो, रक्त बूँद शेष तन में, और घिसो और घिसो, मुँह न खोलो, होंठ सिलो, कम वेतन, कार्य करो, शिक्षा का सूत्रधार, रो रहा लगातार, कलम की अस्मिता का, मूल्य हुआ निराधार। विश्व गुरु का मन अस्वस्थ, पर पुस्तक पर दृष्टि पैनी, रोटी की आपाधापी, बातें 'प्रमुख 'की सहनी, राजनीतिक पदों पर, अनपढ़ों की भरमार, राष्ट्र का निर्माता बना, वित्तहीन बेरोजगार, सत्ता के मदान्धों ने किया, शिक्षा का बंटाधार, बंदरों की मंडली में कैसे, हो शिक्षक दिवस साकार। परिचय :- डॉ. उपासना दीक्षित जन्म - ३० दिसंबर १९७८ पिता - स्व. ब्रजन...
हिन्दी हमको भाती है
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हिन्दी हमको भाती है

भारत भूषण पाठक देवांश धौनी (झारखंड) ******************** हिन्दी हमको भाती है, सबको खूब सिखाती है, चुन्नी-मुन्नी तुम भी पढ़ लो, दीदी आज बताती है। जन-जन की भाषा हिन्दी, कहता रंभाकर नन्दी, कोयल बागों में बोले, सुन्दर लगती है बिन्दी। संस्कृत भाषा की बेटी, नेह बाँहों में समेटी, यही बनाती है ज्ञानी, समृद्धि देती भर पेटी। परिचय :- भारत भूषण पाठक 'देवांश' लेखनी नाम - तुच्छ कवि 'भारत ' निवासी - ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका (झारखंड) कार्यक्षेत्र - आई.एस.डी., सरैयाहाट में कार्यरत शिक्षक योग्यता - बीकाॅम (प्रतिष्ठा) साथ ही डी.एल.एड.सम्पूर्ण होने वाला है। काव्यक्षेत्र में तुच्छ प्रयास - साहित्यपीडिया पर मेरी एक रचना माँ तू ममता की विशाल व्योम को स्थान मिल चुकी है काव्य प्रतियोगिता में। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ...
बेरोजगार
कविता

बेरोजगार

मुकेश गाडरी घाटी राजसमंद (राजस्थान) ******************** देश विदेश में शिक्षा की, ना बन पाया कुछ काम। युवाओं का हाल हुआ बेहाल, एक के साथ एक हो रहे बेरोजगार...... बेरोजगार की है अनेक परिभाषा, पर ना कर पाया कोई उसे परिभाषित। एक काम पर अनेक करते काम, कभी प्रच्छन्न तो कभी घर्षित हो जाते बेरोजगार...... मशीनीकरण की क्रांति एसी आई, हजारों का कार्य मशीनों ने लिया। हस्तशिल्प उद्योग पर है बढ़ावा, पर आगे चलकर ना आता कोई बेरोजगार...... परिचय :- मुकेश गाडरी शिक्षा : १२वीं वाणिज्य निवासी : घाटी (राजसमंद) राजस्थान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने ...
इक अफसाने को याद कर
कविता

इक अफसाने को याद कर

बबली राठौर पृथ्वीपुर टीकमगढ़ (म.प्र.) ******************** मेरी आज इक अफसाने को याद कर रात गुज़रेगी सनम जो कल मुझसे मिले थे उनकी याद कर रात गुजरेगी सनम दो पल ठहरे थे कि उनसे मुलाकात हुई थी हमसे बस लब्जो के बाण जो चले आज वो याद कर रात गुजरेगी सनम उन लम्हों में मुझे अपनापन सा मिला था जीवन का मुहोब्बत हो चली है मुझे वो बातें याद कर रात गुजरेगी सनम मेरे हर गम, जख्म, दर्द को तथा जज्बातों को समझा था उन्होंने मेरी आँखों से जो खुशी छलकी थी वो याद कर रात गुजरेगी समन जिन्दगी का वो हसीन महीना, दिन, तरीख आज ही तो है क्योंकि उन्होंने मेरा आज ही हाथ थामा है वक्त याद कर रात गगुजरेगी सनम कभी भी मुझ संग तुम दगा, दिल्लगी ना करना और बेवफाई क्योंकि आज तुम्हारी वो हर कसमें याद कर रात गुजरेगी सनम परिचय :- बबली राठौर निवासी - पृथ्वीपुर टीकमगढ़ म.प्र. घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार स...
करे योग रहे निरोग
कविता

करे योग रहे निरोग

विरेन्द्र कुमार यादव गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) ******************** वो मेरे देश के बच्चे, बुढ़ो, महिलाओं और नौजवानों, राम देव बाबा के योग्य विद्या को तुम जरा पहचानो। राम देव बाबा हर भारतीय को रहे समझाय, जो जन नित्य सुबह योग करे भाय । उसके निकट जल्दी कोई रोग नहीं आय, रामदेव बाबा रोज योग कर रहे और रहे कराय। योग गुरु बाबा रामदेव रहे सबको समझाय, विश्व योग दिवस सम्पूर्ण विश्व हर वर्ष रहा मनाय। रोगों को अपने शरीर से वही रहा भगाय, जो जन नित्य योग सुबह-सुबह करे भाय। उसके शरीर से रोग हो जाय टाटा बाय बाय, उदर, हृदय और मधुमेह रोग उनके निकट कभी न जाय। जो जन नित्य सुबह-सुबह योग करन जाय, जो नित्य सुबह-सुबह करे नियमित योग। वो सदैव रहे स्वस्थ, मस्त और रहे निरोग, जो रहे स्वस्थ, मस्त व निरोग उसका डॉक्टर से जल्दी होत नहीं योग। परिचय :- विरेन्द्र कुमार यादव निवासी : गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) घोषणा पत्र ...
शिक्षक क्या है
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शिक्षक क्या है

अंजली कुमारी सैनी चैनपुर, सीवान, (बिहार) ****************** शिक्षक हमारे गुरु होते है, जैसे बुजुर्गों ने कहाँ है, की शिक्षक एक भगवान का रुप होते है, और उनका आदेश का पालन करना, हमारा परम कर्तव्य बनता है, उन्हें भेद-भाव का कोई भावना नही होता है, एक विद्यार्थी का जीवन मे, शिक्षक का महत्वपूर्ण योगदान होता है शिक्षक वैसे होते हैं, जो विद्यार्थी पर ज्यादा ध्यान रखते है, और विद्यार्थी को भी वैसा होना चाहिए, की शिक्षक के हर बातों को, ध्यान से सुनना , समझना चाहिए, एक विद्यार्थी के जीवन मे, शिक्षक का महत्वपूर्ण स्थान होता है, जो अपने ज्ञान, धैर्य और प्यार से , देख-भाल कर उसके पूरे जीवन को, एक मजबूत आकार देते है, इस संसार मे, शिक्षक के पदों को, सबसे अच्छा और आदर्श, पदों के रुप मे, माना जाता है, क्योकिं शिक्षक किसी के, जीवन सवारने मे, निस्वार्थ-भाव से सेवा देते है! परिचय : अंजली कुमारी सैनी शिक्षा : ...
पंछी
कविता

पंछी

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** देखकर हालात कहता, है मेरे मन का अनुभव। नींड का निर्माण होना, है असंभव। देखते हो क्या नहीं तुम, घिर उठी बदली गगन में आंकते हो क्या नहीं तुम, क्षणिक देरी है प्रलय में। बहलिये का सर सधा है, आज इस नन्हें सदन में, जीत होगी क्या हमारी, हो रही शंका हर्दय में। स्वपन का साकार होना, है असंभव, नीड़ का निर्माण होना है असंभव। मिलन के इस मृदु क्षणों में क्यों न पूछू प्रश्न नटवर, घन्य यदि जग पा सके कुछ, शव हमारा प्राण प्रणवर। सुन बहे उदगार सत्वर। मिलन का अभिसार होना है असंभव। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र...
नारी का सम्मान करो
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नारी का सम्मान करो

मीना सामंत एम.बी. रोड (न्यू दिल्ली) ******************** समझ सको तो समझो औरत की लाचारी को बंदिशों में जकड़ी एक भोली भाली नारी को समझ सको तो समझो औरत की लाचारी को! तरह-तरह के छल दुनिया में छल से छली गई जीत भरोसा उसका,छली बेंच रहे व्यापारी को समझ सको तो समझो औरत की लाचारी को! नौ दिन देवी समझें फिर जुल्मों अत्याचार करें मंदिर में प्रतिबंधित देखा है भाग्य की मारी को समझ सको तो समझो औरत की लाचारी को! जिसका जो भी मन सब कहकर चलते बनते हैं जब तब कड़वे ताने सुनते पाया उस संसारी को समझ सको तो समझो औरत की लाचारी को! नारी का सम्मान करो,कभी नहीं अपमान करो देख रहा भगवान अत्याचार संग अत्याचारी को! समझ सको तो समझो औरत की लाचारी को नारी से है देश महान,जिससे बढ़ती देश की शान आंचल में ममता,दया,पलकें अश्कों से भारी को समझ सको तो समझो औरत की लाचारी को! परिचय :- मीना सामंत एम.बी. रोड (न्यू द...
मेरे सपने
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मेरे सपने

डॉ. मिनाक्षी अनुराग डालके मनावर जिला धार (मध्य प्रदेश) ******************** अभी तो मेरे सपनों की बहुत बड़ी उड़ान बाकी है बहुत कुछ पा लिया और बहुत कुछ पाने की ख्वाहिश बाकी है... हर वक्त मन में एक हलचल सी रहती है जैसे सागर में लहरों का शोर अभी और बाकी है कभी-कभी लगे कि बहुत कुछ है जीने के लिए मेरे पास.... लेकिन कभी लगे ऐसा जैसे अभी तो अपनी पहचान बनाना बाकी है... कभी दिल कहता है कि छोड़ दे उम्मीदें लगाना लेकिन कभी लगे ऐसा जैसे अभी तो आसमान से तारे तोड़कर लाना बाकी है... शायद इसीलिए मेरे सपनों की अभी एक और उड़ान बाकी है अभी एक और उड़ान बाकी है परिचय : डाॅ. मिनाक्षी अनुराग डालके निवासी : मनावर जिला धार मध्य प्रदेश घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय ...
शिक्षकों से मिला हमें
कविता

शिक्षकों से मिला हमें

संजय जैन मुंबई ******************** दिया मुझे शिक्षकों ने, हर समय बहुत ज्ञान। तभी तो पढ़ लिखकर, कुछ बन पाया हूँ। इसलिए मेरी दिल में, श्रध्दा के भाव रहते है। और शिक्षकों को मातपिता से बढ़ाकर उन्हें सम्मना देता हूँ। जो कुछ भी हूँ मैं आज, उन्ही के कारण बन सका। इसलिए उनके चरणों में, शीश अपना झुकता हूँ।। शिक्षा का जीवन में लोगों, बहुत ही महत्त्व होता है। जो इससे वंचित रहता है जीवन उनका अधूरा होता है। शिक्षा को कोई न बाट और न छिन सकता है। जीवन का ये सबसे अनमोल रत्न जो होता है। धन दौलत तो आती और जाती रहती है। पर ज्ञान हमारा संग देता जिंदगीकी अंतिम सांसों तक।। जितना तुम पूजते अपने मात पिता को। उतना ही गुरुओं को भी अपने दिल से पूजो तुम। देकर दोनों को तुम आदर, एक तराजू में तौलो तुम। दोनों ही आधार स्तंम्भ है, तुम्हारे इस जीवन के। जो हर पल हर समय, काम तुम्हारे आते है। तभी तो मातपिता और, शिक्षक दिवस...
विरह-वेदना
कविता

विरह-वेदना

ओमप्रकाश सिंह चंपारण (बिहार) ******************** आतुर विरह की स्वर बून्दो में भर प्रियतम की अधरों पर बरस। हे ऋतुओ की रानी विरह वेदना को कर सरस पावस की अगणितकण बरस-बरस। प्रिया है ब्याकुल-आतुर विरह की वेदना बून्दो में भर तू प्रियतम की सूखी अधरों पर बरस। कोयल की कुक-चातक की पिऊ-पिऊ आवाज श्रावण की मास विरह -वेदना की। असह्य आग तू कर सरस विरह की वेदना कर सरस। पावस की कण तू बरस बरस। प्रिया की भीगी कपोलो बिंदी सी बून्दो की चमक। भीगी गात-अपलक नयन विरह की वेदना में मगन। प्रिया कर रही- अपनी प्रियतम की मिलन की जतन। परिचय :- ओमप्रकाश सिंह (शिक्षक मध्य विद्यालय रूपहारा) ग्राम - गंगापीपर जिला - पूर्वी चंपारण (बिहार) सम्मान - राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौल...
अरे राम, अरे राम राम !!
कविता

अरे राम, अरे राम राम !!

डॉ. कामता नाथ सिंह बेवल, रायबरेली ******************** मुसकानों के ऐसे काम ! अरे राम, अरे राम राम !! मौसम की हृष्ट-पुष्ट बांँहों की अंँगडा़ई, बूंद-बूंद यौवन में मादकता सरसाई; टेर पपीहे की अविराम! अरे राम! अरे राम राम !! नदियों के कूल- कछारों में, तटबन्धों में, गदराई पुरवा के बदराये छन्दों में व्याकुल अभिसारी आयाम ! अरे राम ! अरे राम राम !! कलियों की मदिर चाह करे नये-नये यत्न, गलियों में गूंज रहे भंँवरों के यक्षप्रश्न; प्रणय-पत्रिकाओं के नाम ! अरे राम ! अरे राम राम !! परिचय :- डॉ. कामता नाथ सिंह पिता : स्व. दुर्गा बख़्श सिंह निवासी : बेवल, रायबरेली घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविता...