हिन्दी तेरी शब्दों की मिठास
विशाल कुमार महतो
राजापुर (गोपालगंज)
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पढ़ना, लिखना, सुनना तुझको ये विश्वास हमारी हैं,
गीत, गजल में तुझे ही गाऊँ अब ये प्रयास हमारी हैं
जो अल्फाज़ो में जान भरे वो एक आस तुम्हारी हैं,
हे हिन्दी तेरे शब्दों की वो मिठास कितनी प्यारी हैं ।
वो मिठास कितनी प्यारी हैं ।।
इस जग में बोल-चाल की भाषाए तो अनेक हैं,
कोई सुना, कोई समझा, कोई कहा एक से एक हैं,
न जाने क्या खाश बात है तेरी ही एक भाषा में
तुहि अच्छी, तूही सुंदर, और तुही सबसे नेक है ।
तुझको ही हम समझते रहे, ये अभ्यास हमारी है,
हे हिन्दी तेरे शब्दों की वो मिठास कितनी प्यारी हैं ।
वो मिठास कितनी प्यारी हैं ।।
क्या कहु इस हिन्दी को ये हिन्दी बहुत महान है,
मातृ भाषा, राष्ट्र भाषा, और भारत की शान है ।
ये प्यारी और हमारी हिन्दी हम सबकी तो जान हैं,
इस हिन्दी के उपकार हम सबको मिली पहचान हैं।
तुहि एक ऐसी भाषा है, जिससे हर आस हमारी है...