पथ कठिन पर चलना होगा
गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी"
बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश)
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बन दीप अब जलना होगा,
पथ कठिन पर चलना होगा।
नही आयेगा तुम्हें उठाने कोई,
गिरकर स्वयं सम्भलना होगा।।
डरना नही देख उड़ती धूल,
खिलते कांटे भी बनकर फूल।
जो पाना है ग़र निश्चिय लक्ष्य,
समय रहते सुधारो सारी भूल ।
हारा है हमेशा जो लड़ा नही,
संकल्पों से कुछ भी बड़ा नही।
क़िस्मत कर्मठशीलों की दासी,
छूता है शिखर जो चढ़ा सही।।
समय रहते सीखो ध्येय चुनना,
पड़े न व्यर्थ कभी सिर धुनना।
नाप लेते श्रमसाधक सिंधु भी,
कर्तव्य पथ आता जिन्हें गुनना।।
होगा जग में यशगान तुम्हारा,
मुस्कायेगा फ़िर गुमान तुम्हारा।
भुला बातें कल की सब कड़वी,
करेगा इंसान गुणगान तुम्हारा।।
उठो! करो!! सर संधान तुम,
बड़े चलो बनकर तूफान तुम।
सीख मिलेगी या फ़िर सफलता,
छांटो तम, बन नव विहान तुम।।
परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा "गोवि...