अलमारी में रखे पुराने खत
प्रीति जैन
इंदौर (मध्यप्रदेश)
********************
घिर आई तनहाई, मन को
मैं कुछ इस कदर बहलाई
अलमारी में रखे पुराने
खतों से नज़रें मेरी टकराई
याद आया गुज़रा ज़माना,
समेट लाया यादों का ख़ज़ाना
क्या दौर था मीठी यादों का,
सिलसिला खतों का आना जाना
सगाई के बाद पिया जी की
आती, प्रीत भरी पाती
हुई शर्म से लाल, मन की
हर कली कली खिल जाती
आज बांचन बैठी प्रीत भरे खत,
मन फिर गुलज़ार हुआ
रोम-रोम हो उठा रोमांचित,
खत ने दिल का तार छुआ
शादी के बाद पिता का
पहला खत, खत में आशीष बसा
मां बाबा के घर आंगन को भूल,
बेटी पिया का आंगन सजा
सास ससुर है मां बाबा तेरे,
बाबा ने खत में लिखा
दो ड्योढ़ीयों से बंधी, दो घर की
लाज मै, ये बाबा से सीखा
मां का खत पढ़ते ही,
मैं आंसुओं से सराबोर हुई
कलेजा निकाल रख दिया मां ने
खत में, मै हर अक्षर को छुई
मां के खत में हर अक्षर पर
थी आंसुओं की स्याह...