मेरा गांव
दिनेश कुमार किनकर
पांढुर्ना, छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)
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दृश्य एक
कितना सुंदर मेरा गाँव.......
हर आँगन में तुलसी खिलती,
और चूल्हों पर गाकड़ सिकती!
कुछ ही बड़ो के घर हैं पक्के,
शेष सभी के कच्चे ठावँ!....
कितना सुंदर मेरा गांव........
भोर सवेरे सब उठ जाते,
कृषक मजदूर खेतो में जाते!
दिनभर सब करते है मेहनत,
नही देखते धूप और छावं!...
कितना सुंदर मेरा गांव........
चौपालों पर सत्संग हैं होता,
तबला ताल मृदंग भी होता!
सुबह सुबह दिंडी में जाने,
भक्त निकलते नंगे पावँ,!
कितना सुंदर मेरा गांव.........
सर पर दिखती टोपी गांधी,
यहां नही फैशन की आंधी!
सदियो से चल आ रहा,
धोती बंडी कृषक पहनाव!
कितना सुंदर मेरा गांव.....
घर घर शिक्षा अलख जल रही,
नारी हर क्षेत्र आगे बढ़ रही!
जीवन के हर पहलू में अब वे,
कमा रही हैं अपना ना!
कितना सुंदर मेरा गांव.....
यह दौर एक सघन विस्...