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कविता

पतझड़ के बाद बसंत
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पतझड़ के बाद बसंत

जगदीशचंद्र बृद्धकोटी जनपद अल्मोड़ा (उत्तराखंड) ******************** हरे भरे वृक्षों की छाव में वह कोयलों की बोलियां, सुन खिल उठा आनंद से मन मुग्ध होने है चला। पतझड़ में मौसम टूटता सा लगे सब कुछ छूटता सा, वृक्ष की हर एक डाली पतझड़ में हो जाती है खाली। लेकिन बसंत बहार लाया मौसम में पूरा प्यार लाया, खिल उठे हैं प्रत्येक वृक्ष कर रही कोयल आज नृत्य। हो पुनः विकसित वृक्ष होकर यह हमें बतला रहा है , क्यों भागता है मूर्ख प्राणी अब बसंत तो आ रहा है । जीवन में आए अगर पतझड़ मार्ग ना छोड़ो कभी, नित रोज के संघर्ष में एक दिन बसंत तो आएगा। बिन ज्ञान जीवन के सफर का आज या कल अंत है, पतझड़ के बाद बसंत है पतझड़ के बाद बसंत है परिचय :- जगदीशचंद्र बृद्धकोटी निवासी : जनपद अल्मोड़ा (उत्तराखंड) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेर...
छत्र-छाया में
कविता, स्मृति

छत्र-छाया में

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** होता परिवार छत्रछाया में, कितने निश्चिंत रहते आज | पिता होते नब्बे वर्ष के आज, माताश्री होती तिरासी वर्ष की आज || जीने नहीं दिया बावन वर्ष भी, सपने देखता नब्बे वर्ष का | जननी भी तो जी नहीं सकी, जीवन अपना नब्बे वर्ष का || मूल्य आदर्शो के धनी पिता का, अनुशासन हम पर सदा रहता | वैदिक नियम के दृढ पालन से, अनुशासित मन सदा रहता || जीवन संघर्ष की प्रबल शिक्षा, मिलती पिता के जीवन से | संस्कार संयम की संयुक्त शिक्षा, मिलती रहती माँ के जीवन से || यदि होते दोनों सिर पर आज, परिवार हमारा अलौकिक होता | चलता शासन पिता का आज, समाज हमारा अलौकिक होता || न होती जयंती-पुण्यतिथि की चर्चा, जन्मोत्सव घर में होता आज | होती लधूनेश्वर महादेव की पूजा, पूजनोत्सव घर में होता आज || होता परिवार छत्रछाया में, कितने निश्चिंत रहते आज | ...
एक कदम
कविता

एक कदम

नितेश मंडवारिया नीमच (मध्य प्रदेश) ******************** सुनो-सुनो-सुनो, ध्यान लगाकर सुनो। स्वच्छ भारत का सपना था, गांधी जी के ध्यान में।। स्वच्छ रहो-स्वच्छ रहो, गांधीजी के पथ पे चलो। भवन-गली या मोहल्ला, कही भी ना हो कचरे का हल्ला। हम सबको आगे आना है स्वच्छता को अपनाना है।। पर्यावरण को बचाना है, कूड़ा-करकट गंदगी को हटाना है। सुनो-सुनो-सुनो, ध्यान लगाकर सुनो। विद्यालय-मंदिर हो या सार्वजनिक क्षेत्र, सबको साफ रखना है। हर घर आंगन को चमकाना है, स्वच्छता को अपनाना है।। हर घर जन्मोत्सव पर एक पेड़ लगाना है। प्रकृति को बचाना है, पॉल्यूशन को हटाना है।। सुनो-सुनो-सुनो, ध्यान लगाकर सुनो। हर घर शौचालय का करे उपयोग, बच्चे-बूढे और जवान। हम सबको बात समझनी है, भयंकर बीमारियों से बचना है।। स्वच्छ रहो-स्वच्छ रहो, गांधीजी के पथ पे चलो। हम सबको प्रतिज्ञा...
जीने का सलीका
कविता

जीने का सलीका

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** तुम शब्दों की बात करते हो हम तुम्हें निशब्द ही घायल कर देंगे। तुम खूबसूरती की बात करते हो हम तुम्हें सादगी से ही कायल कर देंगे। तुम हमें आधुनिकता के बोझ तले दबाते आये हो हम तुम्हें अपनी परंपराओं के बल पर ही उठ कर दिखा देंगे। तुम हमें दिखावे में पनपनमा सिखाते हो हम तुम्हें सादगी से ही तुम्हें जीना सिखा देंगे। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्...
रिमझिम-रिमझिम
कविता

रिमझिम-रिमझिम

ओमप्रकाश श्रीवास्तव 'ओम' तिलसहरी (कानपुर नगर) ******************** रिमझिम-रिमझिम बारिश है छिमछिम, भीगने से अपने को, सदा ही बचाइए। बारिश में लेलो छाता, बहुत जरूरी नाता, इसको कभी भी मत, भूल से भुलाइये। भूले यदि तुम छाता, बने सरदी से नाता, जान बूझ कर कभी, रोग न बुलाइये। मानो तुम मेरी बात, कितनी हो बरसात, घर मे रहकर ही, पकौड़ी बनाइये।। परिचय :- ओमप्रकाश श्रीवास्तव 'ओम' जन्मतिथि : ०६/०२/१९८१ शिक्षा : परास्नातक पिता : श्री अश्वनी कुमार श्रीवास्तव माता : श्रीमती वेदवती श्रीवास्तव निवासी : तिलसहरी कानपुर नगर संप्रति : शिक्षक विशेष : अध्यक्ष राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय बदलाव मंच उत्तरीभारत इकाई, रा.उपाध्यक्ष, क्रांतिवीर मंच, रा. उपाध्यक्ष प्रभु पग धूल पटल, रा.मीडिया प्रभारी-शारदे काव्य संगम, प्रभारी हिंददेश उत्तरप्रदेश इकाई साहित्यिक गतिविधियां : विभिन्न ...
दो शब्द
कविता

दो शब्द

राजीव रावत भोपाल (मध्य प्रदेश) ******************** जिंदगी और मोहब्बत की ऊंचाइयों में एक बहुत ही अजीब अंतर होता है-- एक का पैमाना छूना आकाश के तारों को और दूसरे का समुन्दर होता है- जब जिंदगी में सीढ़ियों को चढ़ते हुए चांद तारों को तोड़ लाते हैं, सफलता के झंडे जब हमारे चारों ओर फहराते हैं- यही पैमाना ही जिंदगी की तब ऊंचाइयों का नाप होता है-- और मोहब्बत में जितना डूबो देते हैं अपने आप को उतना ही उसके इश्क की बुलंदियों का माप होता है-- मोहब्बत शरीर से हो या नश्वर से कोई अंतर नहीं होता है-- बस डूब कर उबरना ही इसका मंतर होता है- जितना डूब जायेंगे और थाह ले लेगें गहराईयों की- उतनी सीढ़ियों अपने आप चढ़ जायेगें आस्था और मोहब्बत की ऊंचाइयों की- माना की मोहब्बत की राह कटंको और रूकावटों और बंधनों से भरी दुरूह होती है- लेकिन मात्र तन की अभिलाषा प्यार-इश्क-म...
हमारी आन बान शान है हिन्दी
कविता

हमारी आन बान शान है हिन्दी

डॉ. कोशी सिन्हा अलीगंज (लखनऊ) ******************** हमारी आन बान शान है हिन्दी हमारी अपनी पहचान है हिन्दी आँग्ल भाषा आये या कि जाये यही हमारी भूषित भाल बिन्दी कलेवर भाव भाषा व ज्ञान के अप्रतिम क्षमता हैं पहचान के नित नये आयाम को गढती सरकती, बहती और बढती विविध बोलियों को अपनाती अपनी छाप सर्वत्र छोड़ आती यही तो कैलाशपति की नन्दी यही है हमारी अपनी हिन्दी इसमें तुलसी सूर कबीर मीरा केशव भूषण मतिराम धीरा प्रसाद, पंत, महादेवी, निराला दिनकर मैथिली शरण आला अनगिन मनीषियों के विचार व्यक्त हुये हैं लेकर सदाचार वहन करती ज्ञान की गंगा इसमें रहते मुरलीधर त्रिभंगा यह भाषा नहीं वरदान है हिन्दी स्वदेश का स्वाभिमान है हिन्दी हृदय में बसी हुई आन है हिन्दी हमारी यही पहचान है हिन्दी। परिचय :- डॉ. कोशी सिन्हा पूरा नाम : डॉ. कौशलेश कुमारी सिन्हा निवासी : अलीगंज लखनऊ शिक्षा : एम....
अभिवादन
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अभिवादन

डॉ. सरोज साहू भिलाई, (छत्तीसगढ़) ******************** हिंदी से प्रेम है तो, अभिवादन करना सीख जाइए, सॉरी सॉरी कह कर, गलतियां न दोहराइये, माफ कीजिए कहकर, माफी ले जाइए, हिंदी से प्रेम है तो, अभिवादन करना सीख जाइए, गुड मॉर्निंग बोलकर, अंग्रेज न बनते जाइये, सुप्रभात कहकर, दिन को सुंदर बनाइए, हिंदी से प्रेम है तो, अभिवादन करना सीख जाइये, गुडबाय से लगता है ऐसे, जैसे जल्दी नाता छुडाइये, फिर मिलेंगे कहकर, आत्मीयता बढाइये, हिंदी से प्रेम है तो, अभिवादन करना सीख जाइए..!! परिचय :- डॉ. सरोज साहू निवासी : भिलाई, (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्...
नहीं शर्म मुझे कहने में
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नहीं शर्म मुझे कहने में

रिंकी कनोड़िया सदर बाजार दिल्ली ******************** नहीं शर्म मुझे कहने में, यह मेरी भाषा है! जिससे मेरा आधार बना, मेरी संस्कृति से जिसका नाता है! खूब सीखा है मैने इसके अस्तित्व से, यह सबसे प्यारी है! सोचू जिस भाषा में, तो बोलने में क्यों हिचक जारी है? बना था जिससे और हूँ जिससे, वो मेरी हिंदी न्यारी है! इतिहास और साहित्य की जुड़ी कड़ी इससे भारी है, आज हिंदी दिवस पर इसके सम्मान की बारी है! गर्व से कहता हूँ, यह हिंदी हमारी है! यह हिंदी हमारी है!. परिचय :- रिंकी कनोड़िया निवासी : सदर बाजार दिल्ली घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अ...
श्री सरगम महान
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श्री सरगम महान

नितिन राघव बुलन्दशहर (उत्तर प्रदेश) ******************** श्री सरगम गुरु सबसे महान नितिन कहे श्री की कथा महान है सबसे महान गुरु गुणगान तर जाए जगत कर गुरु अमृत पान प्रशंसा गूंज रही चहुं दिशाओं से बरस रहा श्री ज्ञान बड़ी दुआओं से छात्र पहुंच रहे बड़े मन भाव से ताकि हो शीतल उस अमृत पान से प्रशंसा मेरे कानों तक भी पहुंच गई कानों में मधु मन में इच्छा छोड़ गई मैं भी श्री सरगम दर्शन पाऊं तुच्छ जीवन को भव पार लगाऊं सो जा ग्राम में शरण में उनकी किए बिना कोई सोच विचार तब मिली शांति मुझको मनकी शांत हो गया मन का हाहाकार हाथ रख कर श्री ने सिर पर मेरे कोमल स्वर में ऐसे बोले मधु झड़ रहा हों घर से उसके ले लेकर मंद पवन के झटके पुत्र तेरे सारे कष्ट कट जाएंगे तेरी ही मेहनत के कारण तेरे मार्ग प्रस्त हो जाएंगे मैं कुछ नहीं करूंगा फिर भी अपनी ही मेहनत के कारण तू समस्त लक्ष्य पा जाएग...
राष्ट्र का मान
कविता

राष्ट्र का मान

सुभाष बालकृष्ण सप्रे भोपाल (मध्य प्रदेश) ******************** हिंदी है हमारे, राष्ट्र का मान, जग मेँ मिला है इसे सम्मान, गति इसकी कभी न रुक सकी, इसकी प्रगती का हमेँ अभिमान, बहुत दम्भ था आंग्ल भाषा को, हिंदी को मिल गया तीसरा स्थान, नहीँ वो दिन, अब अधिक दूर, हिंदी को मिलेगा सर्वोच्च स्थान, मृग मरीचिका है, विदेशी भाषा, रक्खो सदा तुम, इसका ध्यान, नासा मानता इस शक्ती का लोहा, होना चाहिये सबको इसका भान, सँगणक की अब भाषा,होगी हिंदी, गर्व से करो, इसका मान सम्मान करनी है शुरुवात नये पहल की, गर्व से गाओ हिंदी के सब गान परिचय :- सुभाष बालकृष्ण सप्रे शिक्षा :- एम॰कॉम, सी.ए.आई.आई.बी, पार्ट वन प्रकाशित कृतियां :- लघु कथायें, कहानियां, मुक्तक, कविता, व्यंग लेख, आदि हिन्दी एवं, मराठी दोनों भाषा की पत्रीकाओं में, तथा, फेस बूक के अन्य हिन्दी ग्रूप्स में प्रकाशित, दोहे, मुक्तक लोक ...
उभर आती हो तुम ग़ज़ल बनकर
कविता

उभर आती हो तुम ग़ज़ल बनकर

गगन खरे क्षितिज कोदरिया मंहू (मध्य प्रदेश) ******************** अपने अल्फाजौं को सजाया है तुम्हारे लिए खुबसूरत ग़ज़ल के रूप में, सामने जब भी आते हो एक नये अंदाज में संवर जाती हैं जिन्दगानी मेरी, बन के लबौं पर आ जाती हो ग़जल बनकर । आरज़ू यही है बस तुम्हारी खुशी में ही है छिपी मेरी खुशी, उल्फत में जलजाने की परवाने की तरह चाहत लिए संवर जाती है जिन्दगी मेरी एक नई ग़ज़ल बनकर । परिंदों की उड़ान भरने लगती जब मेरी तमन्नाएं खूबसूरत असमान के क्षितिज पर नई तस्वीर बन जाती हो तुम मेरी ग़ज़ल बनकर। खिलते कुसुम पर मुस्कुराती शबनम, उषा की किरणों की हंसीन लालीमा लिए गगन अल्फ़ाजौं में उनकी मासूमियत संवर जाती हैं, एक नये अन्दाज लिए और लबौं पर उभर आती हो तुम ग़ज़ल बनकर । परिचय :- गगन खरे क्षितिज निवासी : कोदरिया मंहू इन्दौर मध्य प्रदेश उम्र : ६६वर्ष शिक्षा : हा...
हिंदी भाषा
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हिंदी भाषा

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** हिंदी का गुणगान निरन्तर, करता रहता है जग सारा। जय बोलो हिंदी भाषा की, हिंदी से सम्मान हमारा। कोटि-कोटि कंठों को प्यारी, बिटिया है वैदिक भाषा की। हिंदी तो सस्वर प्रतिमा है, भारत माँ की अभिलाषा की। देवनागरी लिपि है अनुपम, सरल व्याकरण इसका न्यारा। जय बोलो हिंदी भाषा की, हिंदी से सम्मान हमारा। ब्रज, अवधी या बुन्देली हो, अथवा कन्नोजी हो बोली। मुखरित होती हैं भारत में, हिंदी की हैं सब हमजोली। भारत के जन-जन ने इसको, अपनाया है बहुत दुलारा। जय बोलो हिंदी भाषा की, हिंदी से सम्मान हमारा। दूर देश में भी हिंदी ने, विजय पताका फहराई है। कहाँ नहीं हिंदी की महिमा, कहाँ नहीं हिंदी छाई है। सभी दिशाएँ हुईं साक्षी, गूँज रहा हिंदी का नारा। जय बोलो हिंदी भाषा की, हिंदी से सम्मान हमारा। परिचय -  रशीद अहमद शे...
संस्कृति की शान हिंदी
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संस्कृति की शान हिंदी

राजेन्द्र कुमार पाण्डेय 'राज' बागबाहरा (छत्तीसगढ़) ******************** हिंदी, हिन्दू हिंदुस्तान है हिंदी निज गौरव का ये अभिमान हिंदी संकल्प है विश्व की भाषा बने हिंदी हम भारतीयों ये अभिलाषा हिंदी गौरव महिमा का गान बने हिंदी संसार का मान और सम्मान बने हमारे भारत की सभ्यता है हिंदी हिन्दू संस्कृति की सम्मान है हिंदी जाती धर्म से हटकर ऊपर है हिन्दी भारतीयों के शान की पहचान हिंदी है विश्व भाषा यह बने सर्वमान्य हिंदी जन जन की आशा और विश्वास है हिंदी विश्व भाषा का अनुवाद है हिंदी संवाद का अत्यंत सरल साधन हिंदी साहित्य जगत का सृजन है हिंदी सभी की सर्वमान्य भाषा बने हिंदी अपनेपन का भाव जगाए हिंदी सबका प्यारा सबका दुलारा हिंदी सब भाषा से रिश्ता रखती हिंदी समरसता का भाव जगाती हिंदी जन भाषा का संदेश बने हिंदी दृढ़ संकल्पों सभी की भाषा हिंदी विश्व पटल पे सम्मान मिले हिंदी बन...
न जाने कब वो
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न जाने कब वो

कीर्ति सिंह गौड़ इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** न जाने कब मेरी बोली सुनकर वो बोलना सीख गया। न जाने कब मेरी उँगली पकड़कर वो चलना सीख गया। उसके बचपन में, मैं अपनी ममता को जीती रही। मेरा चेहरा देखकर न जाने कब वो हँसना भी सीख गया। मेरी अमावस की रात सी ज़िंदगी में, वो चाँद की चाँदनी सा बिखरना सीख गया। न जाने कब उसका कांधा मेरे कांधे तक आ गया फिर वो अपनी ज़िदों पर मचलना भी सीख गया। कभी-कभी छुपा लेती हूँ अपने जज़्बात उससे-२ पर न जाने कब वो मेरी आँखों को पढ़ना सीख गया। जगाता था जो कभी रात भर मुझे रो-रो कर आज वो मेरी खैरियत में रातभर जागना सीख गया। परिचय :- कीर्ति सिंह गौड़ निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि ...
हिन्दी
कविता

हिन्दी

महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' सीकर, (राजस्थान) ******************** आओं मिल राष्ट्र का मान बढ़ाएं, हर क्षेत्र में भाषा हिन्दी अपनाएं। जनचेतना का आधार है हिन्दी, माँ के वात्सल्य सी है हिन्दी।..... हिंदोस्तां की ज़ुबां है हिन्दी, वतन की आन बान शान है हिन्दी। हमारी असली पहचान है हिन्दी, भारतवंशी का अभिमान है हिन्दी। जनचेतना का आधार है हिन्दी।.... हिन्द राष्ट्र की आशा हिन्दी, जन जन की मातृभाषा हिन्दी। जात-पात के बंधन को तोड़ती हिन्दी, एकता सूत्र में सब को जोड़ती हिन्दी। जनचेतना का आधार है हिन्दी।..... गणराज्य की आधिकारिक भाषा है हिन्दी, हमारी संस्कृति-समृद्धता का प्रतीक है हिन्दी। राष्ट्रभक्ति भावना को प्रेरित करती हिन्दी, धाराप्रवाह से बोलने वाली मातृभाषा हिन्दी। जनचेतना का आधार है हिन्दी।..... दुनिया में सम्मान व स्वाभिमान दिलाती हिन्दी, हमारे प्रांतों की क्षेत्...
उठो वीर तुम
कविता

उठो वीर तुम

भुवनेश नौडियाल पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड) ******************** उठो उठो तुम, वीर सपूतों, भारत का नवनिर्माण करो चिंगारी की ज्वाला बनकर, भारत का उद्धार करो उठो उठो तुम ....नवनिर्माण करो भ्रष्टाचार की जंजीरों को, अर्पण हुताशन को कर दो स्वप्न जो देखा है भारत का, उसे उजागर, तुम कर दो उठो उठो तुम ....नवनिर्माण करो विश्व गुरु का सपना जो, देखा है, वीर सपूतों ने भ्रष्टाचार की अग्निशिखा, फैली है चहु दिशाओं में उठो उठो तुम ....नवनिर्माण करो आजादी की लहरों को, फिर से उमड़कर आने दो सच्चाई की मूरत को, दिल में बसाकर तुम रख लो उठो उठो तुम ....नवनिर्माण करो परिचय :-  भुवनेश नौडियाल पिता : स्व. श्री जवाहर नौडियाल माता : मधु देवी निवासी : पालसैण, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्...
अपनी प्यारी हिन्दी
कविता

अपनी प्यारी हिन्दी

मनीषा जोशी खोपोली (महाराष्ट्र) ******************** हिन्दी भाषा आन है अपनी हिन्दी भाषा शान है अपनी। हिन्दी भाषा रत्न है अपनी। यह उत्सव है,जश्न हैअपनी। गागर में सागर यह भरती। चमत्कार शब्दों से करती। दादी,नानी के क़िस्सों में बसती। माँ की हर लोरी में सजती। खुशबू बनकर महक रही है। सूरज बनकर चमक रही है। सुंदर सरल अनोखी हिन्दी। है संस्कृत की बेटी हिन्दी। भारत की पहचान है हिंदी। हम सबका अभियान है हिन्दी। हिंदी अपनी और बढ़ेगी। दुनिया का सिरमौर बनेगी। अ से अज्ञानी तक चलती । ज्ञ से ज्ञानी तक ले जाती। जीवन की परिभाषा हिंदी। हम सब की अभिलाषा हिंदी। परिचय : मनीषा जोशी निवासी : खोपोली (महाराष्ट्र) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच ...
सृजन भाषा हिंदी
कविता

सृजन भाषा हिंदी

संध्या नेमा बालाघाट (मध्य प्रदेश) ******************** देश का सम्मान हिंदी भाषाओं में महान हिंदी सुंदरता भरी राष्ट्रभाषा हिन्दी मेरे अस्तित्व की पहचान हिंदी मां के प्रेम की छाया हिंदी हिंदुस्तान की धड़कन हिंदी एकता की अनुपम परंपरा हिंदी हिंदुस्तान की गौरव गाथा हिंदी मेरी अपनी भाषा हिंदी जीवन की परिभाषा हिंदी एक मजबूत धागा हिंदी देश को बांध रखे है हिंदी हमारी चेतन वाणी का वरदान है हिंदी हमारी आत्म भावना शब्द है हिंदी उठो जागो संकल्प करो विकसित करके निज भाषा को परिचय : संध्या नेमा निवासी : बालाघाट (मध्य प्रदेश) घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करती हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर...
राम रहीम
कविता

राम रहीम

डॉ. भगवान सहाय मीना जयपुर, (राजस्थान) ******************** दिल को घर ख़ुदा का बना लो। इंसान हो इंसान को अपना लो। मंदिर- मस्ज़िद यूं ही रहने दो, अब गले इक दूजे को लगा लो। यह नफरत की खाई पाट दो, खड़ी रंजिश की दीवार गिरा लो। मुश्किलें जो आ रही सामने, दोनों मिल बैठकर सुलझा लो। भूल से उजड़ गए जो आसियाने, फिर गुलशन ए गुलिस्तां सजा लो। राम-रहीम कंधे से कंधा मिलाकर, इक सुन्दर हिंदुस्तान बना लो। बहने दो मोहब्बत की गंगा-यमुना, अपनी दोस्ती को परवान चढ़ा लो। परिचय :- डॉ. भगवान सहाय मीना (वरिष्ठ अध्यापक राजस्थान सरकार) निवासी : बाड़ा पदम पुरा, जयपुर, राजस्थान घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्...
अनमोल हिंदी
कविता

अनमोल हिंदी

डॉ. दीपा कैमवाल दिल्ली ******************** क्यूं सिसके हिंदी कोने में? उससे बढ़कर जब न भाषा कोई। है गर्व हमें हिंदी पर है हर भारतवासी की पहचान यही। भावों की सुंदर अभिव्यक्ति जिसका है नहीं सानी कोई। संस्कार समाहित हैं जिसमें अनमोल, अमिट आभा इसकी। मुखरित होती मानवता जिसमें मनुष्यता की पहचान यही। जो लोग हीन खुद को पाते उनसे बढ़कर नहीं अनभिज्ञ कोई। माँ कहीं भुलाई जाती है क्या उसको छोड़ा जाता है। तुम भूल गए वो ना भूली बच्चों से क्या उसका नाता है। वो दुलार कहाँ से लाओगे आँचल में किसके समाओगे। मत मूर्ख बनो कुछ तो समझो उसके महत्व को अब तो समझो। वो तो है अनमोल कहीं विचरण करते जहां भाव सभी। भाषाएं कितनी कितनी बोली माँ से बढ़कर कब कोई हुई। इसका तो स्थान सबसे ऊपर ईश्वर के बाद अनमोल यही। आगे बढ़ने की चाहत में प...
वो रो रहे थे
कविता

वो रो रहे थे

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** वो रो रहे थे हम देख रहे थे अजीब सा आलम देख रहे थे ** उन्हे हुस्न पर नाज था शायद न जाने किस पर इतरा रहे थे ** शूरूर योवन का गुजर चुका वो फिर भी ठोकरे खा रहे थे ** हुरूर उन्हे किसी का रहा नही खामोश खड़े वो मुस्करा रहे थे ** जिंदगी तिश्नगी मे गुजर चूॅकी आड़ मे खड़े होकर ताक रहे धे ** हमने तो किनारा नहीं काटा फिर भी दर्द हमें जता रहे थे ** कहानी का अंत क्या होगा मन ही मन सोचे जा रहे थे ** खुदको इतना ना सताओ मोहन हरकोई इसे तमाशा बता रहे थे ** शुरूर--नशा हुरूर-डर, भय, ख़ोफ़ परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलि...
गजानन
कविता

गजानन

आशीष कुमार मीणा जोधपुर (राजस्थान) ******************** लिख नहीं पाती है तुझको कलम की औकात क्या। बाँध ले तुझको धुनों पे ऐसा कोई साज क्या। क्या बयान तुझको करे है मति की परवाज क्या। जीत में बदलें हम निश्चित अपनी हार को। चरणों में मां बाप के पा लें हम संसार को। मन्त्र दे दिया हे गजानन भव सागर पार को। पा लिया है हमने अगर मात पिता के प्यार को। परिचय :- आशीष कुमार मीणा निवासी : जोधपुर (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.co...
जिंदगी का सफर
कविता

जिंदगी का सफर

भुवनेश नौडियाल पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड) ******************** सफर है इस जीवन का, किसी दिन वह थम जाएगा। हजारों अश्रु नयनों में देकर, कहीं दूर वह छुप जाएगा। यादों का यह समुद्र है, फिर उमडकर वापस आएगा। ना जाने किन स्मृतियों में, हमको भी ढूंढा जाएगा। ईश्वर की इस परंपरा को, दिल से निभा कर जाऊंगा। यादों के इस संसार में, छाप अपनी छोड़ जाऊंगा। पुष्प बनकर खिल जाऊंगा, धूल पर एक दिन मिल जाऊंगा। ना जाने किस दिन में, अपनी यादों को छोड़ जाऊंगा। परिचय :-  भुवनेश नौडियाल पिता : स्व. श्री जवाहर नौडियाल माता : मधु देवी निवासी : पालसैण, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्री...
हिंदी भारत देश की बिंदी
कविता

हिंदी भारत देश की बिंदी

नंदिता माजी शर्मा (तितली) मुंबई, (महाराष्ट्र) ******************** हिंदी हूँ .....मैं हिंदी हूँ, भारत देश की बिंदी हूँ , हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, सबके शब्दकोश में हूं छाई.. है मुझ में साहित्य का सागर, हर धर्म को करती मै उजागर, मैं ही जननी भाषा, बोली की, साहित्य प्रेमियों के होली की, है प्रगाढ़ ज्ञान चेतना मुझमें, जितना है नील व्योम नभ में, मैं हिंदी मेरा पहचान भारत से, मेरी शक्ति, मेरा सम्मान भारत से, उपन्यास, छंद, वेद में मुझे महारत, पहचान गीता, रामायण और महाभारत ..... परिचय :- नंदिता माजी शर्मा (तितली) सम्प्रति : प्रोपराइटर- कर्मा लाजिस्टिक्स निवासी : मुंबई, (महाराष्ट्र) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्द...