आबे संगी मोर गाँव
डोमेन्द्र नेताम (डोमू)
डौण्डीलोहारा बालोद (छत्तीसगढ़)
********************
आबे संगी मोर गाँव,
हावय मया पिरीत के ठाँव।
अमरय्या हर निक लागे
सुग्घर बर पीपर के छाँव।।
आबे संगी मोर गाँव.....
मोर गाँव के खरखरा बाँध के निरमल पानी,
डुबकी लगाथन हम जम्मों परानी ।
शिव भोला म पानी चढ़ाके ,
मिलथे सब्बों ल भोले बबा के आशीष ।।
आबे संगी मोर गाँव.....
खेती खार सुग्घर लागे,
बाहरा खार के धनहा डोली ।
निक लागे सुग्घर अरा तत्ता के बोली,
कारी कोयली कुहुके बन म कौवा के कांव -कांव।।
आबे संगी मोर गाँव.....
जागर ठोर मेहनत करे ,
सुख-दुख के सब संगवारी हे ।
देवता धामी इहां बिराजे,
बैंइठे हावय इहां ठाँव- ठाँव ।।
आबे संगी मोर गाँव.....
चैतु, बुधारु, अउ हावय इतवारी,
मया पिरीत के हाबें फूलवारी ।
झुनुर-झुनुर पैंरी बाजे,
भुरी नोनी के सुग्घर पाँव।।
आबे संगी मोर गाँव.....
नदिया, नरवा, ड...