संशयात्मा विनश्यति
शांता पारेख
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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कहा जाता है संशयात्मा विनश्यति। इसका अर्थ है संशय करने वाली आत्मा विनाश को प्राप्त करती है। परन्तु सामान्य जीवन मे जो शंका करता है वही आगे बढ़ता है, न्यूटन, गेलिलियो नचिकेता शंकराचार्य जो भी किसी भी क्षेत्र के हो जिसने कब क्यों कहाँ कैसे नही पूछा वे वही खड़े रहे आकार प्रकार में बड़े हुए होंगे पर ज्ञान कला गुणों का विकास तो जिज्ञासा से ही होता है, सेव नीचे क्यों गिरा उस पर विचार किया तो गुरुत्वाकर्षन की खोज हुई फिर उसी को आधार मान कर पूरा स्पेस साइंस की खोजे हुई है। जो जितने ज्यादा सवाल पूछता अध्यापक का प्रिय पात्र बनता व वे भी उसको आगे तुम्हे कैसे व क्या पढ़ना चाहिए के लिए निर्देश देते है। कोलंबस वास्कोडिगामा मेगस्थनीज़ सब शंका उत्पन्न हुई तो खोज कर पाए। जो है उसको अगर यथावत स्वीकार लेते तो आज पाषाण युग मे ही जीते। पर जिज्ञासु सब हो ...