पिता
डॉ. कुसुम डोगरा
पठानकोट (पंजाब)
********************
एक पुरुष के दो बच्चे थे। वह पुरुष रोजाना अपने बच्चों के उठने से पहले काम पर चला जाता और शाम को बच्चों के सो जाने के बाद घर आता। बच्चों की मां उन बच्चों के पूरा दिन काम करती। उनके लिए खाना बनाती, स्कूल भेजती, उनके वस्त्र बदलवाती और उनको पढ़ाई करवा कर उन्हे सुला देती। बच्चों ने कभी अपने पिता को नहीं देखा था। बच्चों का बचपन बीता। बच्चे बढे होने लगे। एक दिन बच्चों ने अपनी मां से कहा कि मां हम दोनो ने आपको अपने साथ काम करते, समय बिताते देखा है। पिता जी को कभी भी नही देखा। ऐसे में तो उनके बिना भी हम बड़े हो सकते हैं। उनका हमारे जीवन में क्या कोई काम है? मां को उस दिन आश्चर्य हुआ और एहसास हुआ कि बच्चे तो अनजान है पिता के उनके जीवन में योगदान के। मां ने बच्चों को अपने पास बिठाया और समझाने लगी। कि तुम्हारे पिता अपना पूरा समय तुम्हारा जीव...