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गद्य

पिता
लघुकथा

पिता

डॉ. कुसुम डोगरा पठानकोट (पंजाब) ******************** एक पुरुष के दो बच्चे थे। वह पुरुष रोजाना अपने बच्चों के उठने से पहले काम पर चला जाता और शाम को बच्चों के सो जाने के बाद घर आता। बच्चों की मां उन बच्चों के पूरा दिन काम करती। उनके लिए खाना बनाती, स्कूल भेजती, उनके वस्त्र बदलवाती और उनको पढ़ाई करवा कर उन्हे सुला देती। बच्चों ने कभी अपने पिता को नहीं देखा था। बच्चों का बचपन बीता। बच्चे बढे होने लगे। एक दिन बच्चों ने अपनी मां से कहा कि मां हम दोनो ने आपको अपने साथ काम करते, समय बिताते देखा है। पिता जी को कभी भी नही देखा। ऐसे में तो उनके बिना भी हम बड़े हो सकते हैं। उनका हमारे जीवन में क्या कोई काम है? मां को उस दिन आश्चर्य हुआ और एहसास हुआ कि बच्चे तो अनजान है पिता के उनके जीवन में योगदान के। मां ने बच्चों को अपने पास बिठाया और समझाने लगी। कि तुम्हारे पिता अपना पूरा समय तुम्हारा जीव...
डोर पतंग की
लघुकथा

डोर पतंग की

निरुपमा मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** चेतन गुस्से से भरा, नाश्ते को बिना मुंह से लगाए, लंच बॉक्स छोड़कर ऑफिस के लिए निकल गया। वीणा के दिल पर जैसे कोई हथौड़ा मार गया हो। ऐसा वाकया अक्सर ही होता था, जब चेतन उसके करे काम में कोई-न-कोई नुस्क निकाल, अपना दंभ साकार कर लेता था। वीणा को चेतन के जीवन में आए मात्र छह महीने हुए थे, पर शायद ही कोई दिन ऐसा बीता हो जब वह किसी न किसी बात पर न चिल्लाया हो। वीणा से अब उसका उग्र स्वभाव बर्दाश्त के बाहर हो गया था। अभी तक वह यही सोचकर चुप रही कि शायद चेतन का व्यवहार बदल जाएगा, पर ऐसा कुछ न होने पर उसका धैर्य जवाब देने लगा। अंततः वीणा ने तय कर लिया कि अपनी मां को हर दिन की एक-एक बात बताएगी। वह चेतन को छोड़ने तक का मन बना चुकी थी। मकर संक्रान्ति का पावन पर्व था। वीणा ने देखा कि चेतन हाथ में कई रंगीन पतंगें और चरखी लेकर सीधे छत पर चला ग...
रिटायरमेंट
लघुकथा

रिटायरमेंट

नितेश मंडवारिया नीमच (मध्य प्रदेश) ******************** रिटायरमेंट के बाद खुद से सम्मुख होने का मौका मिला। जिंदगी बेफिक्री से उनके कंधे पर सर रख कर थकान मिटा रही थी... रिटायरमेंट के बाद मंडवारिया जी एक दम फ्री हो गए थे। बच्चों की शादियां कर दी थीं। बस एक सपना था कि रिटायरमेंट के बाद मिले पैसों से पत्नी को विदेश की सैर करवानी है। सो टिकट ऑनलाइन बुक करवाया। स्विट्ज़रलैंड में होटल बुक करवाया। बच्चों को पहले ही खबर कर दी थी। बच्चे खुश थे कि पापा अब तो अपनी जिंदगी मम्मी के साथ खुल कर जिएं। आखिर वो दिन भी आ गया। पहली बार हवाई जहाज में सफर करने का मौका मिला। नौकरी के दौरान जिम्मेदारी के बोझ ने कभी जिंदगी को खुल के जीने का मौका ही नहीं दिया। कभी होम लोन, कभी बच्चों की पढ़ाई तो कभी बच्चों की शादी की चिंता। पत्नी की दबी हुई आकांक्षाए मन में घुटती रहीं। कभी कोई शिकायत नहीं की। बस पति,...
हिंदी की वैश्विक चमक
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हिंदी की वैश्विक चमक

मनोरमा जोशी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** एक भाषा के रूप में हिंदी हमारी पहचान है हमारे, जीवन मूल्यों संस्कृति संस्कार, का संप्रेषक परिचायक है हिंदी विश्व की सहज सरल वैज्ञानिक, भाषा है हिंदी अधिक बोले जाने वाली ज्ञान प्राचीन सभ्यता आधुनिक प्रगति के बीच सेतु है। वंदेमातरम की शान है। हिंदी, देश का मान है, हिंदी संविधान का गौरव हिंदी है भारत की आत्म-चेतना हिंदी है। राष्ट्रीय भाषा भारत की पहचान हिंदी, आदर्षों की मिसाल है हमारी हिंदी, सूर और मीरा की तान भी हिंदी है। हमारे वक्ताओं की शक्ति है। फूलों के खुशबुओं-सी महक है हमारी हिंदी और संपूर्ण देश में छाई है।हिंदी हमारे साहित्य पुराणों की आत्मा में बसी है। हिंदी देव नागरिक लिपि भी हिंदी है। मां की बोली से प्रथम संवेदना में हिंदी ही है परंन्तु अंग्रेजी पूरे देश में छाई है, हिंदी देश की राष्ट भाषा होने के पश्चात हर जगह अग्रेजी का वर...
विश्व हिंदी दिवस
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विश्व हिंदी दिवस

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश) ********************  हिंदी की लोकप्रियता को लेकर समूचे विश्व में १० जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी प्रेमियों के लिए इस दिवस का विशेष महत्व है। २०१८ की जानकारी के अनुसार विश्व की सर्वाधिक बोली जाने वाली तीसरी भाषा हिंदी लगभग ७० करोड़ से अधिक लोगों द्वारा बोली जाती है। जबकि १.१२ अरब के साथ अग्रेंजी शीर्ष पर है। चीनी भाषा १.१० अरब, स्पेनिश भाषा ६१.२९ करोड़, अरबी भाषा ४२.२ करोड़ लोगों द्वारा बोले जाने के साथ क्रमशः दूसरे, चौथे और पाँचवें। स्थान पर है। २०१७ में प्रकाशित पुस्तक 'एथनोलाग' के अनुसार दुनिया भर में २८ ऐसी भाषाएँ है, जिन्हें ५ करोड़ से अधिक लोग बोलते हैं। यह पुस्तक दुनिया में मौजूद भाषाओं की जानकारी पर प्रकाशित हुई थी। भारत को बहुभाषाओं का धनी देश मानने के बावजूद भारत की मूल भाषा हिंदी ही मानी जाती है। ...
पप्पू पढ़ लें रे
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पप्पू पढ़ लें रे

नितिन राघव बुलन्दशहर (उत्तर प्रदेश) ******************** नब्बे के दशक में एक गॉंंव में विवाहित जोडा रहता था। दोनों पति-पत्नी बड़े परेशान थे क्योंकि उनके सात लड़कियॉं थी परन्तु कोई भी लडका नहीं था।वे हर समय पुत्र कामना में लीन रहते थे। उन्हें हमेशा यही डर लगा रहता था कि यदि उनके कोई पुत्र नहीं हुआ तो उनका वंश समाप्त हो जाएगा। कुछ समय पश्चात उनके यहॉं एक पुत्र का जन्म हुआ। जिसका नाम उन्होंने सज्जन सिंह रखा। वह धीरे-धीरे पॉंच साल का हो गया। परन्तु वह बहुत ही उद्डं था। पॉंच साल की उम्र से ही उसने औगार लाना शुरू कर दिया। उसके माता-पिता पूरे दिन उसकी औगारे सुनते। किसी ने कहा, इसे पढ़ने बैठा दो, पढाई और अध्यापकों के प्रभाव से सुधर जाएगा। उसका प्रवेश पहली कक्षा में करा दिया गया। जब सज्जन सिंह पहले दिन स्कूल गया तो पहले ही दिन उसने सारी कक्षा के बच्चों की किताबें फाड़ डाली। जब अध्यापिका को यह ...
वक्त का आईना
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वक्त का आईना

ऋतु गुप्ता खुर्जा बुलंदशहर (उत्तर प्रदेश) ******************** शारदा जी के पास उनके प्रभाकर भैया का फोन आया था कि तेरी सरोज भाभी सीढ़ियों से गिर गई है, रीड की हड्डी में गंभीर चोट आई है, ना जाने अब बिस्तर से उठ भी पाएगी या नहीं, बच्चे भी पास में नहीं रहते, पता नहीं अब किस तरह बुढ़ापा कटेगा। इतना सुनकर एक बार को तो शारदा जी का मन फिर से अतित की उन गलियों में चला गया, जब उनके भाई प्रभाकर जी का विवाह सरोज भाभी के साथ हुआ था। सरोज भाभी शहर की पढ़ी लिखी थी, और उस समय में भी स्वतंत्र विचारों की थी। आजादी के नाम पर अपनी मनमानी करने वाली थी। वह अपनी सुंदरता के आगे किसी को कुछ ना समझती थी, और बेचारी अम्मा ठहरी सीधे सरल स्वभाव की बस अपने लल्ला (प्रभाकर जी) का ही भला चाहती थी, सोचती मैं ही चुप रहूं तो क्या बिगड़े, ताकि उनके बेटे की गृहस्थी में कोई अलगाव की अंगिठि ना सुलग जाये, और सोचती कि अभी बहू...
हार और जीत
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हार और जीत

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** हारना किसे अच्छा लगता है और जीतना किसे बुरा लगता है किसी को नहीं | तो जीतकर दिखाना यदि कोई वंश हन्ता है उससे | यदि किसी ने तुमसे तुम्हारा स्वजन छीन लिया है तो तुम उसके पराक्रम छीनने का साहस न करके अपनों से ही उलझने में स्वयं को महाक्रमी समझते हैं, तो क्या कहा जा सकता है ? आपको प्रगतिशील तब माना जाता जब अपनी प्रगति के आगे हन्ता को कहीं टिकने नहीं देते | उसी के संबंधियों के आगे नतमस्तक होकर स्वजनों के पराजय की कामना करने का तात्पर्य तो सायद स्वजनहन्ता की पंक्ति में ही खड़ा हुआ माना जाता है, इसमें कितनी बुद्धिमत्ता कही जा सकती है | जीवन में रूखापन तुलनाओं से आता है, और बिना तुलना मजा भी कहाँ आता है ? जरूरी है तुलना करना पर उस तुलना की वजह से हीन भावना या अहंकार नहीं आना चाहिए | प्रेणादायक तुलना करना बहुत अच्छी बात है, परन्तु किसी ...
राष्ट्र के पुनरुत्थान में साहित्य की भूमिका
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राष्ट्र के पुनरुत्थान में साहित्य की भूमिका

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** राष्ट्र का तात्पर्य मात्र देश नहीं, देश के साथ उसकी संस्कृति भी है। इसमें वन, पहाड़, नदियाँ व  सामाजिक रीतिरिवाज भी समाविष्ट हैं। राष्ट्र एक प्रवाहमयी इकाई है। साहित्यकार जो अनुभव करता, वही लिखता है। साहित्य, समाज का दर्पण ही है।  आदिकाल, भक्तिकाल व रीतिकाल तक राज्याश्रय, अध्यात्म व श्रृंगार के संदर्भ में लिखा गया। आधुनिककाल में राष्ट्रप्रेम व समाजसुधार की स्वस्थ भावनाओं द्वारा साहित्य, सामान्यजन से जोड़ा जाने लगा। गद्यविधा भारतेंदु युग  इस नवजागरण युग में सदियों से सोए भारत ने अँगड़ाई ली। राष्ट्रवादी-भाव, जनवादी- विचारधारा, संस्कृति- गौरवगान, स्वराज्य- भावना पर भी लेखनी चलने लगी। भारदेन्दु अंग्रेजों की फूट नीति में... "सत्रु सत्रु लड़वाई दूर रहि लखिय तमासा" "उठो हे भारत, हुआ प्रभात" नारी दशा पर  " स्त्रीगण को विद्या देवें " ...
लक्ष्य तो होंगे
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लक्ष्य तो होंगे

आस्था साहू अशोक नगर (मध्य प्रदेश) ******************** लक्ष्य तो होंगे यदि है तो मार्ग तो होंगे यदि मार्ग है तो बाधाएं तो आएगी और इसी पर निर्धारित हैं कि हम जीवन में सफल होंगे या असफल, यश के भागी होंगे या तिरस्कार के। मान लीजिये, आप को एक कार्य करना हैं आपको पर्वत पर चड़ना है, अब मार्ग की फिसलन आपको को कितनी बार गिराएगी। चट्टानें आपको कई बार चोट देंगी, ऐसे में क्या करेंगे। सामान्य व्यक्ति चुनता हैं- प्रतिकार उस पर्वत को ही नष्ट कर देने का विचार करता है उसकी नींव को ही खोद देने का विचार करता है, किन्तु पर्वत को तो कोई नष्ट ना कर पाए तो, असफलता की साथ-साथ अपयश का भागी बन जाता है। दूसरा मार्ग है- परिवर्तन यदि आप उस पर्वत को खोदने के स्थान पर उस पर सीढियाँ बना दे, तो आप भी पर्वत पर चढ़ सकते हैं कोई और भी उस पर्वत पर चड सकता है आने वाली पीढी भी उस पर्वत पर चढ़ सकती हैं और...
दोस्ती की मिसाल
लघुकथा

दोस्ती की मिसाल

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश) ******************** दिनेश के पिता राजीव पिछले कई दिनों से बेटे को कुछ उदास देख रहे थे। आखिर आज पूछ ही लिया। क्या बात है बेटा, तबियत ठीक नहीं है क्या? नहीं पापा। आपको बताया था कि पंकज के एक्सीडेंट के कारण उसकी बहन सोनी की शादी रुक गई। मगर बेटा इसमें हम क्या कर सकते हैं? यही तो मैं सोच नहीं पा रहा हूँ पापा! सोनी के सामने जाता हूँ तो जैसी उसकी राखियां उलाहना देती हैं कि तू कैसा भाई है, तेरा दोस्त बिस्तर में है और तू......। दिनेश रो पड़ा। देखो बेटा। बात गंभीर है। अच्छा होता तुम मुझे ये बात और पहले बताते तो.... मगर अब तुम तीनों को परेशान होने की जरुरत नहीं है। सोनी की शादी मैं कराऊंगा, शादी उसी लगन में ही होगी। तुम मुझे पंकज के घर ले चलो। आज ही हम सोनी की होने वाली ससुराल चलेंगे और बात करेंगे। साथ उन दोनों को यहीं ले आयेंगे,...
मित्रता
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मित्रता

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** आत्मीयता के परस्पर अंतर्वैयक्तिक बंधन से बंधी हुई मित्रता की अवधारणा उसके स्वरूप के पक्ष एवं सिद्धांतों का प्रतिपादन मित्रता को लेकर किया गया है। संसार के मुक्त अध्ययनों व विवेचनों में देखा गया है कि समीपत: आंतरिक संबंध रखने वाले व्यक्ति अधिक प्रसन्न रहते हैं। हिंदी भाषा के प्रसिद्ध आलोचक रामचंद्र शुक्ल मित्रों के चुनाव को सचेत कर्म बताते हुए लिखते हैं कि:- "हमें ऐसे ही मित्रों की खोज में रहना चाहिए जिनमें हम से अधिक आत्मबल हो। हमें उनका पल्ला उसी तरह पकड़ना चाहिए जिस तरह सुग्रीव ने राम का पल्ला पकड़ा था। मित्र हों तो प्रतिष्ठित और शुद्ध हृदय के हों, मृदुल और पुरुषार्थी हों, शिष्ट और सत्य- निष्ठ, जिसमें हम अपने को उनके भरोसे पर छोड़ सकें, और यह विश्वास कर सकें कि उनसे किसी प्रकार का धोखा न होगा। सच्ची मित्रता का ऐसा एक जीवंत उ...
हमर गांव सुघ्घर गांव
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हमर गांव सुघ्घर गांव

खुमान सिंह भाट रमतरा, बालोद, (छत्तीसगढ़) ******************** जिसकी गोद में मेरा बीता है बचपन, जिसकी सेवा के लिए अर्पण है मेरा तन-मन-धन। जिसके नीर का हर एक बूंद अमृत और अन्न का हर एक कण छप्पन भोग है मेरे लिए वही मेरा बैकुंठ और वही देवलोक है। जिसका हर एक चौंक मेरा चार धाम है, मुझे गर्व है कि मेरा जन्म भूमि पावन रमतरा ग्राम है स्वच्छ , सुगंधीत व ताजी हवा गांव की ओर अनायास ही खींच लाती है। ग्राम वासियों का आपसी प्रेम और भाईचारा की भावना की तो बात ही निराली है। जिस प्रकार फूल बगीचे की शोभा पहले है और डालियों की शोभा बाद में है ठीक उसी प्रकार यहां के निवासी जाति, धर्म और ऊंच- नीच की नहीं बल्कि इंसानियत की शोभा पहले है। तीन सौ परिवारों के १६५० लोगों को अपनी गोद में आश्रय दिया हुआ हमारा गांव यहां आजीविका का मुख्य साधन कृषि है, और कुल जनसंख्या के आधे से अधिक लोग कृषि कार्य पर निर्...
गुरुनानक देव
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गुरुनानक देव

अमिता मराठे इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** दुनिया के हर समाज में पथ प्रदर्शक के रूप में गुरु का स्थान श्रेष्ठ और महत्वपूर्ण होता है। वह दिव्य ज्ञान दाता होता है। गुरू नानक देव सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले ऐसे गुरु थे जिनकी शिक्षाऐं धर्म विशेष ही नहीं, पूरी मानव जाति को नया प्रकाश दिखाती है। इसलिए उनके जन्मदिवस को प्रकाश पर्व के रुप में मनाया जाता है। ज्ञान से झोली भरने आये गुरु से सिख समाज "वाहे गुरुजी का खालसा वाहे गुरु जी की फतेह" कहते प्रेम से ज्ञान की समझ लेकर झोली भरते हैं। १५ वी सदी में भारत के पंजाब क्षेत्र में सिख धर्म का आगाज हुआ। इसकी धार्मिक परम्पराओं को गुरु गोविंद सिंह जी ने ३० मार्च १६९९ के दिन अंतिम रूप दिया। विभिन्न जातियों के लोगों ने सिख धर्म की दीक्षा लेकर खालसा धर्म सजाया था। गुरु नानक देव ने समाज में समरसता के लिए प्रयास किए। उन्होंने शोषण, ज़...
बदलता वक्त
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बदलता वक्त

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश) ********************  बदलाव प्रकृति का शाश्वत नियम है, जिसके परिणाम सकारात्मक/नकारात्मक होते ही हैं। सदियों सदियों से बदलाव होते आ रहे हैं। जीवन के हर हिस्से में अनवरत हो रहे बदलाव का फर्क भी दिखता है। संसार भर में प्राकृतिक, सामाजिक, आर्थिक, भौगौलिक, राजनैतिक, तकनीक, रहन-सहन, विचार, व्यवहार, धरातलीय, आकाशीय, यातायात, संचार, साहित्य, कला, संस्कृति, परंपराएं आदि...आदि के साथ पारिवारिक और निजी तौर पर भी उसका असर साफ देखा, महसूस किया जाता/जा रहा है।कोई भी बदलाव सबको समभाव से प्रभावित करता हो, यह भी आवश्यक नहीं है। मगर हर किसी का प्रभावित होना अपरिहार्य है। यदि आप अपने और अपने पिता जी, बाबा जी के समय पर ही दृष्टि डालें, तो आप खुद बखुद महसूस करेंगे इस बदलाव और उसके प्रभावों को भी। इसी तरह देश दुनिया, समाज का हर हिस्सा किसी न किसी...
बेमौत मरती नदियां, त्रास सहेंगी सदियां।
आलेख

बेमौत मरती नदियां, त्रास सहेंगी सदियां।

आशीष तिवारी "निर्मल" रीवा मध्यप्रदेश ******************** छठ पर्व पर एक भयावह तस्वीर यमुना नदी दिल्ली की सामने आयी, जिसमें सफेद झाग से स्नान वा अर्क देते श्रद्धालु दिखे। यह बात तो जगजाहिर है कि समूचे विश्व में हिन्दुस्तान ही एक ऐसा देश है जहां नदियों को माँ की उपमा दी गई है, पवित्र माना गया है। लेकिन वर्तमान समय में जितनी दुर्दशा हिन्दुस्तान में नदियों की है शायद ही किसी अन्य राष्ट्र में हो। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा अलग-अलग राज्यों की निगरानी एजेंसियों के हालिया विश्लेषण ने इस बात की पुष्टि की है कि हमारे महत्वपूर्ण सतही जल स्त्रोतों का लगभग ९२ प्रतिशत हिस्सा अब इस्तेमाल करने लायक नही बचा है। वहीं रिपोर्ट में देश की अधिकतम नदियों में प्रदूषण की मुख्य वजह कारखानों का अपशिष्ट गंदा जल, घरेलू सीवरेज, सफाई की कमी व अपार्याप्त सुविधाएं, खराब सेप्टेज प्रबंधन तथा साफ-सफाई के...
राष्ट्रीय पशु बनाम कुत्ता शालाएँ
व्यंग्य

राष्ट्रीय पशु बनाम कुत्ता शालाएँ

मनोरमा पंत महू जिला इंदौर म.प्र. ******************** आज कुत्तों की सभा चल रही थी, जिसमें सभी नस्ल के, सभी उम्र के कुुत्ते शामिल थे। एक वयोवृद्ध कुत्ता सभा को संबोधित कर रहा था, बाकी सभी श्रोता की मुद्रा में थे। बीच सभा में एक नेतानुमा, गली का नौजवान कुत्ता उठ खड़ा हुआ और कहने लगा- क्या आप लोगों को मालूम है, गाय को "राष्ट्रीय पशु " घोषित करने की तैयारी चल रही है? वयोवृद्ध कुत्ते ने कहा- हमें इससे क्या? बनने दो। नेतानुमा गली का कुत्ता बोला- क्या हमारी कोई औकात नहीं? हमें क्यों नहीं राष्ट्रीय पशु बनातें? अब तों सभा में शोर मच गया, सभी गली के कुत्ते के पक्ष में बोलने लगे। वयोवृद्ध कुत्ते ने कहा- मूर्खो! चुप हो जाओं। गाय को पूरा भारत "माता "कहता है। उसे पूजा जाता है। दूध के साथ ही उसका मूत्र और गोबर दिव्य माना जाता है, और हम सब जगह गंदगी फैलाते रहते हैं। हमारी और गायों की...
आदिम रंग में रँगा बाजार के प्रतिकार का पर्व छठ पूजा
आलेख

आदिम रंग में रँगा बाजार के प्रतिकार का पर्व छठ पूजा

डॉ. पंकजवासिनी पटना (बिहार) ******************** घोर बाजारीकरण के युग में भी बाजार का प्रतिकार करते घोर आदिम और पुरातन रंग में सराबोर लोक-ठाठ एवं लोक-आस्था व गहन श्रद्धा-भक्ति का परम पावन पर्व है छठ पूजा! यह शुद्धता, सात्विकता, स्वच्छता, सामूहिकता, सरलता और पवित्रता का महापर्व है! छठ पूजा प्रकृति और मनुष्य के बीच तथा प्रकृति एवं पुरुष के बीच आत्मिक संबंध, गहन जुड़ाव एवं समन्वय का पर्व है! इस पर्व की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह किसी भी प्रकार के कर्मकांड, मूर्ति पूजा, पाखंड-आडंबर और पंडा-पुरोहित के हस्तक्षेप से पूर्णतया मुक्त मनुष्य की विशुद्ध श्रद्धा एवं गहन आस्था का पर्व है! यह पर्व जाति, धर्म, वर्ण एवं ऊंँच-नीच तथा राजा-रंक और अमीर-गरीब के भेदभाव से बहुत ऊपर एवं बिल्कुल अछूता है!! प्रकृति के साथ मनुष्य के आत्मीयता से आप्लावित सह-अस्तित्व और लोक संवेदना का पर्व है यह! मिट्ट...
सरहद पर दीवाली
लघुकथा

सरहद पर दीवाली

मनोरमा पंत महू जिला इंदौर म.प्र. ********************                                       आज प्रकाशपर्व दीपावली है। सरहद पर तैनात भारतीय सैनिक दीपावली पूरे उत्साह से मना रहे हैं। उनका विश्वास था कि यह सरहद ही उनकी आन बान और शान है, जिसकी रक्षा करना ही उनका सबसे बड़ा धर्म है। आज वे सरहद पर मोमबत्ती जलाकर उजास की आराधना कर रहे हैं। सरहद को जगमग देख पाकिस्तान के सीमाप्रहरी भी निकट आ गये। एक पाकिस्तानी सैनिक ने कहा "दीपावली की मुबारकबाद !" लीजिए मीठा मुँह करिये "कहते हुऐ भारतीय सैनिकों ने मिठाई उनकी ओर बढा दी।" आज दोनों ओर प्रेम और सौहार्द्र का वातावरण था। सरहद के दोनों ओर के सैनिकों के मन में भाईचारे की पवित्र जोत प्रज्ज्वलित हो रही थी, और वे सोच रहे थे काश! यह सरहद नहीं होती तो अच्छा होता। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा पंत सेवानिवृत : शिक्षिका, केन्द्रीय विद्या...
छठ पूजा
आलेख

छठ पूजा

डॉ. पंकजवासिनी पटना (बिहार) ******************** प्रकाश और ऊष्मा की संजीवनी धारे देदीप्यमान सूर्य की करूं मैं उपासना सर्वतोभावेन कुशल हर्षित आनंदित हों सब लोक-आस्था पर्व की अशेष मंगलकामना! भारतीय समावेशी संस्कृति की साकार प्रतिमूर्ति उस छठ पूजा की अशेष मंगलकामनाएँ जहाँ उत्कर्ष ही नहीं, अपकर्ष का... उदयाचलगामी सूर्य की ही नहीं, अस्ताचलगामी सूर्य की भी पूरी श्रद्धा-भक्ति से ओतप्रोत होकर वंदना करते हैं कि बुरे/गर्दिश/पतन के दिन में भी किसी की उपेक्षा/अवमानना नहीं करो..... उसके भी सुदिन आएंगे और तब वह तुम्हारे जीवन को आलोकित करने, ऊष्मा की संजीवनी से आप्लावित करने की क्षमता रखता है.... जहाँ सभी समान रूप से महत्वपूर्ण हैं कोई छोटा बड़ा, अमीर गरीब, धनी निर्धन, स्त्री पुरुष, सवर्ण अवर्ण नहीं...... बस श्रद्धा के पात्र हैं! जहाँ केला सेब नारियल ही नहीं, सुथनी शकरकंद व गगरा नीं...
लहू वही है जो वतन के काम आए।
संस्मरण

लहू वही है जो वतन के काम आए।

आशीष तिवारी "निर्मल" रीवा मध्यप्रदेश ******************** वैश्विक स्तर की कोरोना महामारी से जूझ रहे समूचे विश्व के लोगों के समक्ष अपनी और अपनों की जान बचाना सबसे बड़ी चुनौती थी। आये दिन दुर्दांत खबरें सुन मानो कलेजा फटा जा रहा था। हर तरफ से केवल बुरी खबरें कानों को झकझोर रही थीं। ऐसे समय पर इंसान के चेहरे पर मौत को लेकर जो भय व्याप्त था वह सुस्पष्ट देखा जा रहा था। सड़कों पर पसरे सन्नाटे के बीच सायरन बजाती हुई निकलने वाली एंबुलेंस वाहन की आवाज सुन कलेजा धक सा हो उठता था। कि कहीं वह एंबुलेंस वाहन हमारे ही किसी आस-पास के व्यक्ति से संबंधित कोई बुरी खबर लेकर नही आ रही हो। संकट कालीन इस बुरे दौर में कोई यदि दूसरों की सहायता करते नजर आये तो वह साक्षात ईश्वर लगने लगता था। हम और आप सबने बचपन से लेकर आज तक बड़े बुजुर्गों से यही सुना कि मारने वाले से बचाने वाला सदैव बड़ा होता है।स्कूलों में...
प्यारी भाभी
कहानी

प्यारी भाभी

निर्दोष लक्ष्य जैन धनबाद (झारखंड) ********************  सीमा ओर रीता दोनों एक ही कॉलेज ओर एक ही क्लास में पढ़ती है, दोनों पक्की सहेली है। रीता के पिता का इलेक्ट्रॉनिक समान का बड़ा शोरूम था। सीमा एक गरीब मजदूर की बेटी थी। इससे उनकी दोस्ती पर कोईप्रभाव नहीं पड़ा। दोनों में अटूट प्रेम था। रीता का बर्थडे था उसने सीमा को निमंत्रित किया ओर तुम्हें बर्थडे पार्टी में जरूर आना है अन्यथा मैं केक नहीं काटुंगी सीमा को रीता की जिद्द के आगे झुकना पड़ा उसने हाँ कर दी। शाम को जब पार्टी के लिये तईयार होने लगी तो उसे एक भी ऐसे कपड़े नजर नहीं आये जिन्हे पहनकर पार्टी में जा सके उसने जाने का प्रोग्राम कैंसिल करना पड़ा वह नहीं चाहती थी की उसके चलते सीमा को शर्मिंदगी का सामना करना पड़े वह मन मारकर रह गई इधर जब सीमा का इंतजार कर के रीता गाड़ी लेकर उसके घर पहुंची ओर बोली तुम क्यों नहीं आई तुम जानती हो मैं...
भाषाई निपुणता
लघुकथा

भाषाई निपुणता

सीमा तिवारी इन्दौर (मध्य प्रदेश) ******************** आर्यन चुपचाप बैठ जाओ और मुझे शाम की रूप चौदस की पूजा की तैयारियाँ करने दो | माँ की ये बात सुनकर नौ वर्ष का मासूम आर्यन आकर बरामदे में चुपचाप बैठ गया | भैया आप पीछे अटाले में रखे लकड़ी के पटियों से भोलू के लिए शेड बना दो | माँ काम कर रही है और पापा ऑफिस गए हैं | मुझे देखते ही वो मुझसे बोला | मैं जो कि आर्यन के घर पेइंग गेस्ट हूँ और पीएच. डी. कर रहा हूँ | गृह मालकिन की अनुमति से शेड बनाने में जुट गया | तुम्हारा भोलू आएगा ? मैंने पूछा | हाँ कल वो पटाखों की आवाज से बहुत डर गया था | जोर-जोर से भौंक रहा था तो मैंने उसे बिस्किट देकर कोने में बिठाकर उस पर बोरा डाल दिया था | देखना भैया वो आज भी आएगा | आर्यन विश्वास से बोला | शेड तैयार हो गया था | सब त्यौहार मनाने में व्यस्त थे | आर्यन नए कपड़े पहन कर दरवाजे पर खड़ा भोलू का इंतजार क...
दिवाली के पटाखे
लघुकथा

दिवाली के पटाखे

निर्दोष लक्ष्य जैन धनबाद (झारखंड) ******************** श्याम ओर मोहन दोनों में घनिष्ट मित्रता थी। दोनों एक-एक दूसरे पर हमेशा समर्पण का भाव रखते है। स्कूल से कालेज तक दोनों टापर थे मोहन फर्स्ट तो सोहन सेकेंड। मोहन जानता था की श्याम जान बूझकर सेकेंड होता है एक प्रश्न हल नहीं करता की मोहन फर्स्ट हो जाए ये बात मोहन के पिताजी भी जानते थे उनकी दोस्ती का लोहा सभी मानते थे। एक साल पहले श्याम के पिता का देहांत होगया था वो एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे। उसके घर के हालात ठीक नहीं थे। दीपावली आरही थी, श्याम चिंतित रहता था इस साल दीवाली कैसे मनेगी घर में छोटी बहन भी थी माँ ओर बहन के कपड़े तो जरूरी थे। श्याम की चिंता मोहन से छिपी न रही उसने पूछा श्याम क्यों परेशान हो सच कहो दोस्ती की कसम। श्याम कसम के आगे मजबूर हो गया बोला अब मेरी आगे की पढ़ाई नहीं हो सकती मुझे कही नौकरी करनी पड़ेगी ...
घायल शेरनी
कहानी

घायल शेरनी

रमेशचंद्र शर्मा इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************  विमला का पति शहर के नामचीन सेठ के यहां बंगले पर चौकीदारी करता था। विमला की १२ साल की बेटी थी। विमला भी सेठ के यहां झाड़ू पोछे का काम करती है। विमला के पति को सेठ ने परिसर में ही एक कमरा सर्वेंट क्वार्टर के रूप में दे रखा था। विमला का पति शराबी था। वह अक्सर शराब के लिए विमला से रुपए मांगता एवं झगड़ा करता रहता। यह बात सेठ एवं उसके पूरे परिवार को मालूम थी। एक बार सेठ सपरिवार किसी रिश्तेदार की शादी में गए हुए थे। अचानक रात में सेठ की हवेली में डकैत आ जाते हैं। हवेली में विमला का पति अकेला था। उसने डकैतों को रोकने की कोशिश की। डकैतों ने विमला के पति की हत्या कर दी। लूटपाट करके सोने के कुछ जेवर विमला के घर के पीछे तफ्तीश भटकाने की नियत से फेंककर चले गए। सुबह हत्या की जानकारी मिली। सेठ को बुलवाया गया। सेठ ने विमला पर शक जाहिर किया। ...