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उत्सवों के माध्याम से एकात्मकता का विकास हो
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उत्सवों के माध्याम से एकात्मकता का विकास हो

उत्सवों के माध्याम से एकात्मकता का विकास हो रचयिता : डॉ सुरेखा भारती ===================================================================================================================== अध्यात्म व्यक्ति को जोडता है सनातन धर्म में उत्सवों की एक श्रृंखला होती है। दीपावली, वसंत पंचमी, शिवरात्रि, होली, नववर्ष प्रतिपदा, श्रीरामनवमी जितने भी उत्सव आते हैं, उन्हे धर्म से, आध्यात्मिकता से जोड़ा गया है। इसी सच्चाई के लिए यह घोषणा की गई की मनुष्य जाति एक है। जो भौतिकवाद से जुडे़ हैं, वह नहीं कहतें कि हम एक है। क्योकि वहाँ एक-दूसरे का स्वार्थ आता हेै। जिस मंच से, जिस धरातल से यह बोला गया है कि मनुष्य जाति एक है वह आध्यात्मिक धरातल है। अध्यात्म व्यक्ति को जोडता है और भौतिकता व्यक्ति को तोडती है। आधात्मिक व्यक्ति निर्लिप्त रहता है आध्यात्मिक व्यक्ति निर्लिप्त रहता है। आध्यात्मिक व्यक्ति समाज म...
दहेज प्रथा: आदर्श विवाह द्वारा उन्मूलन
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दहेज प्रथा: आदर्श विवाह द्वारा उन्मूलन

रचयिता : डाॅ. संध्या जैन दहेज हमारे समाज को लगी हुई कैंसर से भी अधिक भयानक बीमारी है। यदि शीघ्र ही इस बीमारी से ग्रसित समाज को राहत नहीं दिलाई गई तो वह पतन के गड्ढे में जा गिरेगा। ऐसी कुत्सित प्रथा के पक्ष में लिखना तो ठीक वैसा ही है जैसा कि ‘अन्धे को लाठी दिखाना।’ समाज में व्याप्त इस दहेज-प्रथा ने अनके परिवारों को उजाड़ दिया है। विशेषतः निम्न और मध्यम वर्ग के परिवार इसके शिकार हुए हैं। इस दहेज की कुत्सित वृत्ति के कारण अनेक माता-पिता विवश होकर अपनी लड़की को कुरूप या वृद्ध वर के हाथों बेच देते हैं। यही नहीं वरन् लड़कियों की जिंदगी को भ्रष्ट करने में भी दहेज-प्रथा का बहुत बड़ा हाथ है। कितनी ही लड़कियाँ जीवन से हताश हो आत्म-हत्या कर लेती हैं तथा गलत कामों की ओर उन्मुख हो जाती हैं। तलाक, बाल-विवाह, अनमेल-विवाह, आर्थिक ढाँचा चरमराने पर माता-पिता द्वारा आत्म-हत्या, बहू को जिंदा जलाकर मार डालन...