डॉ. बी.के. दीक्षित
इंदौर (म.प्र.)
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धन वैभव और प्रचुर सम्पदा के स्वामी थे।
राजा मनु के राज्य कई, वो निष्कामी थे।
रानी सतरूपा, प्रियपुत्रों की थी किलकारी।
भूमंडल के मालिक, थे जनता के हितकारी।
प्रलय हुई बचा नहीं पाए, सब कुछ छूट गया था।
ख़त्म हो गया राज्य समूचा, पल में डूब गया था।
रानी सतरूपा के संग, कदम हिमालय ओर चले।
संभल न पाये बाहुबली, प्रकृति कोप से गये छले।
जीवन फ़िर से प्रारंभ हुआ था, पीढ़ी दर पीढ़ी तक।
हम पहुँच गये हैं शायद आधुनिकता की सीढ़ी तक।
असहाय हुई पूरी दुनिया, जब दुष्ट करोना ललकारे।
गुरु द्रोण नहीं, भीष्म नहीं,,,,,,कौन इसे अब संहारे?
अमरीका इटली घबड़ाये, चीन गले तक भरा हुआ।
ईरान अकड़ को खो बैठा, रूस फ्रांस भी डरा हुआ।
युगपुरुष नमो की सीख यही, धैर्य धरा पर हो जाये।
चैन टूटने लगे रोग की, जो जहाँ वहीं पर रुक जाये
आधा पेट मिले भोजन, महामारी को हम भगा सकें
विश्व गुरू का है रुतबा, पूरी दुनिया को दिखा सकें।
मनु से लेकर अब तक भारत, संकट में सदा बड़ा होता।
हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई, मिलकर साथ खड़ा होता।
सीख देश की है बेहतर, हाथ जोड़,अभिवादन है।
जीवन पध्दति,उ च्च साधना, कहते इसे सनातन है।
प्रलय और महामारी में, अंतर थोड़ा बस इतना है।
पल में दम का घुट जाना, या दसदिन में मर जाना है
पूर्ण विजय तब ही होगी, जब राष्ट्र समूचा जाग उठे
देख हमें अति चौकन्ना, वायरस भारत से भाग उठे।
परिचय :-डॉ. बी.के. दीक्षित (बिजू) आपका मूल निवास फ़र्रुख़ाबाद उ.प्र. है आपकी शिक्षा कानपुर में ग्रहण की व् आप गत ३६ वर्ष से इंदौर में निवास कर रहे हैं आप मंचीय कवि, लेखक, अधिमान्य पत्रकार और संभावना क्लब के अध्यक्ष हैं, महाप्रबंधक मार्केटिंग सोमैया ग्रुप एवं अवध समाज साहित्यक संगठन के उपाध्यक्ष भी हैं।
सम्मान – हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak।com) द्वारा हिंदी रक्षक २०२० सम्मान
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