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परवाना

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रचयिता : डाॅ. हीरा इन्दौरी

परवाना सरकारी रख।
राग सभी दरबारी रख।।
दाल रखी तरकारी रख।
रोटी गरम करारी रख।।
चाहे दिल में आग लगे।
होठों पर फुलवारी रख।।
जैसे मिसरी घोली हो।
बोली ऐसी प्यारी रख।।
करजा लेने दैने की।
दूर अलग बीमारी रख।।
नंगा नाचे सङकों पर।
कुछ तो परदादारी रख।।
बात सही तेरी लेकिन।
कुछ तो बात हमारी रख।।
गीत गजल पढना है तो।
“हीरा” फिर तैयारी रख।।

परिचय :- नाम : डाॅ. “हीरा” इन्दौरी  प्रचलित नाम डाॅ. राधेश्याम गोयल
जन्म दिनांक : २९ – ८ – १९४८
शिक्षा : आयुर्वेद स्नातक
साहित्य लेखन : सन १९७० से गीत, हास्य, व्यंग्य, गजल, दोहे लघु कथा, समाचार पत्रों मे स्वतंत्र लेखन तथा विभिन्न पत्रिकाओं में रचनाओं का पचास वर्षों से प्रकाशन
अखिल भारतीय कविसम्मेलन, मुशायरों में शिरकत कर रचना पाठ, आकाशवाणी तथा दूरदर्शन पर रचना पाठ विभिन्न साहित्यिक सामाजिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित
विषेश : आध्यात्मवेत्ता विद्या ज्योतिष के ज्ञाता असंख्य कुण्डलियों का सफल फलादेश कर मार्गदर्शन दे चुके हैं तंत्र मंत्र में विशेष रूचि


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