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धरती माँ की पुकार

डॉ. यशुकृति हजारे
भंडारा (महाराष्ट्र)

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कल रात मेरे ख्वाबों में
धरती माता आई थी
कहने लगी देखो,
रंगीन आसमानों के नीचे
भोर की लालिमा सी लगती हूँ
रंग-बिरंगे फूलों से मैं लदी हूंँ
चहुँ ओर छाई है हरियाली,
तुम सब सदा बनाये रखना मुझे सुंद।

अब बहने लगी नदी
स्वच्छ, निर्मल जल की धारा
बन गई है तुम सबके लायक
न करना प्रदूषित
न कहना वह मैली हो गई है
हे मानव ! तुम सदा रखना
शुद्ध और पवित्र।

धरती माता मुझसे कहती है
मां बेटे का सदा बना रहे यूं ही रिश्ता
अन्न, फूल, फल तुमको देती
रही यूं ही सदा।
बदले में मैं तुमसे कुछ ना लेती
कहने लगी धरती माता।
सुनो तुम सब हो मेरे बेटे
बहने दो मंद-मंद पवन
शीतल सुगंधित होने दो मुझकों
शीतल सुगंधित अब रहने दो मुझकों।

परिचय :- डॉ. यशुकृति हजारे
निवासी : भंडारा (महाराष्ट्र)


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