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श्याम सुन्दर शास्त्री
(अमझेरा वर्तमान खरगोन)
युग शिखर तुम चढ़ो सोपान बन मैं खड़ा हूं
जिनकी कल तक बोलती थी हस्तियां
आज डगमगा रही उनकी कश्तियां
इस तूफान में , मैं मनु की नाव बन चल पड़ा हूं
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कुरुक्षेत्र में कृष्ण अर्जुन का संवाद
भक्ति, ज्ञान,कर्म योग से ,मिटा वह विषाद
सत्यमेव जयते का संदेश बन पड़ा है
.
दु:शासन से द्रौपदी का चीर हरण
तोड़ रहा है नारी का दामन दर्पण
भारतीय मानस को झकझोर रहा है
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कर रहा हूं मन की बात,
बिन संग्राम का यह संवाद
अखण्ड भारत का स्वप्न जोड़ रहा हूं
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दृढ़ता व जीवटता, अविरल, अबाध
जैसे हो रहा दिनकर से प्रभात
युग की इस धारा को मोड़ रहा हूं
.
लेखक परिचय :- श्याम सुन्दर शास्त्री, सेवा निवृत्त शिक्षक (प्र,अ,)
मूल निवास:- अमझेरा वर्तमान खरगोन
शिक्षा:- बी,एस-सी, गणित
रुचि:- अध्यात्म व विज्ञान में पुस्तक व साहित्य वाचन में रुचि …
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