आशीष तिवारी “निर्मल”
रीवा मध्यप्रदेश
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जी हाँ!
एक दम सही पढ़ा आपने
दुनिया के सर्व शक्तिशाली शख्स का तमगा अपनी छाती पर लादकर बाइडेन अब व्हाइट हाउस की गद्दी में बैठने जा रहे हैं। सर्वशक्तिशाली देशों की सूची में ओहदा रखने वाले अमेरिका को नया राष्ट्रपति बाइडेन के रूप में मिल गया है। वैसे अमेरिका के नये राष्ट्रपति के समक्ष चुनौतियां भी कम नहीं होंगी जब दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है और इसका सबसे ज्यादा शिकार अमेरिका ही हुआ है, अमेरिका जैसे देश की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल है, लाखों लोग बेरोजगार हैं। ऐसे में देखना यह भी होगा कि इन सभी हालातों से बाइडेन कैसे निबटते हैं। बहरहाल उगते सूरज को सलाम करने की हमारी सनातनी परम्परा रही है और आगे भी रहेगी। हमारे हिन्दुस्तान में उगते सूरज को सलाम करने के लिए इस समय देश की महनीय कुर्सी पर दो गुजराती भाऊ बैठे हैं और गुजराती भाऊ बिजनेस और रिश्ते बनाने के मामले में अन्य भारतीयों की तुलना में अधिक निपुण होते हैं। ये गुजराती भाऊ कुछ करें ना करें लेकिन वह दिन दूर नहीं जब अमेरिका के नये राष्ट्रपति बाइडेन से अपना कोई ना कोई पुराना दोस्ती, यारी का रिश्ता अवश्य निकाल लेंगे और फिर शुरू होगा बाइडेन द्वारा भारत और इन दोनों गुजराती भाऊ के तारीफ का सिलसिला। यह भी संभव है कि ये दोनों गुजराती भाऊ अमेरिका के नये राष्ट्रपति को शीघ्र ही भारत दौरे पर ले आएं और उस कार्यक्रम नाम रख दें “नमस्ते बाइडेन”। बाइडेन और उनके साथ अमेरिका से आने वाली अमेरिकी बारात का स्वागत पान पराग से करा दें। फिर शुरू होगा नये अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा इन गुजराती भाऊ के सामने पानी भरने का दौर।
हालांकि हमारे इन दोनों गुजराती भाऊ का मीडिया मैनेजमेंट इतना सालिड है कि यदि बाइडेन इन दोनों गुजराती भाऊ के सामने एक बाल्टी पानी भरते हैं तो देश की जनता को वह पानी दस बाल्टी बताया जा सकता है। खैर यह तो बात तब की है जब बाइडेन भारत दौरे पर आएंगे अभी तो हम सभी को उनका इंतजार ही है।
इसके पूर्व जो व्हाइट हाउस की गद्दी में जिल्लेइलाही बैठे थे वो झूठ की चलती फिरती दुकान थे वो सत्य को उतना ही नापसंद करते थे जितना पाकिस्तान, हिन्दुस्तान को। ट्रम्प असत्य के प्रति निष्ठावान थे और हैं! ट्रम्प ने झूठ बोलने में कभी कोताही नही बरती चाहे वो भारत दौरे पर ही क्यों ना रहे हों।
ट्रम्प की इस झूठ बोलने की प्रतिभा के आगे हमारे हिन्दुस्तानी नेता पानी भरते थे। इन हिन्दुस्तानी नेताओं को ट्रम्प से प्रेरित होने के लिए ही गुजराती भाऊ लोगों ने ट्रम्प का दौरा भारत के लिए कराया था। बहरहाल भारत के नेता ट्रम्प से क्या कुछ सीख पाए या नही ये तो वक्त ही बताएगा लेकिन अभी तो दुनिया की निगाह बाइडेन पर टिकी हुई है। बाईडेन के बारे में अभी कुछ भी लिखना या बोलना थोड़ा जल्दबाजी कहलाएगी इसलिए बूंद को समंदर समझते हुए मैं बाइडेन को नमस्ते और ट्रम्प को बाय-बाय कह रहा हूँ।
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