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भाई हो तो कृष्णा जैसा

नन्दलाल मणि त्रिपाठी
गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
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भाई हो कृष्ण जैसा
बहना की चाह-राह
विश्वासों जैसा
भाई बहन का प्यार
कृष्ण और सुभद्रा जैसा।।

बचपन की
अठखेली ठिठोली
संग साथ जीवन
की शक्ति जैसा
बहना की मर्यादा
रक्षक सिंह काल
गर्जना जैसा।।

नन्ही परी बाबुल
घर अंगना
भाई बड़ा या
हो छोटा, धूप
छांव में स्वर
सम्बल जैसा।।

भाई बहना का
रिश्ता जीवन की
सच्चाई, सच्चा रिश्ता
माँ बापू की प्यार
परिवश भाई
की संस्कृतियों जैसा।।

भाई बहना कि
आकांक्षो का मान
जीवन के संघर्षों में
शत्र शास्त्र
हथियारों जैसा ।।

भाई बहन का
प्यार संस्कार
अक्षय अक़्क्षुण,
धन्य धान्य
बहना अस्मत
आभूषण जैसा।।

भाँवो के गागर का सागर भाई
बहना की खुशियां भाई बहना के
सुख दुःख में युग मौलिक
मूल्यों जैसा।।

कच्चे धागे का
बंधन रिश्तो का
अभिमान भाई
बहन दुनियां में
दो दामन
एक प्राण जैसा।।

भाई की
कलाई पे बहना
कच्चे धागे बांध,
आश्वस्त
जीवन की खुशियाँ
उपहारों जैसा।।

भाई बहन का
रिश्ता संकल्पों का
रिश्ता जीवन समाज
स्वार्थ से ऊपर
जीवन के
आदर्शो जैसा।।

बलदाऊ कृष्ण
सुभद्रा जय
जगन्नाथ जग
पालक के अविनि
जीवन की
मर्यादाओं जैसा।।

परिचय :- नन्दलाल मणि त्रिपाठी
साहित्यिक उप नाम : पीताम्बर
सम्प्रति : प्रचार्य
संस्थान : भारतीय जीवन बीमा निगम
जन्म स्थान : गोरखपुर
निवास : खोराबार जनपद- गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
भाषा ज्ञान : हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी, बंग्ला
ज्ञान शैक्षिक स्तर : स्नातकोत्तर तक सभी बिषयों के अध्यापन क़ि योग्यता
समाजिक गतिविधि : १- युवा संवर्धन संरक्षण २- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ३- महिला सशक्तिककर्ण ४- विकलांग अक्षम लोंगो के लिये प्रभावी परिणाम परक सहयोग।
लेखन विधा : कविता, गीत, ग़ज़ल, उपन्यास, कहानी आदि।
प्रकाशितकृति : एहसास रिश्तों का प्रकाशित, शुभा का सच उपन्यास और शौर्य का शंखनाद प्रकाशन स्तर पर। पच्चीस साझा संकलन अध्ययन एव अतिरिक्त ज्ञान : आधुनिक ज्योतिष विज्ञानं
योग्यता : वक्ता एवं प्रेरक
सम्मान : दो अंतरराष्ट्रीय सम्मान, दो सौ राष्ट्रीय सम्मान बिभिन्न स्तरों पर विभिन्न संगठनों द्वारा।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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