विकाश बैनीवाल
मुन्सरी, हनुमानगढ़ (राजस्थान)
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चौपाल नहीं रही, ना रहे चबूतरे,
आपसी खीज ने सब तोड़ डाला।
ग़लतफ़हमियो से भरे रिश्तों ने,
एकांतता की और मुँह मोड़ डाला।
क्या बात करें गठबंधन की हम,
इसने भी एकता को निचोड़ डाला।
नये रिश्तों की बेहूदी चाह में,
लोगों ने पुराना घर फोड़ डाला।
गलतफहमियां होती है रिश्तों में,
माफ़ करना सुधारना भी जरूरी है।
इंसान जो ठहरे हम सब साहब,
आपस में सराहना भी जरूरी है।
वहम जो है ये फ़क़त मन का मेल है,
मेल को जड़ से मिटाना भी जरूरी है।
गौर से देखें अनदेखे ना करें रिश्ते,
जीवन में रिस्ते निभाना भी जरुरी है।
परिचय :- विकाश बैनीवाल
पिता : श्री मांगेराम बैनीवाल
निवासी : गांव-मुन्सरी, तहसील-भादरा जिला हनुमानगढ़ (राजस्थान)
शिक्षा : स्नातक पास, बी.एड जारी है
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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