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तोड़ दे रंजिशें

जितेन्द्र रावत
मलिहाबाद लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

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तोड़ दे रंजिशें मैं मुक्कदर तेरा।
तू है नींद मेरी मैं हूँ ख़्वाब तेरा।

तू है बेचैन क्यों मेरी दिलरुबा।
आँखों को अश्क़ों में मत डूबा।
तू है सवाल मेरा मैं हूँ जवाब तेरा।
तू है नींद मेरी मैं हूँ ख़्वाब तेरा।

बेहिसाब रब से इबादत की।
उन दुवाओ में तेरी चाहत थी।
तू है दौलत मेरी, मैं हिसाब तेरा।

तू है नींद मेरी, मैं हूँ ख़्वाब तेरा

तू सियासत के जैसे बदलना नही।
मेरे प्यार को दीवार में चुनना नही।
तू है अनारकली मेरी, मैं हूँ नवाब तेरा।

तू है नींद मेरी, मैं हूँ ख़्वाब तेरा।

बेचैनी क्यों तू दिल में सजी।
सूरत तेरी, आँखों में बसी।
तू है मन्नत मेरी, मैं सवाब तेरा।

तोड़ दे रंजिशें मैं मुक्कदर तेरा।
तू है नींद मेरी, मैं हूँ ख़्वाब।

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परिचय :- जितेन्द्र रावत
साहित्यिक नाम – हमदर्द
पिता – राधेलाल रावत
निवासी – ग्राम कसमण्डी कला, मलिहाबाद लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
शिक्षा – बी.ए (बी.टी.सी)
राष्ट्रीयता – भारतीय
भाषा – हिन्दी
जाति – हिन्दू
साहित्य में उपलब्धियां – अनेकों समाचार में प्रकाशित रचना एवं साहित्यिक मंच से सम्मानित

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