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रोटी के नाम

विकास सोलंकी
खगड़िया (बिहार)
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डिजिटल के इस दौर में, लाख करें अपलोड ।
गूगल से होता नहीं, रोटी डाउनलोड ।।

रोटी मिलती है नहीं, हम मुफलिस को एक ।
जनम दिवस के नाम पर, काट रहे वो केक ।।

होते होते हो गई, रोटी ज्यों ही गोल ।
तपते ताबे पर चढ़ा, अनगढ़ सा भूगोल।।

युद्ध अमन की कामना, जब भी करते खास ।
दुहराना पड़ता सदा, रोटी का इतिहास ।।

देना पड़ता सूर्य को, सच में तब धिक्कार ।
पा लेता है चाँद जब, रोटी का आकार।।

परिचय :-विकास सोलंकी
निवासी : खगड़िया (बिहार))
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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