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रोटी

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संजय वर्मा “दॄष्टि”
मनावर (धार)

भूख में स्वाद

जाने क्यों बढ़ जाता
रोटी का
झोली/कटोरदान से
झांक रही
रख रही रोटी
भूखे खाली पेट में
समाहित होने की
त्वरित अभिलाषा
ताकि प्रसाद के रूप में
रोटी से तृप्त हो
ऊपर वाले को कह सके
धरा पर रहने वाला
तेरा लख -लख शुक्रिया
रोटी कैसी भी हो
धर्मनिर्पेक्षता का
प्रतिनिधित्व करती
भाग -दौड़ भी
रोटी के लिए करते
फिर भी कटोरदान
धरा पर रहने वालों को
नेक  समझाइश देता
कटोर दान में ऊपर-नीचे
रखी रोटी
मूक प्राणियों के लिए
होती सदैव सुरक्षित
दान के पक्ष के लिए
रखी एक रोटी की हकदारी से
भला उनका पेट
कहाँ से भरता ?
रोटी की चाहत
रोटी को न मालूम
रोटी न मिले तो
भूखे इंसान की
आँखें रोती
यदि  रोटी मिल जाए
ख़ुशी  के आंसू से
वो गीली हो जाती
बस इंसान को और क्या चाहिए
ऊपर वाले से
किन्तु रोटी की तलाश
है अमर
.

परिचय :- नाम :- संजय वर्मा “दॄष्टि” पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा
जन्म तिथि :- २ – मई -१९६२ (उज्जैन )
शिक्षा :- आय टी आय
व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग )
प्रकाशन :- देश – विदेश की विभिन्न पत्र – पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति “दरवाजे पर दस्तक “, खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान – २०१५ , अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
संस्थाओं से सम्बद्धता :- शब्दप्रवाह उज्जैन, यशधारा – धार, मगसम दिल्ली,
काव्य पाठ :- काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ, शगुन काव्य मंच


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