Thursday, November 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

मन की विवेचना

भारमल गर्ग
जालोर (राजस्थान)
********************

अनुराग अनुभूति मिला आज आनुषंगिक,
निरूपम अद्वितीय शून्यता हुआ!
देख अपकर्ष अपरिहार्य के साथ।

यदा-कदा अनुकंपा, अनुकृति
अहितकर असमयोचित
इंद्रियबोध रहित! अक्षम
अनभिज्ञ बता रहे पारायण ज्ञान।

अदायगी अविराम ले रहा
तंद्रालु बन गया में, क्लेश
अग्रवर्ती पूर्वाभास से
अचवना कर रहा में,
अचल मन पर अज्ञ तन
अशिष्ट बेतहाशा बढ़ रहा में।

मीठा कथन सबसे बड़ा,
होता भेषज प्रतीक हरती विपदा
सब जहाँ, मनुज ये तू है तीक्ष्ण!
मुकुर निरर्थक बन जा पहली बार,
वृत्ति की मुक्ति अन्वेषण
सुरभोग सुधा बन बैठा में।

सिमरसी वैराग्य सर्वस्व अर्पण सारथी
मन टूट रहा अपरिग्रह कर गया में!
पुलकित आलोक अत्युच्च उत्सर्ग
अनुग्रह आज, स्मरणीय दायित्व
निर्वहन नवीन नवोन्मेष के संग।

बड़भागी पुरईन बोरयौ परागी प्रीति में,
बिहसी कालबस मंद करनी काज,
विलम्ब विद्यमान जनावहीं आज
घोरा मोहि लागे छमिअ अबूझ
मन को मोह से आज।

हियो गुन गाथा छोड़ देता आज,
तनुता ढरी सांस समीर के संग!
झीनी मगन आनी जगन पायनी मघुराई,
मंजु सुहाई हुलसै देख मुखचंद जुन्हाई किनित आज।

कंजकली सुधा फरसबंद शोभत आज,
देख-देख कर रही शांता सारे काज,
मधुप घनी अनंत नीलिमा व्यंग्य
कविता ना हुई आज देख-देख प्रवंचना
उज्जल अनुरूप सटीक उपाय आज।

उन्मन अंत ना हो, अट उर पुष्प शोभाश्री
नादानी की मुक्ति अन्वेषण,
जलजात परस पंचामृत तरमन “गर्ग” मानुष
आज शांत क्षण चिरप्रवास हुई अरुणा आज!
कोटि हत साहस पथ संचलन मन व्याकुल,
इस प्रीति के क्या-क्या बताया भान नहीं दिखाता आज।

नीरवता मेख रोष रंज सदैव, विकृत रूप में
“गर्ग” देख रहा गवेषणा करता आज!
मनोवृति सघन स्पंदन निपुणता
जीवन शैली विवेशना की बात,
घुटिक कुत्सित शांत क्षण भर
सदैव तत्पर रहता मलयज,
सृष्टा देखो रीता चर्मिका इस प्रीति के
तात्विक वशीभूत प्रेम से व्योम मन से
व्योम चेतन मन का हिस्सा बन प्रेम
जब किच्छा बन बैठा आज में।

परिचय :- भारमल गर्ग
निवासी :
सांचौर जालोर (राजस्थान)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें….🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *