Thursday, November 7राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

सरहद

========================

रचयिता : वन्दना पुणतांबेकर

सरहदों पर खड़ी, यह बर्फ की दीवार।
देश का समर्पित,शहीदों का परिवार।
हर क्षण-क्षण के पहरेदार यह हैं।
सहते गिरते तुफानो के वार यह है ।
चट्टानों से अटल खड़े हैं।
सैनिक सीना तान खड़े हैं।
प्रेम,संवेदनाओं का समर्पण कर,चारो प्रहर डटे खड़े हैं।
वतन की रक्षा की खातिर सीने पर कई वार सहे हैं।
मुश्किलों को पार कर।
देश की ये आन बने है।
शीतल लहरों की मार यह सहते।
हमको चैन की नींद ये देते।
फिर भी आँखे खोल खड़े हैं।
सजगता की मिसाल बने हैं।
भारत का गौरव,अभिमान रहे है।
सम्मान करो मातृभूमि के इन लालो का।
शूरवीर जो माँ ऐ है,इनकी।
सच्ची देशभक्ति का पुंज बनी है।
नमन देश के उन परिवारों को।
देश की खातिर बेटो की कुर्बानी देकर।
चेहरे पर मुस्कान लिए है।

 

परिचय :- नाम : वन्दना पुणतांबेकर
जन्म तिथि :
५.९.१९७०
लेखन विधा :
लघुकथा, कहानियां, कविताएं, हायकू कविताएं, लेख,
शिक्षा :
एम .ए फैशन डिजाइनिंग, आई म्यूज सितार,
प्रकाशित रचनाये : कहानियां:-
बिमला बुआ, ढलती शाम, प्रायचित्य, साहस की आँधी, देवदूत, किताब, भरोसा, विवशता, सलाम, पसीने की बूंद, 
कविताएं :-
वो सूखी टहनियाँ, शिक्षा, स्वार्थ सर्वोपरि, अमावस की रात, हायकू कविताएं राष्ट्र, बेटी, सावन, आदि।
प्रकाशन :
भाषा सहोदरी द्वारा सांझा कहानी संकलन एवं लघुकथा संकलन
सम्मान :
“भाषा सहोदरी” दिल्ली द्वारा


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर मेल कीजिये मेल करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने मोबाइल पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com  कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने मोबाइल पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक से जुड़ने के लिए अपने मोबाइल पर पहले हमारा नम्बर ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *