मंजुला भूतड़ा
इंदौर म.प्र.
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कुछ होती हैं हल्की
कुछ होती हैं भारी,
लेकिन किताबों में होती
दुनिया की हर जानकारी।
कबीर के दोहे,
संतों की वाणी,
राम की कहानी
तुलसी की जुबानी।
हर धर्म का हर अध्याय,
किताबों का नहीं कोई पर्याय।
है ज़िन्दगी किताब-सी,
किताब-सा जिन्दगी में कोई नहीं।
कुछ नया करने की खोज
जुड़ाव बना रहे रोज़,
क्योंकि क़िताबें होती हैं,
सबसे अच्छी दोस्त।
किताबें हर घर में बसती,
समझें मूल्य तो लगें सस्ती,
वरना चुपचाप ही रहतीं
कुछ भी नहीं कहतीं।
नाम : मंजुला भूतड़ा
जन्म : २२ जुलाई
शिक्षा : कला स्नातक
कार्यक्षेत्र : लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता
रचना कर्म : साहित्यिक
लेखन विधाएं : कविता, आलेख, ललित निबंध, लघुकथा, संस्मरण, व्यंग्य आदि सामयिक, सृजनात्मक एवं जागरूकतापूर्ण विषय, विशेष रहे। अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक समाचार पत्रों तथा सामाजिक पत्रिकाओं में आलेख, ललित निबंध, कविताएं, व्यंग्य, लघुकथाएं संस्मरण आदि प्रकाशित। लगभग १९८५ से सतत लेखन जारी है ।
१९९७ से इन्दौर में निवास वर्तमान में लेखिका संघ की अध्यक्ष एवं (संस्थापक सदस्य) २१ वर्षों से लेखिका संघ में सतत सक्रिय।
प्रकाशित दो पुस्तकें : काव्य संग्रह “अक्षरों का तानाबाना “, लघुकथा संग्रह “सागर सीपी ” आपकी अनेक साझा संकलनों में रचनाएं प्रकाशित हुई हैं आप अनेकों काव्य गोष्ठियों में भी सहभागी रही हैं एवं अनेक साहित्यिक संस्थाओं में सक्रिय भूमिका निभा रहीं हैं।
सामाजिक सक्रियता : आप सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय हैं, अनेक पत्र पत्रिकाओं, स्मारिका आदि का सम्पादन कार्य, नाटक लेखन व मंचन भी किया है। आपने अनेक सामाजिक संस्थाओं में सक्रिय सदस्य रहीं हैं व विभिन्न पदों का निर्वाह किया है।
सामाजिक जागरूकता : सामाजिक रूढ़ियों को समाज और पारिवारिक स्तर पर समाप्त करने हेतु प्रयासरत। जैसे जन्मदिन पर ज्योति न बुझाएं, मृत्यु भोज एवं दहेज बहिष्कार आदि की शुरुआत आपने अपने घर से की। आप नेत्रदान करने लोगों को प्रेरित करने हेतु प्रयासरत हैं।
आपके कार्यक्रम आकाशवाणी पर भी प्रसारित हुए हैं। तथा एक बार दूरदर्शन से भी प्रसारण हुआ। छात्र जीवन से ही आप भाषण और वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में सहभागी और विजेता रही तो लिखना और सार्वजनिक रूप से अपनी बात कह पाना, सम्भव रहा ।
सम्मान : कुसुम कृति सम्मान, श्रेष्ठ काव्य संगम से सम्मान, ‘नेत्रदान’ निबंध के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार,
पत्रलेखन प्रतियोगिता के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तृतीय पुरस्कार, अंगदान/ देहदान/ नेत्रदान जैसे विषय पर लिखी गई कविता ‘थोड़ा-सा यहीं रह जाओ’ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त।
मध्यप्रदेश में १८ वर्षों से सक्रिय संस्था का, २०१९ का “तूलिका लेखन सम्मान”, अखिल भारतीय माहेश्वरी महिला संगठन की जिला इन्दौर, इकाई द्वारा, २०१९ का “साहित्य सेवा सम्मान”,
हाल ही में इन्दौर लेखिका संघ, इन्दौर के अंतर्गत ‘अंगदान महादान ‘ पुस्तक का प्रकाशन कराया। सामाजिक सरोकार से जुड़े विषय को लेखनी के माध्यम से जागरूकता लाने का प्रयास किया। अंगदान महादान जागरूकता अभियान में संलग्न …
एक वक्ता के साथ ही अनेक स्तरीय कार्यक्रमों की उद्घोषिका भी।
विदेश यात्राएं : अमेरिका, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, बैंकाक, थाईलैंड, सिंगापुर चीन आदि।
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