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पुस्तक का संसार

माधुरी व्यास “नवपमा”
इंदौर (म.प्र.)

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बड़ा वृहद पुस्तक का संसार,
इसका ज्ञान अनन्त अपार।

मानव-सभ्यता का जो हुआ विकास,
पुस्तक से पाया है उसका विस्तार।
संस्कृति-विकास का जो समग्र प्रयास,
पुस्तकों को मिला नेह-श्रेय अपार।
बड़ा वृहद पुस्तक का संसार,
इसका ज्ञान अनन्त अपार।

पुस्तक पर मानव मात्र का है अधिकार,
जाति-सम्प्रदाय का नहीं कोई विवाद।
व्यक्तित्व बनाती संतुलित और उदार,
अद्भूत आश्चर्यो की इसमे है भरमार।
बड़ा वृहद पुस्तक का संसार,
इसका ज्ञान अनन्त अपार।

मेरे एकांकीपन में एकांत है दिलाती,
जब कभी भी होती हूँ मैं इसके साथ।
सारे जगत में इसके संग घूम आती,
स्वर्ग बना देती ये फिर मेरा छोटा संसार।
बड़ा वृहद पुस्तक का संसार,
इसका ज्ञान अनन्त अपार।

आज करो सब संकल्प बस इतना,
प्रेम करो मनुज तुम इसका करो आभार,
देती है ये सतत-निस्वार्थ सेवा का उपहार,
ये महान मित्र और सच्ची है सलाहकार।
बड़ा वृहद पुस्तक का संसार,
इसका ज्ञान अनन्त अपार।

 

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परिचय :- माधुरी व्यास “नवपमा”
निवासी – इंदौर म.प्र.
सम्प्रति – शिक्षिका (हा.से. स्कूल में कार्यरत)
शैक्षणिक योग्यता – डी.एड ,बी.एड, एम.फील (इतिहास), एम.ए. (हिंदी साहित्य)


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