रशीद अहमद शेख ‘रशीद’
इंदौर म.प्र.
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पुस्तक अनुभव-कोष है, पुस्तक ज्ञानागार।
जग में किस पर है नहीं,पुस्तक का उपकार।
पुस्तक में इतिहास है, पुस्तक में भूगोल।
पुस्तक में है सभ्यता, पुस्तक है अनमोल।
पुस्तक में गुर ज्ञान है, पुस्तक में निर्देश।
पुस्तक में है सम्मिलित, जीवन के संदेश।
मानव के पथ-प्रदर्शक, पुस्तक हों या ग्रंथ।
लाभ ग्रहण इनसे करें, जगती के सब पंथ।
संस्मरण-अनुभूतियाँ, लेतीं पुस्तक रूप।
सकुचातीं इस रूप से, मार्तण्ड की धूप।
पुस्तक से है संस्कृति, है आचार-विचार।
पुस्तक से बढ़ता सदा, जीवन-शिष्टाचार।
पुस्तक है तो ज्ञान है, पुस्तक है तो शान।
पुस्तक से मिलता हमें, जीवन में सम्मान।
युगों-युगों से पुस्तकें, हमें दिखाएँ राह।
अच्छी पुस्तक-पठन की, किसे नहीं है चाह।
पुस्तक साथी है परम, परामर्श दे नित्य।
जब छाए भ्रम का तिमिर, बने ज्ञान-आदित्य।
शब्दों में ढलने लगें, सुन्दर भाव-विचार।
पुस्तक जब छप जाए तो, अमर करे कृतिकार।
पुस्तक पुस्तक ही नहीं, है अनुपम संसार।
शब्द-शब्द में है छिपा, बहुव्यापी विस्तार।
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परिचय – रशीद अहमद शेख ‘रशीद’
साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’
जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१
जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत
शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी• एड•, एलएल•बी•, साहित्य रत्न, कोविद
कार्यक्षेत्र ~ सेवानिवृत प्राचार्य
सामाजिक गतिविधि ~ मार्गदर्शन और प्रेरणा
लेखन विधा ~ कविता,गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, दोहे तथा लघुकथा, कहानी, आलेख आदि।
प्रकाशन ~ अब तक लगभग दो दर्जन साझा काव्य संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं। पांच काव्य संकलनों का संपादन किया है।
प्राप्त सम्मान-पुरस्कार ~ हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान एवं विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्थानों द्वारा अनेकानेक सम्मान व अलंकरण प्राप्त हुए हैं।
विशेष उपलब्धि ~ हिन्दी और अंग्रेजी का राज्य प्रशिक्षक तथा जूनियर रेडक्रास का राष्ट्रीय प्रशिक्षक रहे। सन्रा १९९२ में राज्यपाल से अवार्ड मिला।
लेखनी का उद्देश्य ~ राष्ट्रीय एकता, सामाजिक समरसता तथा व्यक्तिगत सर्वांगीण विकास।
पसंदीदा हिन्दी लेखक ~ शिवमंगलसिंह सुमन, दुष्यंत कुमार, नीरज
विशेषज्ञता ~ मैं सदैव स्वयं को विद्यार्थी मानता आया हूँ।
देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार ~ भारत से मैं असीम प्रेम करता हूँ। धरती पर ऐसा अद्भुत महान देश अन्यत्र नहीं। मुझे हिन्दी बोलने,पढ़ने और इस भाषा में कुछ भी लिखने में बहुत गर्व का अनुभव होता है।
मौलिकता की जिम्मेदारी ~ मैं मौलिकता को लेखन का अनिवार्य अंग मानता हूँ।
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