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कड़वा सच

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रचियता : विकास गंगराड़े

जब फैली हो चारो और बुराई,
तो अच्छाई को जगह कहां  मिलेगी |
इस बेमतलब की झूठी दुनिया मै,
सच्चाई को जगह कहां  मिलेगी ||
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एक सच्चे इंसान को जिंदगी गुजारने के लिए,
चाहिए  सुख  शांति की जगह |
मगर इस खून-खराबे-आतंकवाद की दुनिया मै,
जिंदगी को भी जगह कहां मिलेगी ||
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अपनी इच्छाओ को पूरा करने के लिए इंसान,
जा रहा है अंधकार गहरे कुऐं मै |
जहां पर एक कतरा रोशनी नहीं,
वहां उजाले को जगह कहां मिलेगी ||
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आज दोस्त-दोस्त से भाई-भाई से बेटा-माँ से पिता
खुद की लड़की से कर रहा है खिलवाड़ |
अगर मन और आत्मा को ही तुम बना लोगे हैवान,
तो भगवान को भी जगह कहां मिलेगी ||
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कहता हूँ मै कड़वी बातें,
क्यूकि सच तो हमेशा कड़वा ही लगता है |
बदल लो तुम आज  अभी अपने विचार,
क्यूकि दोबारा जिंदगी तुम्हें भी कहां मिलेगी ||
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लेखक परिचय :- 
नाम – विकास गंगराड़े
निवास – इंदौर मध्यप्रदेश


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