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जीवन का कड़वा घूंट

मित्रा शर्मा
महू – इंदौर

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जीवन का घूंट है कड़वा
शिकवा न कीजिए,
मौन से स्वीकारें या
समझौता कीजिए।

गर्दिशों में तबाही का
मंजर देखा,
मुकद्दर के खेल में भी
दुआओं का असर देखा।

मेरे शब्दों से आप का
दिल छू जाएं ,
इत्तफाक ही है
सोचती हूँ लिखा जाए।

दर्द बयां करने को
हम बेताब थे,
पर किसी ने पूछा ही नही
हम खामोश क्यों थे।

दूर रहने पर भी यह खबर
दिलको सुकून देता है,
तुम्हारी खैरियत जानने के बाद
रूह को ठंडक दे जाता है

.

परिचय : मित्रा शर्मा – महू (मूल निवासी नेपाल)


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