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कड़वे अंगूर

(हिन्दी रक्षक मंच द्वारा आयोजिट अखिल भारतीय लघुकथा लेखन प्रतियोगिता में प्रेषित लघुकथा)

कोरोना के चलते अभी-अभी लॉक डाउन खुला ही था कि एक फेरी वाला अपनी ठेला गाड़ी लेकर फल बेचने निकला। उसे रोकते हुए मैंने आवाज लगाई भइया अंगूर है क्या? मुंह पर मास्क लगाए, हाथो में दस्ताने पहने फेरी वाला बोला हां है बाबू जी। मै उसकी ठेला गाड़ी के करीब पहुंचा ही था कि उसने झट से सेनिटाइजर की बॉटल आगे करते हुए मेरे हाथ धुलवाकर बोला अब आप अंगूर आपकी पसंद से छांट लो। मीठे तो है ना, मेरे सवाल के जवाब में वह बोला आप अंगूर धो के चख लो बाबूजी। ठीक है भाई, क्या भाव लगाओगे। ₹ ३५ के एक किलो वो बोला। ₹३५ देकर ठीक है एक किलो दे दो भाई।
अंगूर लेकर मैंने श्रीमती को दिए, उसने अंगूर लेकर धो कर फ्रिज में रख दिए। दोपहर में जब थोड़े अंगूर खाने के लिए फ्रिज से निकाले, श्रीमती ने अंगूर का पहला दाना खाते ही, ये क्या ? कड़वे अंगूर आपने चख कर नहीं लिए। ये लोग खराब, केमिकल से पकाएं जहरीले फल बेच कर अपने स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। तमाम तरह की शंकाएं फेरी वाले पर करने लगे।
मैं भी हतप्रभ रह गया कि आखिर अंगूर कड़वे कैसे हो गए। कई तरह के विचार मन में घर करने लगे एक बार विचार आया कि क्यों न एक बार फ्रिज को जांच लिया जाएं। फ्रिज को जांचा गया ऐसी कोई चीज नजर नहीं आयी जिससे अंगूर खराब हो जाए।
अगले दिन उसी समय पर पुनः वो फेरी वाला आया तो उसे अंगूर दिखाते हुए भैय्या कल आपसे अंगूर लिए थे, चखो ये तो कड़वे हैं। उसे भी विश्वास नहीं हुआ। वो बोला बाबूजी मै ५० किलो अंगूर लेकर आया था। मैंने सारे बेच दिए। अंगूर खट्टे या मीठे हो सकते है लेकिन कड़वे कैसे। मुझसे किसी ने शिकायत नहीं की। थोड़ी बहस के बाद वह अंगूर वापस लेकर मायूस हो कर चला गया।
अब भी मेरे दिमाग में वो ही कड़वे अंगूर चल रहे थे आखिर ऐसा कैसे ही गया। एक बार फिर से फ्रिज को जांचा गया। सब कुछ ठीक था। सब ठीक है तो फिर अंगूर कैसे कड़वे हो गए। अबकी बार ध्यान फ्रीजर पर गया जिसमें कड़वे नीम का पानी एक कटोरे में कुछ दिन पहले का रखा हुआ था।
अब माजरा पूरा समझ में आ गया था। हमें अपनी गलती का अहसास हुआ और आत्मग्लानि भी। काश उस फेरीवाले के मन की कड़वाहट को भी हम निकाल पाते जो हमारी गलतफहमी के कारण उसके मन में घुल गई होगी।

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परिचय :- दिलीप कुमार पोरवाल “दीप”
पिता :- श्री रामचन्द्र पोरवाल
माता :- श्रीमती कमला पोरवाल
निवासी :- जावरा म.प्र.
जन्म एवं जन्म स्थान :- ०१.०३.१९६२ जावरा
शिक्षा :- एम कॉम
व्यवसाय :- भारत संचार निगम लिमिटेड


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