माया मालवेन्द्र बदेका
उज्जैन (म.प्र.)
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सुंदर सलोनी सरल सुशीला धीरे-धीरे बड़ी हो रही थी।
बचपन से उसके मन में देशभक्ति, देशप्रेम कूट-कूट भरा था। उसने हमेशा अपने बुजुर्गो से वीरों और वीरांगनाओं की गाथाएं सुनी थी जो उसके मन में रच बस गई थी। उम्र के साथ उसने अपने सपने में जोड़ लिया था, विवाह तो देश के सैनिक के साथ ही करेगी और वह ऐसी संतान को जन्म देगी जिससे देश का मान बढ़े।
माता-पिता अपनी इकलौती बेटी को ऐसे घर में ब्याहना चाहते थे जहां बस बिटिया को सुख ही सुख हो। सुशीला सुशील थी, जानती थी कि माता पिता नहीं चाहते हैं लेकिन हर माता-पिता और लड़की इस तरह सोच रखेंगे तो देश के सैनिक की उम्मीद और फिर देश रक्षा के लिए सैनिक कैसे। बहुत कोशिश के बाद सैनिक परिवार में ही सुशीला का विवाह हुआ। तीन महीने की छुट्टी के बाद पति पुनः सीमा पर प्रस्थान कर रहा था ……. मिलकर प्रतिज्ञा हुई …. हम अपनी संतान को देश पर समर्पित करेंगे।
ससुर अचानक चल बसे, कुछ समय बाद पति भी सीमा पर शहीद हुए। पोते को अब सैनिक नहीं बनायेंगे। दो पीढ़ी देश पर बलिदान हुई अब नहीं। लेकिन लालटेन की रोशनी में उन्नीस वर्ष की आयु में ली गई प्रतिज्ञा भीष्म को सैनिक बनाकर ही पूरी हुई। उजाले का एक ही दीप बहुत होता है। भारत की वीरांगनाओं ने दीपों की लड़ी लगाई है तभी भारत माँ ने दीपावली मनाई है।
भीष्म शत्रुओं के छक्के छुड़ाकर भारत माँ की गोदी में आराम से सो रहा है।
परिचय :-
नाम – माया मालवेन्द्र बदेका
पिता – डाॅ. श्री लक्षमीनारायण जी पान्डेय
माता – श्रीमती चंद्रावली पान्डेय
पति – मालवेन्द्र बदेका
जन्म – ५ सितम्बर १९५८ (जन्माष्टमी) इंदौर मध्यप्रदेश
शिक्षा – एम• ए• अर्थशास्त्र
शौक – संस्कृति, संगीत, लेखन, पठन, लोक संस्कृति
लेखन – चौथी कक्षा मे शुरुवात हिंदी, माळवी,गुजराती लेखन
प्रकाशन – पत्र पत्रिका मे हिन्दी, मालवी में प्रकाशन।
पुस्तक प्रकाशन – १ मौन शबद भी मुखर वे कदी (मालवी) २ – संजा बई का गीत
साझा संकलन – काव्य गंगा, सखी साहित्य, कवितायन, अंतरा शब्द शक्ति, साहित्य अनुसंधान
लघुकथा – लघुत्तम महत्तम, सहोदरी
माळवी – मालवी चौपाल (मालवी)
विधा – हिंदी गीत, भजन, छल्ला, मालवी गीत, लघुकथा हिन्दी, मालवी व्यंग, सजल, नवगीत, चित्र चिंतन, पिरामिड, हायकू, अन्य विधा मे रचना!
सम्मान – हिंदी रक्षक मंच इंदौर म.प्र. (hindirakshak.com) द्वारा हिंदी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान, झलक निगम संस्कृति सम्मान, श्रीकृष्ण सरल शोध संस्थान गुना द्वारा सम्मान, संस्कृत महाविधालय थाईलैंड द्वारा सम्मान, शब्द प्रवाह सम्मान, हल्ला गुल्ला मंच सम्मान रतलाम, मालवी मिठास मंच द्वारा, नारी शक्ति मंच जावरा, औदिच्य ब्राह्मण समाज,गुरूव ब्राह्मण समाज द्वारा सम्मानित, प्रतिकल्पा सम्मान जमुनाबाई लोकसंस्थान उज्जैन, द्वारा मालवी लेखन के लिए पांडुलिपी पुरस्कार, दैनिक अग्निपथ कवि साहित्यकार सम्मान, शुभसंकल्प संस्था इंदौर, शुजालपुर मालवी न्यास से सम्मानित, संवाद मालवी चौपाल, संजा और मांडना के लिए पुरस्कार
मुख्य ध्येय – हिंदी के साथ आंचलिक भाषा और लोककृति विशेष संजा को जीवंत रखना, बेटी बचाओ मुहिम मे मालवी हिन्दी मे पंक्तिया, संजा, मांडना संरक्षण पच्चीस वर्ष से अधिक भारत से बाहर रहकर हिंदी लेखन का प्रसार, आंचलिक बोली मालवी का प्रसार, मारिशस, थाईलैंड, हिंदी सम्मेलन में उपस्थिति व थाईलैंड में हिंदी गोष्ठी समूह में सहभागिता की।
संरक्षक – झलक निगम संस्कृति, संरक्षक शब्द प्रवाह
संस्थापक – यो माया को मालवो, या मालवा की माया।
अध्यक्ष – संस्कृति सरंक्षण
पुरस्कार प्रदत – “मालवा के गांधी” डॉ लक्ष्मीनारायण पांडेय “मालवा रत्न” स्मृति पुरस्कार!
निवासी – उज्जैन (म.प्र.)
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