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भादव की अंधियारी रात

केदार प्रसाद चौहान “आरजू”
गुरान (सांवेर) इंदौर
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भादव की अंधियारी रात
चल रहे थे थाम कर हाथ

कुछ दिखाई नहीं दे रहा था
बस करते जा रहे थे बात

एक अजनबी की तरह
चलते जा रहे थे साथ

कहीं बिछड़ ना जाएं हम
इसलिए थामैं रखा था हाथ

बरसों पुरानी पहचान थी मगर
लग रही थी पहली मुलाकात

जरा संभल कर चलना के.पी.
यह है दिल की”आरजू”की बात

और हम भूल ही गए की यह है
भादव की अंधियारी रात

परिचय :-  “आशु कवि” केदार प्रसाद चौहान के.पी. चौहान  “आरजू” 
निवासी : गुरान (सांवेर) इंदौर


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