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शर्त जीने की

सतपाल ‘स्नेही’
बहादुरगढ़ (हरियाणा)
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शर्त जीने की मुझे यूँ यार बतलाई गई
ज़िंदगी की हर तमन्ना हो गई आई-गई

वक़्त कम होना रहीं उसकी सदा मजबूरियाँ
जब कभी मिलने मिरी लाचार तनहाई गई

आजकल की ज़िंदगी से ख़ूब है बेहतर मियाँ
ये बता कर मौत मेरे सामने लाई गई

मैं नहीं समझा मगर वो भी कहाँ जाना मुझे
कुछ न कुछ दोनों दिलों में ही कमी पाई गई

दास्ताँ में जबकि दोनों का अहम किरदार था
बारहा मेरी कहानी थी कि दुहराई गई

आख़िरी वो ही हुआ जो इश्क़ में होता रहा
बाद मरने के हमारी दास्ताँ गाई गई

परिचय :- सतपाल ‘स्नेही’
पिताश्री : पंडित खजान सिंह
माताश्री : श्रीमती परभी देवी
जीवन साथी : श्रीमती सुनीता शर्मा
जन्म तिथि : १५ अप्रेल,१९५४
जन्म स्थान : गाँव-ताजपुर,जिला-सोनीपत (हरियाणा)
स्थाई निवास : बहादुरगढ़ (हरियाणा)
शिक्षा : स्नातक + डी एम एल टी
सम्प्रति : चीफ टैक्नीकल आफिसर, ब्लड बैंक, हिसार (हरियाणा सरकार) से सेवानिवृत्त।
प्रकाशन : ‘कोई पथ भूली किरण'(ग़ज़ल-गीत संग्रह)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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