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अर्चना अनुपम
जबलपुर मध्यप्रदेश
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समर्पित – क्रांतिवीर श्री चंद्रशेखर आज़ाद जी के बलिदान दिवस पर विनम्र अश्रुपूर्ण श्रद्धांजली।
रस – वीर, करुण,
भाव – देश भक्ति
इस माटी की खुशबु का
दीवाना था एक शोला था।
शत्रु भी था चकित, सिंह
वो कर गर्जन जब बोला था ।।
मैं पैदा आज़ाद हुआ
आज़ाद धरा से जाऊंगा।
तुझमें है ताकत जितनी
कर ज़ुल्म मैं ना घबराउंगा।।
हूँ स्वतंत्रा का राही
इस वसुंधरा का लाल हूँ।
तेरे जैसे निसाचारों का
साक्षात् ही काल हूँ।।
बांध कफ़न आया सर पर हूँ।
मौत का डर तू ना दिखला।।
है जननी अवनि मेरी यह।
इसका आँचल जो कुचला।।
इसकी ही रक्षा की ख़ातिर।
शीश कटाने आया हूँ।।
तुझको तेरे हर कर्मों का।
दंड दिलाने आया हूँ।।
शान से बोला जय भारत।
यूँ फिरंगियों को डरा दिया।
मिटा गया निज हिन्द पे यौवन ।
कर्ज धरा का अदा किया।।
है अफ़सोस मुझे इतना।
वो कैसा भाग्य का फेरा था?
अल्फ्रेड पार्क में एक सिंह को।
सौ शवानों ने घेरा था।।
देश सदा गर्वित होता है।
क्रांति वीर के होने से।।
ना गोरे से ना काले से।
ना सुन्दर श्याम सलोने से।।
भारत-माता इतराती हैं।
तुम से सपूत के होने से।।
भारत-माता इतराती हैं।
तुम से सपूत के होने से।।
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परिचय :- अर्चना पाण्डेय गौतम
साहित्यिक उपनाम – अर्चना अनुपम
जन्म – २१/१०/१९८७
मूल निवासी – जिला कटनी, मध्य प्रदेश
वर्तमान निवास – जबलपुर मध्यप्रदेश
पद – स.उ.नि.(अ),
पदस्थ – पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय जबलपुर जोन जबलपुर, मध्य प्रदेश
शिक्षा – समाजशास्त्र विषय से स्नात्कोत्तर
सम्मान – जे.एम.डी. पब्लिकेशन द्वारा काव्य स्मृति सम्मान, विश्व हिन्दी लेखिका मंच द्वारा नारी चेतना की आवाज, श्रेष्ठ कवियित्री सम्मान, लक्ष्मी बाई मेमोरियल अवार्ड, एक्सीलेंट लेडी अवार्ड, विश्व हिन्दी रचनाकार मंच द्वारा – अटल काव्य स्मृति सम्मान, शहीद रत्न सम्मान, मोमसप्रेस्सो हिन्दी लेखक सम्मान २०१९..
विधा – गद्य पद्य दोनों..
भाषा – संस्कृत, हिन्दी भाषा की बुन्देली, बघेली, बृज, अवधि, भोजपुरी में समस्त रस-छंद अलंकार, नज़्म एवं ग़ज़ल हेतु उर्दू फ़ारसी भाषा के शब्द संयोजन
विशेष – स्वरचित रचना विचारों हेतु विभाग उत्तरदायी नहीँ है.. इनका संबंध स्वउपजित एवं व्यक्तिगत है
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