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प्रेम का सौन्दर्य

मधु टाक
इंदौर मध्य प्रदेश

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रेत पर घरौंदा जब बनाओगे
चंद सीपों से गहने जड़वाओगे
प्रीत में तेरी राधा सी बनकर
मन में जब संदल महकाओगे
मैं मिलूंगी तुम्हें वहीं प्रिये……….

नागफनी में भी फूल खिलाओगे
छूकर मुझे तुम राम बन जाओगे
आशा के तुम ख्वाब सजाकर
जब जब मुझसे प्रीत निभाओगे
मैं मिलुंगी तुम्हें वहीं प्रिये……

कोयल की कूक सुनाओगेे
भवरें सी मधुर गुंजार करोगे
अमावस की अंधेरी रातों में
जुगनू से रोशनी ले आओगे
मैं मिलूँगी तुम्हें वहीं प्रिये ……

हरी चुड़ियाँ जब तुम लाओगे
आस के हंस को मोती चुगाओगे
सावन में लहराने लगा मन मेरा
प्रणय के गीत जब तुम गाओगे
मैं मिलुँगी तुम्हें वहीं प्रिये ………

जब जब भी तुम याद करोगे
चाँदनी को चाँद से मिलाओगे
गुनगुनाती हवाओं के साथ साथ
अहसासो में जब मुझे सवांरोगे
मैं मिलूँगी तुम्हें वहीं प्रिये ………

परिचय :-  मधु टाक
निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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