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सुंदरता

संजय जैन
मुंबई

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नही होती सुंदरता
किसी के भी शरीर में।
ये बस भ्रम है
अपने अपने मन का।
यदि होता शरीर सुंदर
तो कृष्ण तो सवाले थे।
पर फिर भी सभी की
आंखों के तारे थे।।

क्योंकि सुंदरता होती है
उसके कर्म और विचार में।
तभी तो लोग उसके प्रति
आकर्षित होकर आते है।
वह अपनी वाणी व्यवहार
और चरित्र से जाना जाता है।
तभी तो लोग उसे
अपना आदर्श बना लेते है।।

जो अर्जित किया हमने
अपने गुरुओं से ज्ञान।
वही ज्ञान को हम
दुनियाँ को सुनता है।
जिससे होता है एक
सभ्य समाज का निर्माण।
फिर सभी को ये दुनियां,
सुंदर लगाने लगती है।
इसलिए संजय कहता है,
जमाने के लोगो से।
शरीर सुंदर नही होता
सुंदर होते उसके संस्कार।।

परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी के चलते कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। आप मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखने के साथ – साथ मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है, आप लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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