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सुंदर मन है असली सुंदरता

ममता श्रवण अग्रवाल (अपराजिता)
धवारी सतना (मध्य प्रदेश)
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नही सौंदर्य की कोई परिभाषा
तरतीब रहे या बेतरतीब।
ये नजरिया होता है आँखों का
कोई दूर रहे या कोई रहे करीब।।

तन की सुंदरता से ज्यादा
प्यारी है मन की सुंदरता।
जब कोई मन से प्यार करे
तब नही दीखती है कुरूपता।।

ये निर्भर है भावों पर,
कि, भाव हमारे हैं कैसे
वही छबि हो मन में अंकित
हैं, हमने भाव बनाये जैसे।।

दिव्य गुणों के आगे कभी भी,
ठहर न पाये तन का रूप।
चाहे सँवारे या न सँवारे,
फर्क न कोई पड़े अनूप।।

माना, कि इस रूप की ज्योति
सब के मन को भाती है।
पर, जो होती सच्ची सन्दरता
बिन सँवरे, भी लुभाती है।।

अतः न होना चाहिये मान
रूप रंग का इस जीवन में।
जीवन की खुशबू बिखरे भाव से
इस बात को समझें अब मन में।।

परिचय :- ममता श्रवण अग्रवाल (अपराजिता)
निवासी – धवारी सतना (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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