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सेवादार बनिए

सुधीर श्रीवास्तव
बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश)
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आइए आज हम सब
अपनी संस्कृति और परंपरा का
एक नया अध्याय लिखें,
सेवाधर्म का नया आयाम गढ़ें
पुरातन व्यवस्था को
ध्यान में रखकर ही सही
सेवाधर्म का नया पाठ पढ़ें ।
कोरोना महामारी की
जब हर ओर दहशत है,
सेवाभाव से आओ मिलकर
इसका प्रतिकार करें।
दो गज दूरी का संदेश फैलाएं
मास्क, सेनेटाइजर कितना जरूरी है
ये सबको बताएं, समझाएं,।
रोजी रोजगार की समस्या
बहुत कठिन है लेकिन,
कोई भूखा न रहे आसपास हमारे
हम सब की जिम्मेदारी है कि
उसके खाने का प्रबंध कराएं।
सबका टीकाकरण हो
ये सुनिश्चित कराएं,
कोरोना पीड़ितों का मनोबल बढ़ायें।
अफवाह, भ्रम, दहशत न फैलने पाये
जनमानस को इससे हम सब बचाएं।
कोरोना रोग है महामारी है,
हौसला रखें, डरें नहीं, इलाज कराएं
ठीक हो जायेंगे विश्वास दिलाएं,
ये दौर भी गुजर जायेगा
सबके मन में ये भाव जगायें।
अपने अपने स्तर से
सब अपनी जिम्मेदारी निभाएं,
जो जितना कर सकता है
उतना जरूर करे ये भाव जगाएं,
सेवाधर्म के लिए सेवादार बनिए
सेवाभाव का नया अनुबंध लिखिए।

परिचय :- सुधीर श्रीवास्तव
जन्मतिथि : ०१/०७/१९६९
शिक्षा : स्नातक, आई.टी.आई., पत्रकारिता प्रशिक्षण (पत्राचार)
पिता : स्व.श्री ज्ञानप्रकाश श्रीवास्तव
माता : स्व.विमला देवी
धर्मपत्नी : अंजू श्रीवास्तव
पुत्री : संस्कृति, गरिमा
संप्रति : निजी कार्य
विशेष : अधीक्षक (दैनिक कार्यक्रम) साहित्य संगम संस्थान असम इकाई।
रा.उपाध्यक्ष : साहित्यिक आस्था मंच्, रा.मीडिया प्रभारी-हिंददेश परिवार
सलाहकार : हिंंददेश पत्रिका (पा.)
संयोजक : हिंददेश परिवार(एनजीओ) -हिंददेश लाइव -हिंददेश रक्तमंडली
संरक्षक : लफ्जों का कमाल (व्हाट्सएप पटल)
निवास : गोण्डा (उ.प्र.)
साहित्यिक गतिविधियाँ : १९८५ से विभिन्न विधाओं की रचनाएं कहानियां, लघुकथाएं, हाइकू, कविताएं, लेख, परिचर्चा, पुस्तक समीक्षा आदि १५० से अधिक स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित। दो दर्जन से अधिक कहानी, कविता, लघुकथा संकलनों में रचनाओं का प्रकाशन, कुछेक प्रकाश्य। अनेक पत्र पत्रिकाओं, काव्य संकलनों, ई-बुक काव्य संकलनों व पत्र पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल्स, ब्लॉगस, बेवसाइटस में रचनाओं का प्रकाशन जारी।अब तक ७५० से अधिक रचनाओं का प्रकाशन, सतत जारी। अनेक पटलों पर काव्य पाठ अनवरत जारी।
सम्मान : विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा ४५० से अधिक सम्मान पत्र। विभिन्न पटलों की काव्य गोष्ठियों में अध्यक्षता करने का अवसर भी मिला। साहित्य संगम संस्थान द्वारा ‘संगम शिरोमणि’सम्मान, जैन (संभाव्य) विश्वविद्यालय बेंगलुरु द्वारा बेवनार हेतु सम्मान पत्र।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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