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बसंती मोसम

मनोरमा जोशी
इंदौर म.प्र.

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आ गया बसंती मोसम सुहाना,
गा रहा मन तराना।
मिली राहत जिंन्दगी को,
चेन दिल को आ गया,
प्यार की अमराहयों से,
गीत याद आ गया,
आज अपने रंज गम को,
चाहता हैं गम भुलाना,
आ गया बसंती मोसम सुहाना।
बाग की हर शाक गाती,
झूमती कलियाँ दिवानी,
पात पीले मुस्कुराते,
मिली जैसे है जवानी,
हर तरफ ही लुट रहा है,
आज खुशियों का खजाना,
आ गया बसंती मोसम सुहाना।
सब मगन मन गा रहें है,
आ गई ऐसी बहारें,
प्राण बुन्दी मुक्त मन,
दिलों की टूटी दिवारें,
बहुत दिन के बाद उनका,
आज आया है बुलावा,
आ गया बसंती मोसम सुहाना।
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परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है।
शिक्षा – स्नातकोत्तर और संगीत है।
कार्यक्षेत्र – सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान, हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक सम्मान और सुशीला देवी सम्मान प्रमुख रुप से आपको मिले हैं। उपलब्धि संगीत शिक्षक, मालवी नाटक में अभिनय और समाजसेवा करना है। आपके लेखन का उद्देश्य-हिंदी का प्रचार-प्रसार और जन कल्याण है। कार्यक्षेत्र इंदौर शहर है। आप सामाजिक क्षेत्र में विविध गतिविधियों में सक्रिय रहती हैं। आपकी रचनाएँ हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) व एक काव्य संग्रह में प्रकाशित हुई है।

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