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बाबा केदारनाथ

प्रेम नारायण मेहरोत्रा
जानकीपुरम (लखनऊ)
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कुछ न कुछ तो कमी है तड़प में,
जिससे बाबा ने दर न बुलाया।
आके बाबा ने कानों में बोला,
तू तो दस रूप धरके है आया।
कुछ न कुछ…

रूप तेरे अनेकों हैं बाबा,
जिनमे १२ हैं ज्योति से प्रकटे।
११ के हो चुके मुझको दर्शन,
प्राण तेरे दरश को है अटके।
कई वर्षों से पंक्ति में हूँ मैं,
क्यों दयालु न मुझको बुलाया।
कुछ न कुछ…

हम हैं संसारी माया में उलझे,
फिर भी तेरे दरस की है इक्षा।
पास होकर दिखाएंगे बाबा,
चाहें जितने कठिन लो परीक्षा।
तेरे ही अंश से हैं जो प्रकटे,
उनने सेवक है हमको बनाया।
कुछ न कुछ…

जिनके सुमिरन में प्रतिपल रमे तुम,
उनकी थोड़ी कृपा मैंने पाई,
मेरे आराध्य हनुमान जी ने,
नाम महिमा है मुझसे लिखाई।
गीत हनुमत ने ऐसे लिखाये,
श्रेष्ट भक्तों ने है झूम गाया।
कुछ न कुछ…

परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा
निवास : जानकीपुरम (लखनऊ)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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