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खौफ

मित्रा शर्मा
महू – इंदौर

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भाग दौड़ की जिंदगी में
ठहराव सा आ गया,
ऐसा लग रहा जैसे
नया युग आ गया।

गली चौबारा शांत सा दिलों पे
तूफ़ान सा आ गया,
रह रहकर इंसान भय पे
अपने पर आ गया।

न किसी की निंदा
न कोई पर चिंता,
दूरियां बना रहा मानव
घर को बनाकर पिंजरा।

सोना, चांदी, धन कोई
काम नहीं आ रहा,
थोड़े में गुजारा करने की
हुनर सा आ रहा।

अनहोनी आशंका से
घिरता हुआ मन,
अब जीवन पाने कि आस में
मर रहा है इंसान।

खूबसूरत जिंदगी के
सपनों के झरोंखे ने
प्रकृति ने भी क्या खूब
नजारे दिखाए है।

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परिचय : मित्रा शर्मा – महू (मूल निवासी नेपाल)


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