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पूछता सैनिक

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रचयिता : शिवम यादव ”आशा”

भारत वाले पूँछ रहे हैं
 इन हुकूमत के दरवारों से,
कब तक माँ न रोकेगी…
बेटों को सरहद पर जाने से…
जान गवाँकर मिला क्या उनको,
मिट्टी में मिल जाने से…
शौर्य पुरुष भी नहीं कहा है
दिल्ली के दरबारों ने…
घर अपना सूना कर डाला,
वीर सपूतों लालों ने…
माँ-बहने रोती हैं बिलखती
बीते दिन की बातों में…
सर्दी-गर्मी कुछ न देखें
वो भारत माँ को जिताने में…
जीतते जीतते खुद हार गया वो
अपने ही अधिकारों से…
भारत वाले पूँछ रहे हैं
 इन हुकूमत के दरवारों से,
लेखक परिचय : नाम :- शिवम यादव रामप्रसाद सिहं ”आशा” है इनका जन्म ७ जुलाई सन् १९९८ को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात ग्राम अन्तापुर में हुआ था पढ़ाई के शुरूआत से ही लेखन प्रिय है, आप कवि, लेखक, ग़ज़लकार व गीतकार हैं
रुचि :- अपनी लेखनी में दमखम रखता हूँ !! अपनी व माँ सरस्वती को नमन करता हूँ !!
काव्य संग्रह :- ”राहों हवाओं में मन “

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